कहीं पूरे गांव, कहीं हाउसिंग सोसाइटी तो कहीं कृष्ण नगरी के द्वीप पर दावा... वक्फ की संपत्तियों के 5 बड़े विवाद

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संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है. इस सत्र में वक्फ बोर्ड पर नया बिल आ सकता है. इस बिल को मॉनसून सत्र में लोकसभा में पेश किया गया था. लेकिन बाद में इसे संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी को भेज दिया गया था. इस बिल पर जेपीसी की बैठक में कई बार हंगामा हुआ. अब जब इसे संसद में पेश किया जाएगा तो हंगामा होना तय है.

पर सवाल उठता है कि संशोधन की जरूरत क्यों? वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाला कानून 1954 से है. अब सरकार इसमें संशोधन करने जा रही है. सरकार का दावा है कि नया कानून, मौजूदा कानून की खामियों को दूर करेगा. साथ ही वक्फ की संपत्तियों का पहले से बेहतर मैनेजमेंट हो सकेगा.

वक्फ की संपत्तियां अक्सर विवादों में रहती है. वो इसलिए क्योंकि ऐसी संपत्तियां अल्लाह के नाम पर होती हैं और इनका कोई वारिस नहीं होता. हालांकि, 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एक बार जो संपत्ति वक्फ हो जाती है, वो हमेशा वक्फ रहती है.

वक्फ की संपत्तियों पर विवाद

हाल ही में वक्फ की कई संपत्तियों पर विवाद खड़ा हुआ है. हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली में 200 से ज्यादा ऐसी संपत्तियों को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया है, जो दो अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के नियंत्रण में थीं.

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सितंबर में इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया था कि वक्फ घोषित की गईं 108 संपत्तियों का नियंत्रण एल एंड डीओ के पास था, जबकि 138 संपत्तियां दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास थीं. ये जानकारी अधिकारियों ने संसद की जेपीसी को दी थी.

केरल में काफी लंबे वक्त से वक्फ की संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है. केरल के एर्नाकुलम जिले में पड़ने वाले मुनम्बम तट के पास की 404 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड लंबे वक्त से दावा कर रहा है. इस जमीन पर 600 से ज्यादा हिंदू और ईसाई परिवार रहते हैं.

इसी तरह से कर्नाटक के चिकबल्लापुर तालुक के कंडावारा में सरकारी स्कूल की 0.02 एकड़ जमीन को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया है. सरकारी स्कूल की इस जमीन पर कुछ साल पहले दाऊद शाह वली की दरगाह बनी थी. रेवेन्यू रिकॉर्ड में इस जमीन को वक्फ की संपत्ति बताया गया है. कई साल से यहां के लोग और शिक्षक जमीन को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

कर्नाटक के ही बीदर जिले के तोराना गांव में 4 एकड़ से ज्यादा जमीन पर वक्फ ने दावा किया है. इस जमीन पर एक अस्पताल बना है.

वक्फ की कितनी संपत्तियां विवादों में?

केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से वक्फ असेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) बनाया गया है. इस डेटाबेस में वक्फ की संपत्तियों का रिकॉर्ड रखा जाता है.

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डेटाबेस के मुताबिक, देश के 30 राज्यों में वक्फ के पास 8.72 लाख से ज्यादा संपत्ति है. इन संपत्तियों में सबसे ज्यादा मस्जिद, कब्रिस्तान और खेती की जमीन हैं. इनमें से 73 हजार से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं, जिन पर विवाद है.

जिन संपत्तियों को विवादित माना गया है, उनमें वो शामिल हैं, जिन पर कोई मुकदमा चल रहा है या फिर अतिक्रमण किया गया है. ऐसी संपत्तियों को भी विवाद माना गया है, जिसमें मालिक ने अवैध हस्तांतरण का दावा किया है. लगभग 8 हजार संपत्तियों का विवा अदालतों में है.

सबसे ज्यादा विवादित संपत्तियां पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में है. पंजाब में वक्फ की 56 फीसदी से ज्यादा संपत्तियों पर विवाद है.

वक्फ संपत्तियों के 5 बड़े विवाद

1. तमिलनाडु के तिरुचेंतुरई गांव की पूरी जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया है. कहा जाता है कि इस जमीन को 1956 में नवाब अनवरदीन खान ने वक्फ के लिए दान कर दिया था. वक्फ की संपत्ति होने के कारण यहां की जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक है. जमीन की गैरकानूनी बिक्री रोकने के लिए वक्फ बोर्ड ने इसे 'जीरो वैल्यू' के तौर पर रजिस्टर करने की मांग की थी. हालांकि, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने यहां के किसी भी तरह के लेन-देन पर रोक लगा दी है.

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2. बेंगलुरु के ईदगाह ग्राउंड पर भी विवाद है. सरकार के मुताबिक, यहां की जमीन कभी भी किसी मुस्लिम संगठन या वक्फ को नहीं दी गई. लेकिन वक्फ बोर्ड का दावा है कि 1850 से ये वक्फ की संपत्ति है, इसलिए हमेशा वक्फ की ही संपत्ति रहेगी.

3. हाल ही में गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की बिल्डिंग पर दावा किया था. वक्फ बोर्ड का दावा है कि मुगल काल के दौरान सूरत नगर निगम की इमारत एक सराय थी और हज यात्रा के दौरान इसका इस्तेमाल होता था. ब्रिटिश शासन के दौरान ये संपत्ति अंग्रेजों के पास चली गई. लेकिन 1947 में जब आजादी मिली तो सारी संपत्तियां भारत सरकार के पास आ गई.

4. गुजरात वक्फ बोर्ड ने द्वारका में बेट द्वारका के दो द्वीपों पर भी दावा किया था. इस पर दावे की मांग को लेकर वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने इस याचिका को ये कहते हुए सुनने से इनकार कर दिया था कि वक्फ बोर्ड कृष्ण नगरी द्वारका की जमीन पर दावा कैसे कर सकता है.

5. सूरत की शिव सोसायटी में रहने वाले एक शख्स ने अपने प्लॉट को गुजरात वक्फ बोर्ड को दे दिया. इसके बाद यहां लोगों ने नमाज अदा करना शुरू कर दिया. इसका मतलब ये था कि किसी भी हाउसिंग सोसायटी में कोई व्यक्ति किसी अपार्टमेंट या जमीन को बाकी लोगों की मंजूरी के बिना वक्फ को दे सकता है और वो जगह मस्जिद बन सकती है. अब यहां काफी तनाव बना रहता है.

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वक्फ संपत्ति होती क्या है?

वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति होती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला व्यक्ति अल्लाह या धर्म के नाम पर दान करता है. एक बार जो संपत्ति वक्फ की हो गई, वो हमेशा वक्फ की ही रहती है. माना जाता है कि अल्लाह के अलावा वक्फ संपत्ति का मालिक न कोई होता है और न हो सकता है.

वक्फ एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है ठहरना. वक्फ संपत्ति को न तो खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है. ऐसी संपत्ति किसी के नाम भी नहीं की जा सकती.

जानकार बताते हैं कि किसी संपत्ति को वक्फ कर देना का मतलब है उसे अल्लाह के नाम कर देना. वक्फ संपत्ति से जो भी फायदा होता है, उसका इस्तेमाल जरूरतमंदों के लिए किया जाता है.

इस्लाम को मानने वाला जो व्यक्ति अपनी संपत्ति दान करता है, उसे 'वाकिफ' कहा जाता है. ऐसी संपत्ति का प्रबंधन करने वाले को 'मुतवल्ली' कहा जाता है. इन संपत्तियों के प्रबंधन की निगरानी वक्फ बोर्ड के पास होती है.

हर राज्य में वक्फ बोर्ड है. झारखंड और यूपी में शिया और सुन्नी के अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं. कुल मिलाकर देशभर में 32 वक्फ बोर्ड हैं. वक्फ बोर्ड से ऊपर सेंट्रल वक्फ काउंसिल होती है.

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वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति?

केंद्र सरकार के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां भारत में हैं. वक्फ बोर्ड के पास 8.72 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ में फैली हैं. इनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है. रेलवे और रक्षा विभाग के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास ही है.

कानून क्यों बदलना चाहती है सरकार?

वक्फ की संपत्तियों के प्रबंधन के लिए 1954 में वक्फ एक्ट लाया गया था. फिर 1995 और 2013 में इसमें संशोधन किया गया था. अब मोदी सरकार एक बार फिर कानून में संशोधन करने की तैयारी कर रही है.

अभी वक्फ की जमीन का सर्वे करने का अधिकार एडिशनल कमिश्नर के पास है. लेकिन प्रस्तावित बिल में प्रावधान है कि वक्फ की संपत्तियों को जिला कलेक्टर के पास रजिस्टर करवाना जरूरी होगा. वक्फ की संपत्तियों का सर्वे भी जिला कलेक्टर या डिप्टी कमिश्नर करेंगे.

सबसे बड़ा बदलाव वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक ढांचे में होगा. वक्फ बोर्ड में चुने हुए सदस्य होते हैं. ये सदस्य एक चेयरमैन का चुनाव करते हैं. लेकिन प्रस्तावित बिल के मुताबिक, वक्फ बोर्ड के सभी सदस्यों को सरकार नामित करेगी. बोर्ड में दो सदस्य गैर-मुस्लिम भी होंगे.

अभी अगर किसी संपत्ति को वक्फ घोषित किया जाता है और उस पर आपत्ति होती है तो इसे वक्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जा सकती थी. ट्रिब्यूनल ही तय करता था कि संपत्ति वक्फ है या नहीं. वक्फ ट्रिब्यून में तीन सदस्य होते हैं. प्रस्तावित बिल के मुताबिक, अब वक्फ ट्रिब्यूनल में तीन की बजाय दो सदस्य होंगे. ट्रिब्यूनल के फैसले को अंतिम नहीं माना जाएगा और 90 दिन के भीतर उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी.

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इतना ही नहीं, प्रस्तावित बिल अगर कानून बनता है तो जिन लोगों की संपत्ति को अतिक्रमण कर वक्फ ने 12 साल पहले कब्जा किया था, वो उन्हें वापस मिल जाएगी.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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