Rahul Scindia Viral Photo: संसद भवन में आयोजित 'हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान' कार्यक्रम के दौरान एक तस्वीर ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी. मंगलवार को सेंट्रल हॉल में राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात ने सभी का ध्यान खींचा. ये वही दो नेता हैं, जिनकी दोस्ती कभी राजनीति में मिसाल थी, लेकिन वक्त और घटनाओं ने इस रिश्ते में ऐसी दरार डाली कि दोनों राजनीतिक विरोधी बन गए. चार साल बाद इन दोनों नेताओं की मुलाकात और हाथ मिलाने की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
दोस्ती से विरोध तक का सफर
राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया का रिश्ता कभी गहरी दोस्ती का था. दोनों ने राजनीति के शुरुआती सफर में साथ काम किया और एक-दूसरे के लिए सार्वजनिक तौर पर तारीफें कीं. लेकिन 2020 में मध्य प्रदेश के सियासी घटनाक्रम ने सब कुछ बदल दिया. सिंधिया ने अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. जिसके बाद राज्य में कमलनाथ की सरकार गिर गई. इस फैसले ने राहुल गांधी और सिंधिया के रिश्ते में बड़ी दरार डाल दी.
संसद भवन में हुआ अप्रत्याशित मिलन
'हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान' कार्यक्रम के दौरान सेंट्रल हॉल में राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया आमने-सामने आए. दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और कुछ देर बातचीत की. इस नजारे ने वहां मौजूद कांग्रेस नेताओं को चौंका दिया. तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होते ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया. हालांकि, इस मुलाकात पर न तो राहुल और न ही सिंधिया ने कोई प्रतिक्रिया दी है.
प्रियंका गांधी और सिंधिया के बीच कड़वाहट
सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद गांधी परिवार और उनके रिश्ते में भी खटास आ गई. हाल ही में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रियंका गांधी ने सिंधिया पर जमकर हमला बोला. उन्होंने सिंधिया को अहंकारी और ग्वालियर-चंबल की जनता को धोखा देने वाला बताया. इस पर सिंधिया ने भी पलटवार करते हुए प्रियंका गांधी को 'पार्ट टाइम अभिनेत्री' कहकर जवाब दिया था.
कभी मिसाल थी दोस्ती
राहुल और सिंधिया की दोस्ती कभी राजनीति में प्रेरणा मानी जाती थी. दोनों युवा नेताओं ने पार्टी की नीतियों को बढ़ाने और चुनावी रणनीति में साथ काम किया. राहुल गांधी ने कई मौकों पर सिंधिया को अपना भरोसेमंद साथी बताया था. लेकिन सत्ता और विचारधारा के मतभेदों ने इस दोस्ती को तोड़ दिया.
चार साल बाद का बदला हुआ समीकरण
चार साल बाद जब राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक-दूसरे से मुलाकात की, तो यह नजारा अप्रत्याशित था. जहां एक तरफ सिंधिया अब मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं, वहीं राहुल गांधी कांग्रेस के प्रमुख चेहरे के रूप में विपक्ष का नेतृत्व कर रहे हैं. यह तस्वीर बताती है कि राजनीति में रिश्ते कितने जटिल और अस्थिर हो सकते हैं.
तस्वीर पर चर्चाओं का दौर
सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. कुछ इसे सामान्य शिष्टाचार मानते हैं, तो कुछ इसे पुराने रिश्तों की संभावित पुनर्बहाली का संकेत. हालांकि, राजनीति में ऐसी तस्वीरें अकसर केवल सियासी चर्चाओं का मुद्दा बनकर रह जाती हैं.
क्या यह एक नई शुरुआत है?
राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात से ज्यादा चर्चा उनके जज्बातों की हो रही है. क्या यह सिर्फ औपचारिकता थी या किसी नए राजनीतिक समीकरण की शुरुआत? इसका जवाब वक्त ही देगा. लेकिन एक बात साफ है कि राजनीति की दुनिया में दोस्ती और दुश्मनी दोनों ही स्थायी नहीं होतीं.
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