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नई दिल्ली: वक़्फ़(संशोधन)विधेयक की जांच कर रही संसदीय समिति में बुधवार को बवाल मच गया। विपक्षी सदस्यों ने कार्यवाही को मजाक बताते हुए मीटिंग का बहिष्कार किया। हालांकि,बाद में वे वापस लौट आए। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कार्यकाल बढ़ाने की बात कही है। विपक्ष का कहना है कि विधेयक पर पूरी तरह से विचार करने के लिए और समय चाहिए।आरोप- मीटिंग जल्दबाजी में की जा रही
संसद की एक कमिटी वक़्फ़ कानून में बदलाव पर विचार कर रही है। इस कमिटी के चेयरमैन जगदंबिका पालहैं। बुधवार को मीटिंग में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया और बहिष्कार किया। उनका आरोप था कि मीटिंग जल्दबाज़ी में की जा रही है। विपक्ष कमिटी का कार्यकाल बढ़ाना चाहता है ताकि क़ानून पर ठीक से विचार हो सके। चेयरमैन ने कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति जताई है।
'हमें लगता है कि कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत'
BJP सांसद और वक़्फ़ JPC चेयरपर्सन जगदंबिका पालने मीटिंग के बाद कहा कि हमें अभी भी दूसरे लोगों और छह राज्यों के अधिकारियों की बात सुननी है। इन राज्यों में वक़्फ़ और राज्य सरकारों के बीच विवाद हैं। 123 प्रॉपर्टी पर भारत सरकार, शहरी मंत्रालय और वक़्फ़ बोर्ड के बीच विवाद है। हमें लगता है कि कार्यकाल बढ़ाने की ज़रूरत है।
कमिटी मेंबर और BJP सांसद अपराजिता सारंगी ने बताया कि कमिटी लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा 2025 के बजट सत्र के आखिरी दिन तक बढ़ाने का अनुरोध करेगी।
अपराजिता सारंगी ने आगे कहा कि हमारे पास अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की सुनवाई थी और वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में प्रस्तावित विभिन्न संशोधनों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। हंगामा मूल रूप से रिपोर्ट जमा करने के संबंध में उनके अनुरोध से उत्पन्न हुआ। इस बारे में काफी बहस हुई। सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने भी महसूस किया कि कुछ तरह का विस्तार होना चाहिए। मुझे लगता है कि कुछ समय निश्चित रूप से आवश्यक है।
विपक्ष का विरोध चेयरमैन जगदंबिका पालके कथित रूप से 29 नवंबर को लोकसभा में समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश करने की घोषणा के कारण हुआ। कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। हालांकि,एक घंटे बाद वे मीटिंग में वापस आ गए। इससे संकेत मिला कि चेयरमैन कार्यकाल बढ़ाने की मांग करेंगे।
विपक्ष की तरफ से कौन-कौन था?
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, DMK के ए राजा, AAP के संजय सिंह और TMC के कल्याण बनर्जी ने बहिष्कार का नेतृत्व किया। उन्होंने कमिटी के जल्दबाज़ी वाले कार्यक्रम और उचित प्रक्रिया की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने व्यापक विचार-विमर्श के लिए कार्यकाल बढ़ाने की मांग की।
गोगोई ने बहिष्कार के बाद कहा कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने पहले संकेत दिया था कि कमिटी को कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि चेयरमैन पर एक वरिष्ठ सरकारी मंत्री का दबाव था कि 29 नवंबर की समयसीमा तक कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाए।
TMC नेता कल्याण बनर्जी ने भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने दावा किया कि चेयरमैन विपक्षी सदस्यों से बातचीत करने या प्रमुख गवाहों को बुलाने में विफल रहे। बनर्जी ने कहा कि पूरी कार्यवाही एक मजाक है। पूरी कार्यवाही एक मजाक है।
YSR कांग्रेस सांसद विजय साई रेड्डी ने कहा कि कई राज्य वक्फ बोर्ड और हितधारकों को अभी तक सुना नहीं गया है। इसलिए कमिटी के लिए तय समय सीमा तक अपना काम पूरा करना असंभव है। मीटिंग में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। मीटिंग में वक्फ विधेयक के संशोधनों पर चर्चा करनी थी और कमिटी के निष्कर्षों के आधार पर उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करना था।
संसद की एक कमिटी वक़्फ़ कानून में बदलाव पर विचार कर रही है। इस कमिटी के चेयरमैन जगदंबिका पालहैं। बुधवार को मीटिंग में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया और बहिष्कार किया। उनका आरोप था कि मीटिंग जल्दबाज़ी में की जा रही है। विपक्ष कमिटी का कार्यकाल बढ़ाना चाहता है ताकि क़ानून पर ठीक से विचार हो सके। चेयरमैन ने कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति जताई है।
'हमें लगता है कि कार्यकाल बढ़ाने की जरूरत'
BJP सांसद और वक़्फ़ JPC चेयरपर्सन जगदंबिका पालने मीटिंग के बाद कहा कि हमें अभी भी दूसरे लोगों और छह राज्यों के अधिकारियों की बात सुननी है। इन राज्यों में वक़्फ़ और राज्य सरकारों के बीच विवाद हैं। 123 प्रॉपर्टी पर भारत सरकार, शहरी मंत्रालय और वक़्फ़ बोर्ड के बीच विवाद है। हमें लगता है कि कार्यकाल बढ़ाने की ज़रूरत है।
कमिटी मेंबर और BJP सांसद अपराजिता सारंगी ने बताया कि कमिटी लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा 2025 के बजट सत्र के आखिरी दिन तक बढ़ाने का अनुरोध करेगी।
अपराजिता सारंगी ने आगे कहा कि हमारे पास अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की सुनवाई थी और वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में प्रस्तावित विभिन्न संशोधनों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ। हंगामा मूल रूप से रिपोर्ट जमा करने के संबंध में उनके अनुरोध से उत्पन्न हुआ। इस बारे में काफी बहस हुई। सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने भी महसूस किया कि कुछ तरह का विस्तार होना चाहिए। मुझे लगता है कि कुछ समय निश्चित रूप से आवश्यक है।
विपक्ष का विरोध चेयरमैन जगदंबिका पालके कथित रूप से 29 नवंबर को लोकसभा में समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट पेश करने की घोषणा के कारण हुआ। कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। हालांकि,एक घंटे बाद वे मीटिंग में वापस आ गए। इससे संकेत मिला कि चेयरमैन कार्यकाल बढ़ाने की मांग करेंगे।
विपक्ष की तरफ से कौन-कौन था?
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई, DMK के ए राजा, AAP के संजय सिंह और TMC के कल्याण बनर्जी ने बहिष्कार का नेतृत्व किया। उन्होंने कमिटी के जल्दबाज़ी वाले कार्यक्रम और उचित प्रक्रिया की कमी पर चिंता जताई। उन्होंने व्यापक विचार-विमर्श के लिए कार्यकाल बढ़ाने की मांग की।
गोगोई ने बहिष्कार के बाद कहा कि लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने पहले संकेत दिया था कि कमिटी को कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि चेयरमैन पर एक वरिष्ठ सरकारी मंत्री का दबाव था कि 29 नवंबर की समयसीमा तक कार्यवाही को आगे बढ़ाया जाए।
TMC नेता कल्याण बनर्जी ने भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने दावा किया कि चेयरमैन विपक्षी सदस्यों से बातचीत करने या प्रमुख गवाहों को बुलाने में विफल रहे। बनर्जी ने कहा कि पूरी कार्यवाही एक मजाक है। पूरी कार्यवाही एक मजाक है।
YSR कांग्रेस सांसद विजय साई रेड्डी ने कहा कि कई राज्य वक्फ बोर्ड और हितधारकों को अभी तक सुना नहीं गया है। इसलिए कमिटी के लिए तय समय सीमा तक अपना काम पूरा करना असंभव है। मीटिंग में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। मीटिंग में वक्फ विधेयक के संशोधनों पर चर्चा करनी थी और कमिटी के निष्कर्षों के आधार पर उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करना था।
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