दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हवा की खतरनाक स्थिति हर साल चिंता का विषय बनती है. इसी कड़ी में IIT कानपुर की सात साल की रिसर्च (2017-2023) पर आधारित एक स्टडी इसी साल बाते महीने जारी की गई. यह रिपोर्ट दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण और इसके खतरनाक असर को समझने के लिए बेहद अहम है.
स्टडी में क्या-क्या बताया गया?
बाहर जाने का सही समय: बच्चों, बुजुर्गों और सभी लोगों के लिए दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे के बीच बाहर निकलना सबसे सुरक्षित है.
स्कूल की छुट्टियों और यात्राओं की प्लानिंग: नवंबर के पहले दो हफ्ते स्कूल ब्रेक, छुट्टियां या दिल्ली से बाहर जाने के लिए सबसे अच्छे माने गए हैं.
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बालकनी और दरवाजे कब खोलें: स्टडी में सुझाव दिया गया है कि बालकनी और दरवाजे दोपहर में ही खोले जाएं और रात को बंद कर दिए जाएं.
निर्माण कार्य पर रोक: गैर-जरूरी निर्माण कार्यों को फरवरी तक टालने की सलाह दी गई है.
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PM 2.5 और प्रदूषण के आंकड़े
स्टडी में बताया गया है कि पीएम 2.5 प्रदूषण अक्टूबर से जनवरी के बीच सबसे ज्यादा रहता है. सुबह 10 बजे से 11 बजे के बीच प्रदूषण का स्तर सबसे खराब पाया गया. इसके अनुसार अक्टूबर के तीसरे हफ्ते से लेकर नवंबर के तीसरे हफ्ते तक प्रदूषण लगातार बढ़ता रहता है. जनवरी के पहले हफ्ते में गंभीर वायु गुणवत्ता (Severe AQI) की वापसी की संभावना अधिक होती है.
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दिल्ली में प्रदूषण का हाल
दिल्ली की हवा हर सर्दी में जहरीली हो जाती है. पराली जलाने, वाहनों से होने वाला प्रदूषण, निर्माण कार्य और सर्दियों में ठंडी हवा का जमाव इस समस्या को और बढ़ा देता है. दिल्ली कई सालों से दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शामिल रही है. हाल ही में एक रिपोर्ट में दिल्ली और भारतीय शहरों के नाम दुनिया के टॉप 10 प्रदूषित शहरों में शामिल हुए.
यह स्टडी दिखाती है कि कैसे छोटे बदलाव और सावधानियां हमें इस जहरीली हवा से बचाने में मदद कर सकते हैं.
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