महाराष्ट्र के नतीजों का देश की राजनीति पर कितना पड़ेगा असर? 6 पॉइंट्स में समझें

4 1 6
Read Time5 Minute, 17 Second

महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ली है, जबकि कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का सफाया हो गया है. महायुति ने 288 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 233 सीटें जीत ली हैं. जबकि एमवीए सिर्फ़ 49 सीटों पर सिमट गया है. भाजपा ने 149 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 132 सीटों पर विजय पताका फहराया है. बीजेपी की ये जीत बहुत बड़ी है, इसका असर आगे भी दिखेगा, ऐसा इसलिए, क्योंकि महाराष्ट्र एक प्रयोगशाला बन गया है और विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को कई तरह से प्रभावित करने वाले हैं.

आइए महाराष्ट्र की प्रयोगशाला से निकले 6 बड़े नतीजों पर एक नज़र डालते हैं... यहां की लड़ाई 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ी थी और भाजपा की हरियाणा में जीत के तुरंत बाद हुई थी.

1. वक्फ बिल समेत अन्य विधेयकों का भाग्य होगातय

लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की, भले ही सीटों के नंबर कम रहे, लेकिन भाजपा एनडीए सहयोगियों की मदद से सरकार चला रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुधार के मोर्चे पर किसी भी तरह की कमजोरी नहीं दिखाई है और आयुष्मान भारत चिकित्सा बीमा कवर को बढ़ाया है, संयुक्त पेंशन योजना शुरू की है, हालांकि, लेटरल एंट्री स्कीम और ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल के मामले में कुछ नरमी भी बरती गई. सरकार ने साहसिक वक्फ बिल भी पेश किया, जिसका मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया. वक्फ बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया, जो अब अपनी रिपोर्ट के साथ तैयार है.

Advertisement

हरियाणा में ऐतिहासिक जीत के तुरंत बाद महाराष्ट्र में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से केंद्र सरकार का आत्मविश्वास बढ़ेगा. मोदी सरकार अब वक्फ विधेयक पर पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगी, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में सुधार करना है. इससे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को आगे बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के रूप में फिर से ब्रांड किया है. वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट पर बहस शीतकालीन सत्र में ही हो सकती है.

2. 'एक हैं तो सेफ हैं' नारे के साथ हिंदू एकजुटता पर फोकस

लोकसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा था. जहां मुस्लिम वोट विपक्षी दलों को मिले, वहीं जाति जनगणना के इर्द-गिर्द कांग्रेस के अभियान ने भाजपा के वोटों में सेंध लगाई. 2014 और 2019 के आम चुनावों में भाजपा सभी जातियों और समुदायों से वोट पाने में सफल रही, जो 2024 में नहीं हुआ. लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारा खूब गूंजा. फडणवीस ने चेतावनी दी, "बटेंगे तो कटेंगे". वहीं धुले में प्रचार करते हुए पीएम मोदी ने भी "एक है तो सेफ हैं" का नारा दिया. वहीं, आरएसएस ने जाति के आधार पर हिंदू वोटों के विभाजन को रोकने के लिए 'सजग रहो' (सतर्क रहो) अभियान के लिए 65 संगठनों को शामिल किया. लिहाजा, महाराष्ट्र हिंदुत्व 2.0 की प्रयोगशाला बन गया है और यहां वोटों को एकजुट करने में आरएसएस-भाजपा की सफलता संभवतः राष्ट्रीय स्तर पर दोहराई जाएगी.

Advertisement

3. कांग्रेस के साथ सीधी लड़ाई में भाजपा काफी आगे

महाराष्ट्र में कांग्रेस की करारी हार यह भी दिखाती है कि वह भाजपा से सीधे मुकाबले में कैसे हारती है. महाराष्ट्र में 76 सीटों के नतीजे, जहां दोनों के बीच सीधी टक्कर थी, सबसे ज्यादा उत्सुकता से देखे गए. इनमें से 36 विदर्भ में थीं, जो एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने जीत दर्ज की है. भाजपा का उत्थान और कांग्रेस का पतन सीधे मुकाबलों में पार्टियों के प्रदर्शन से साफ है, जो पार्टी की संगठनात्मक ताकत और लोकप्रियता को दर्शाता है. भाजपा के साथ सीधे मुकाबले में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 2019 के लोकसभा चुनाव में 8% से बढ़कर 2024 में 30% हो गया. भाजपा का स्ट्राइक रेट 92% से गिरकर 70% हो गया. हालांकि हरियाणा में कहानी उलट गई, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था. कांग्रेस, भाजपा को लगातार तीसरी बार सरकार बनाने से रोकने में विफल रही.

हरियाणा में सीधी लड़ाई में कांग्रेस हार गई. इससे पहले कांग्रेस को मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हार का मुंह देखना पड़ा था. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे इस धारणा को और पुख्ता करते हैं कि सीधी लड़ाई के मामले में भाजपा कांग्रेस से कहीं आगे है. महाराष्ट्र के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि भाजपा एक मजबूत चुनावी मशीनरी है. यह जीत पार्टी के आत्मविश्वास को बढ़ाती है, क्योंकि वह फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनावों से शुरू होने वाले 2025 के चुनाव चक्र के लिए तैयार है.

Advertisement

4. कांग्रेस ने सहयोगियों के साथ बातचीत में अपनी ताकत खो दी

हरियाणा में कांग्रेस को मिली शर्मनाक हार के बाद इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के लिए विरोध के सुर तेज होने लगे थे. जो अब महाराष्ट्र में पार्टी की करारी हार के बाद और तीखे हो सकते हैं. हरियाणा में, कांग्रेस ने इंडिया ब्लॉक की सहयोगी आम आदमी पार्टी को साथ नहीं लिया. उद्धव गुट के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में हरियाणा में कांग्रेस की हार के लिए पार्टी के "राज्य नेतृत्व के अति आत्मविश्वास और अहंकार" को जिम्मेदार ठहराया गया. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस ने बड़ा भागीदार बनने की कोशिश की और उद्धव ठाकरे को सीएम चेहरे के रूप में पेश नहीं होने दिया. महाराष्ट्र में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से इंडिया ब्लॉक के कई सहयोगी विद्रोह कर सकते हैं. पहली चुनौती AAP की हो सकती है, क्योंकि दिल्ली में चुनाव अगला बड़ा इम्तिहान होगा.

झारखंड में कांग्रेस की जीत से यह भी पता चलता है कि कांग्रेस अपने क्षेत्रीय सहयोगियों पर कितनी निर्भर है. झारखंड में कांग्रेस हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की जूनियर पार्टनर थी. भाजपा एक मजबूत शक्ति केंद्र के रूप में उभरी है, जो एनडीए सहयोगियों को अपने साथ जोड़े रख सकती है, जबकि कांग्रेस सहयोगियों को अपने साथ जोड़े रखने में कमजोर साबित हो रही है.

Advertisement

5. लोकलुभावन वादे और विकास का मिश्रण

महाराष्ट्र में बड़ी परियोजनाएं दांव पर लगी थीं. कांग्रेस के नेतृत्व वाली एमवीए नकद सहायता का वादा करके मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही थी, इसने महायुति को लाडकी बहिन योजना में ज्यादा नकद गारंटी का वादा करने के लिए मजबूर किया. एनडीए सहयोगियों ने रिवाइवल की लड़ाई के बीच जो सही किया, वह बुनियादी ढांचे के विकास का सही कॉम्बिनेशन था. महायुति के सत्ता में वापस आने के बाद वह मुंबई की सड़कों के कंक्रीटीकरण, महालक्ष्मी रेस कोर्स में खुले पार्क और गरगई पिंजल जल परियोजनाओं को आगे बढ़ाएगी. इन परियोजनाओं को महायुति भागीदारों द्वारा उजागर किया गया है.

अगर एमवीए ने महायुति सरकार को गिरा दिया होता, तो इससे धारावी पुनर्विकास परियोजना में बाधा उत्पन्न होती. शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गियों में से एक धारावी के पुनर्विकास के लिए अडानी समूह को दिए गए टेंडर को रद्द कर देंगे. एक तरह से नतीजों ने तय कर दिया है कि चुनाव लोकलुभावन रियायतों और जमीन पर वास्तविक विकास से कितना निर्धारित होता है.

6. अडानी मुद्दा और शीतकालीन सत्र में हंगामे के आसार

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक हंगामेदार शीतकालीन सत्र की ओर इशारा किया है, जो सोमवार (25 नवंबर) से शुरू होने वाला है. अमेरिका में अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी पर लगे आरोपों के मुद्दे पर राहुल गांधी ने सरकार को घेरने की योजना बनाई है. लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस को मिली हार के बाद उसके पास तीखे हमले करने का जज्बा नहीं रह गया है, महाराष्ट्र में हर चुनावी रैली में कांग्रेस नेता मोदी सरकार पर अडानी ग्रुप से संबंध स्थापित करके पूंजीवाद का आरोप लगाते रहे. महाराष्ट्र में भाजपा की भारी जीत से यह साबित होता है कि ऐसे आरोपों का चुनावी असर नहीं होता. यह पहले के चुनावों में भी सच था. भाजपा को यह देखकर कि ऐसे आरोपों का मतदाताओं पर कोई असर नहीं होता, वह विपक्ष के हमले की धज्जियां उड़ा सकती है.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

पर्थ टेस्ट: यशस्वी जायसवाल के 150 रन पूरे, भारत की लीड 330 के पार पहुंची

News Flash 24 नवंबर 2024

पर्थ टेस्ट: यशस्वी जायसवाल के 150 रन पूरे, भारत की लीड 330 के पार पहुंची

Subscribe US Now