युनूस सरकार ने भारत से सीधे ले लिया पंगा, संत की गिरफ्तारी के बाद दोनों देशों में बढ़ा तनाव

नई दिल्ली: बांग्लादेश में ISKCON के संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद भारत समेत कई जगहों से आलोचना हो रही है। यह गिरफ्तारी बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों के बीच हुई है। चिन्मय कृष्ण दास, बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचा

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नई दिल्ली: बांग्लादेश में ISKCON के संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी के बाद भारत समेत कई जगहों से आलोचना हो रही है। यह गिरफ्तारी बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों के बीच हुई है। चिन्मय कृष्ण दास, बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे थे। उन पर अक्टूबर में चट्टोग्राम में एक रैली में बांग्लादेशी झंडे का अपमान करने का आरोप है। भारत सरकार ने इस गिरफ्तारी पर नाराजगी व्यक्त की है और बांग्लादेश सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें उठाने वाले एक धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
बांग्लादेश में हिंदू नेता की गिरफ्तारी पर क्या बोला भारत
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि अल्पसंख्यकों के घरों और दुकानों आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी, तोड़फोड़ और देवी-देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले हुए हैं जो दर्ज हैं। बयान में कहा गया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से जायज मांगें उठाने वाले एक धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। विदेश मंत्रालय ने दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर भी चिंता जतायी। वहीं दूसरी ओर भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान पर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में कहा कि यह निराधार है और दोनों देशों के बीच मित्रता की भावना के विपरीत है।

भारत और बांग्लादेश के बीच बिगड़े रिश्ते
बांग्लादेश में ISKCON संत की गिरफ्तारी ने भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव पैदा कर दिया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इस कदम को कायरतापूर्ण और अलोकतांत्रिक बताया है। ISKCON ने भारत से कृष्ण दास ब्रह्मचारी की रिहाई के लिए बांग्लादेश से बात करने की अपील की है। ISKCON ने कृष्ण दास के ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। सद्गुरु और श्री श्री रविशंकर ने भी गिरफ्तारी की आलोचना की है। रविशंकर ने कहा, हम प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस से और अधिक उम्मीद करते हैं, जिन्हें लोगों के लिए शांति और सुरक्षा लाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला है और इसीलिए उन्हें कार्यवाहक सरकार का मुखिया बनाया गया है। हम उनसे ऐसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं करेंगे जिससे समुदायों के बीच और अधिक तनाव और भय पैदा हो।

बांग्लादेश में निशाने पर हिंदू
यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं की घटती आबादी और लोकतंत्र के कमजोर होने के बीच हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक मुस्लिम युवक ने फेसबुक पर ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक पोस्ट डाली थी, जिसके बाद स्थानीय हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया। बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति चिंताजनक है। कभी बांग्लादेश की आबादी का 20% हिस्सा हिंदू थे, लेकिन अब यह घटकर 9% से भी कम रह गया है। हिंदू समुदाय के नेताओं का कहना है कि अल्पसंख्यक हमेशा उपद्रवियों का आसान निशाना होते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2013 से सितंबर 2021 के बीच हिंदू समुदाय पर कम से कम 3,679 हमले हुए, जिनमें तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा शामिल है।

मुश्किल दौर से गुजर रहा है बांग्लादेश
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद, बांग्लादेश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। यूनुस सरकार अल्पसंख्यकों और हसीना के पार्टी कार्यकर्ताओं पर होने वाले हमलों को रोकने में नाकाम रही है। यूनुस ने हिंदुओं पर बढ़ते हमलों की खबरों को कम करके आंका और दावा किया कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा केवल कुछ मामलों में हुई है। कुछ समय पहले दिए एक इंटरव्यू में यूनुस ने कहा कि हिंदुओं पर हमले सांप्रदायिक नहीं, बल्कि राजनीतिक उथल-पुथल का नतीजा थे, क्योंकि ऐसी धारणा है कि ज्यादातर हिंदू हसीना की अवामी लीग का समर्थन करते थे। नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा, मैंने नरेंद्र मोदी से भी कहा है कि यह बात बढ़ा-चढ़ाकर कही जा रही है। इस मुद्दे के कई पहलू हैं। बांग्लादेश की ओर से कहा जा रहा है कि भारत इन घटनाओं का बड़े पैमाने पर प्रचार कर रहा है। हमने यह नहीं कहा कि हम कुछ नहीं कर सकते; हमने कहा है कि हम सब कुछ कर रहे हैं।

बांग्लादेश के भविष्य को लेकर कई सवाल
हाल ही में, बांग्लादेश को इस्लामी राज्य घोषित करने की मांग उठी है। देश के अटॉर्नी जनरल ने हाल ही में एक हाई कोर्ट की सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि "समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता उस राष्ट्र की वास्तविकताओं को नहीं दर्शाते हैं जहां 90% आबादी मुस्लिम है। विश्लेषकों ने बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति की तुलना अफगानिस्तान और पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य से की है। छात्र आंदोलनों के बाद हुए तख्तापलट और शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद, बांग्लादेश की स्थिति की तुलना अफगानिस्तान से की गई है। ISKCON के संत की गिरफ्तारी और उसके बाद हुई प्रतिक्रियाओं ने बांग्लादेश के भविष्य के बारे में कई सवाल खड़े कर दिए हैं, और देश किस दिशा में जाएगा यह देखना बाकी है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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