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नई दिल्ली: गौतम अडानी की ग्रुप कंपनियों पर अमेरिका में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने यहां भारत में बवाल खड़ा कर दिया है। कंपनी पर आरोप है कि उसने बिजली परियोजनाओं के लिए रिश्वत दी थी। यह मामला 2019 से 2020 के बीच का है। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। अडानी ग्रुप पर आरोप है कि उसने अज्योर पावर को रिश्वत दी थी। बदले में अडानी ग्रुप को SECIL से ऊंची कीमत पर बिजली खरीदने का ठेका मिला था। यह पूरा मामला मार्च 2023 में सामने आया था। यह याद रखना जरूरी है कि अभियोग में लगे आरोप सिर्फ आरोप हैं, और जब तक किसी व्यक्ति को दोषी साबित नहीं किया जाता, तब तक उसे निर्दोष माना जाता है। खैर, आइए कथित अडानी रिश्वतखोरी केस की पूरी टाइमलाइन देखें...
➤ अज्योर पावर को भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) को 4 गीगावाट बिजली बेचनी थी, जिससे उसे 20 साल में लगभग 14 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा होने की उम्मीद थी।
➤ वहीं, अडानी ग्रीन पावर को 8 गीगावाट बिजली सप्लाई करनी थी।
➤ SECI को इस बिजली को खरीदने के लिए राज्य सरकारों की बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) को ढूंढना था। लेकिन बिजली की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें खरीदार मिलने में दिक्कत आ रही थी।
➤ कथित तौर पर, इसी वजह से रिश्वतखोरी का खेल शुरू हुआ।
➤ 5 मार्च, 2021 को अडानी समूह की चार कंपनियों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया। आरोप है कि उन्होंने कर्ज लेते समय रिश्वतखोरी विरोधी नीतियों के बारे में झूठी जानकारी दी।
➤ 7 अगस्त, 2021 से 20 नवंबर, 2021 के बीच गौतम अडानी ने आंध्र प्रदेश सरकार के एक अधिकारी से मुलाकात की।
➤ यह मुलाकात SECI और राज्य सरकार के बीच बिजली खरीद समझौते (PSA) पर दस्तखत करने के लिए थी।
➤ आरोप है कि गौतम अडानी, सागर अडानी और वीनीत जैन ने सरकारी अधिकारियों को 2,029 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की।
➤ इसमें से 1,750 करोड़ रुपये विदेशी अधिकारी 1 (आंध्र प्रदेश के अधिकारी) को समझौते के लिए देने की बात थी।
➤ जुलाई 2021 से फरवरी 2022 तक, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की डिस्कॉम ने भी SECI के साथ बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए।
➤ 8 सितंबर, 2021 को अडानी समूह ने अमेरिका में 5,600 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए।
➤ दिसंबर 2021 में आंध्र प्रदेश सरकार ने 7 गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने के लिए सहमति जताई।
➤ 25 अप्रैल, 2022 को गौतम अडानी के साथ एक बैठक से पहले अज़्योर के सीईओ रंजीत गुप्ता और एक वरिष्ठ अधिकारी (सह-षड्यंत्रकारी 2) को वीनीत जैन ने एक तस्वीर दिखाई।
➤ इस तस्वीर में दिखाया गया था कि अज़्योर पर अडानी ग्रीन का 638 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो समझौता हासिल करने के लिए दी गई रिश्वत का पैसा था।
➤ 26 अप्रैल, 2022 को अज़्योर पावर ने गुप्ता और सह-षड्यंत्रकारी 2 को इस्तीफा देने के लिए कहा।
➤ यह फैसला सार्वजनिक कर दिया गया।
➤ 29 अप्रैल, 2022 को अज़्योर में निवेश करने वाली कंपनी CDPQ के सिरिल कैबेंस और सौरभ अग्रवाल ने रूपेश और अज़्योर के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष (सह-षड्यंत्रकारी 1) को कहा कि दोनों अहमदाबाद में अडानी और जैन से मिलें।
➤ यह मुलाकात गौतम अडानी के कहने पर आयोजित की गई थी, क्योंकि वो अज़्योर की नई लीडरशिप से मिलना चाहते थे।
2. अज्योर पर लगभग 3 गीगावाट का समझौता हासिल करने के लिए प्रति मेगावाट 25 लाख रुपये का कर्ज था।
3. रिश्वत देने के लिए गौतम अडानी ने व्यक्तिगत रूप से क्या कदम उठाए।
➤ इसके बाद, अज्योर टीम ने चर्चा की कि अडानी को पैसा कैसे चुकाया जाए।
➤ 14 जून, 2022 को अहमदाबाद में एक और बैठक हुई। इस बैठक में 'सह-षड्यंत्रकारी 1' ने कहा कि अज़्योर 2.3 गीगावाट का कॉन्ट्रैक्ट SECI को वापस कर देगा।
➤ यह समझौता हुआ कि अडानी या उसकी सहायक कंपनी को यह प्रोजेक्ट मिलेगा।
➤ अज्योर ने 650 मेगावाट के समझौते के लिए रिश्वत के अपने हिस्से का भुगतान करने पर भी सहमति व्यक्त की।
➤ 22 नवंबर, 2022 को अज़्योर के बोर्ड ने SECI के साथ 2.3 गीगावाट के कॉन्ट्रैक्ट से हटने की योजना को मंजूरी दे दी।
➤ हालांकि, बोर्ड को रिश्वत के बारे में अंधेरे में रखा गया।
➤ 17 मार्च, 2023 को अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI ने सर्च वारंट के साथ सागर अडानी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ज़ब्त कर लिया।
➤ एक साल बाद भी, उन्होंने किसी भी रिश्वतखोरी की जांच से इनकार किया।
➤ 5 दिसंबर, 2023 को अडानी समूह की पांच कंपनियों ने करीब 10,900 करोड़ रुपये का कर्ज लिया।
➤ 12 मार्च, 2024 को अडानी समूह की तीन कंपनियों ने बॉन्ड के ज़रिए 3,270 करोड़ रुपये जुटाए।
➤ 18 मार्च, 2024 को गौतम अडानी ने सर्च वारंट के हर पन्ने को खुद को ईमेल किया।
➤ 18 मार्च, 2024 को SECI ने अज़्योर और अडानी को 2.3 गीगावाट पीपीए के दोबारा आवंटन के बारे में पत्र लिखा।
➤ 28 मार्च, 2024 को अज़्योर ने 650 मेगावाट पीपीए से खुद को वापस ले लिया।
➤ यह रिश्वत बाजार से ज्यादा दामों पर बिजली खरीदने के लिए सरकारी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए दी गई थी, जिससे अडानी ग्रीन और अज़्योर पावर को फायदा होता।
➤ उन पर संघीय प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी विरोधी प्रावधानों का उल्लंघन करने का भी आरोप है।
➤ अज्योर पावर के बोर्ड के पूर्व सदस्य सिरिल कैबेंस पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) के तहत उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
➤ कैबेंस पर आरोप है कि उन्होंने 'रिश्वतखोरी घोटाले' में अपनी भूमिका निभाते हुए रिश्वत को मंज़ूरी दिलाने में मदद की।
➤ कैबेंस ने कथित तौर पर अमेरिका और विदेशों में रहते हुए इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत को मंजूरी दी।
2. प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश।
3. वायर फ्रॉड की साजिश।
4. 2021 के 144 बॉन्ड जारी करने से जुड़ी सिक्यॉरिटीज फ्रॉड।
5. कानूनी प्रक्रिया में बाधा डालने की साजिश।
तेजल डी शाह SEC के प्रवर्तन विभाग में एसोसिएट रीजनल डायरेक्टर हैं। वो न्यू यॉर्क स्थित SEC ऑफिसर की प्रमुख के रूप में जांच में सबसे आगे हैं। इससे पहले, वो SEC में प्रवर्तन निदेशक की वरिष्ठ विशेष वकील थीं। नियामक में शामिल होने से पहले वो एक वकील थीं। उन्होंने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और कॉर्नेल विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है।
दिसंबर 2019 से जुलाई 2020 के बीच
➤ अज्योर पावर और अडानी ग्रीन पावर ने भारत सरकार की कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट के कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए।➤ अज्योर पावर को भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) को 4 गीगावाट बिजली बेचनी थी, जिससे उसे 20 साल में लगभग 14 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा होने की उम्मीद थी।
➤ वहीं, अडानी ग्रीन पावर को 8 गीगावाट बिजली सप्लाई करनी थी।
➤ SECI को इस बिजली को खरीदने के लिए राज्य सरकारों की बिजली कंपनियों (डिस्कॉम) को ढूंढना था। लेकिन बिजली की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें खरीदार मिलने में दिक्कत आ रही थी।
➤ कथित तौर पर, इसी वजह से रिश्वतखोरी का खेल शुरू हुआ।
➤ 5 मार्च, 2021 को अडानी समूह की चार कंपनियों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया। आरोप है कि उन्होंने कर्ज लेते समय रिश्वतखोरी विरोधी नीतियों के बारे में झूठी जानकारी दी।
➤ 7 अगस्त, 2021 से 20 नवंबर, 2021 के बीच गौतम अडानी ने आंध्र प्रदेश सरकार के एक अधिकारी से मुलाकात की।
➤ यह मुलाकात SECI और राज्य सरकार के बीच बिजली खरीद समझौते (PSA) पर दस्तखत करने के लिए थी।
➤ आरोप है कि गौतम अडानी, सागर अडानी और वीनीत जैन ने सरकारी अधिकारियों को 2,029 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की।
➤ इसमें से 1,750 करोड़ रुपये विदेशी अधिकारी 1 (आंध्र प्रदेश के अधिकारी) को समझौते के लिए देने की बात थी।
➤ जुलाई 2021 से फरवरी 2022 तक, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की डिस्कॉम ने भी SECI के साथ बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए।
➤ 8 सितंबर, 2021 को अडानी समूह ने अमेरिका में 5,600 करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए।
➤ दिसंबर 2021 में आंध्र प्रदेश सरकार ने 7 गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने के लिए सहमति जताई।
➤ 25 अप्रैल, 2022 को गौतम अडानी के साथ एक बैठक से पहले अज़्योर के सीईओ रंजीत गुप्ता और एक वरिष्ठ अधिकारी (सह-षड्यंत्रकारी 2) को वीनीत जैन ने एक तस्वीर दिखाई।
➤ इस तस्वीर में दिखाया गया था कि अज़्योर पर अडानी ग्रीन का 638 करोड़ रुपये का कर्ज है, जो समझौता हासिल करने के लिए दी गई रिश्वत का पैसा था।
➤ 26 अप्रैल, 2022 को अज़्योर पावर ने गुप्ता और सह-षड्यंत्रकारी 2 को इस्तीफा देने के लिए कहा।
➤ यह फैसला सार्वजनिक कर दिया गया।
➤ 29 अप्रैल, 2022 को अज़्योर में निवेश करने वाली कंपनी CDPQ के सिरिल कैबेंस और सौरभ अग्रवाल ने रूपेश और अज़्योर के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष (सह-षड्यंत्रकारी 1) को कहा कि दोनों अहमदाबाद में अडानी और जैन से मिलें।
➤ यह मुलाकात गौतम अडानी के कहने पर आयोजित की गई थी, क्योंकि वो अज़्योर की नई लीडरशिप से मिलना चाहते थे।
बैठक में चर्चा के मुद्दे
1. रिश्वतखोरी कैसे की गई, और कैसे इसे कनाडा के निवेशक ने मंजूरी दी।2. अज्योर पर लगभग 3 गीगावाट का समझौता हासिल करने के लिए प्रति मेगावाट 25 लाख रुपये का कर्ज था।
3. रिश्वत देने के लिए गौतम अडानी ने व्यक्तिगत रूप से क्या कदम उठाए।
➤ इसके बाद, अज्योर टीम ने चर्चा की कि अडानी को पैसा कैसे चुकाया जाए।
➤ 14 जून, 2022 को अहमदाबाद में एक और बैठक हुई। इस बैठक में 'सह-षड्यंत्रकारी 1' ने कहा कि अज़्योर 2.3 गीगावाट का कॉन्ट्रैक्ट SECI को वापस कर देगा।
➤ यह समझौता हुआ कि अडानी या उसकी सहायक कंपनी को यह प्रोजेक्ट मिलेगा।
➤ अज्योर ने 650 मेगावाट के समझौते के लिए रिश्वत के अपने हिस्से का भुगतान करने पर भी सहमति व्यक्त की।
➤ 22 नवंबर, 2022 को अज़्योर के बोर्ड ने SECI के साथ 2.3 गीगावाट के कॉन्ट्रैक्ट से हटने की योजना को मंजूरी दे दी।
➤ हालांकि, बोर्ड को रिश्वत के बारे में अंधेरे में रखा गया।
➤ 17 मार्च, 2023 को अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI ने सर्च वारंट के साथ सागर अडानी के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ज़ब्त कर लिया।
➤ एक साल बाद भी, उन्होंने किसी भी रिश्वतखोरी की जांच से इनकार किया।
➤ 5 दिसंबर, 2023 को अडानी समूह की पांच कंपनियों ने करीब 10,900 करोड़ रुपये का कर्ज लिया।
➤ 12 मार्च, 2024 को अडानी समूह की तीन कंपनियों ने बॉन्ड के ज़रिए 3,270 करोड़ रुपये जुटाए।
➤ 18 मार्च, 2024 को गौतम अडानी ने सर्च वारंट के हर पन्ने को खुद को ईमेल किया।
➤ 18 मार्च, 2024 को SECI ने अज़्योर और अडानी को 2.3 गीगावाट पीपीए के दोबारा आवंटन के बारे में पत्र लिखा।
➤ 28 मार्च, 2024 को अज़्योर ने 650 मेगावाट पीपीए से खुद को वापस ले लिया।
अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) का क्या कहना है?
➤ गौतम और सागर अ़डानी पर रिश्वतखोरी का आरोप है। उन पर आरोप है कि उन्होंने 'भारतीय सरकारी अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत दी या देने का वादा किया'।➤ यह रिश्वत बाजार से ज्यादा दामों पर बिजली खरीदने के लिए सरकारी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए दी गई थी, जिससे अडानी ग्रीन और अज़्योर पावर को फायदा होता।
➤ उन पर संघीय प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी विरोधी प्रावधानों का उल्लंघन करने का भी आरोप है।
➤ अज्योर पावर के बोर्ड के पूर्व सदस्य सिरिल कैबेंस पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) के तहत उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
➤ कैबेंस पर आरोप है कि उन्होंने 'रिश्वतखोरी घोटाले' में अपनी भूमिका निभाते हुए रिश्वत को मंज़ूरी दिलाने में मदद की।
➤ कैबेंस ने कथित तौर पर अमेरिका और विदेशों में रहते हुए इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत को मंजूरी दी।
अमेरिकी न्याय विभाग ने अभियोग के लिए पांच मामले दर्ज किए हैं
1. FCPA का उल्लंघन करने की साजिश।2. प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश।
3. वायर फ्रॉड की साजिश।
4. 2021 के 144 बॉन्ड जारी करने से जुड़ी सिक्यॉरिटीज फ्रॉड।
5. कानूनी प्रक्रिया में बाधा डालने की साजिश।
हम उन व्यक्तियों की सख्ती से खोजबीन और उन्हें जवाबदेह बनाना जारी रखेंगे, जिनमें वरिष्ठ कॉर्पोरेट अधिकारी और निदेशक भी शामिल हैं, जब वे हमारे प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन करते हैं।
हम उन व्यक्तियों की सख्ती से खोजबीन और उन्हें जवाबदेह बनाना जारी रखेंगे, जिनमें वरिष्ठ कॉर्पोरेट अधिकारी और निदेशक भी शामिल हैं, जब वे हमारे प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन करते हैं।
भारतीय जांच से क्या संबंध है?
SEC के प्रवर्तन विभाग के कार्यवाहक निदेशक संजय वाधवा ने 2003 में एक स्टाफ अटॉर्नी के रूप में शुरुआत की थी। इससे पहले, उन्होंने एक कर सहयोगी के रूप में काम किया। उन्होंने फ्लोरिडा अटलांटिक विश्वविद्यालय से बीबीए किया है, और साउथ टेक्सास कॉलेज ऑफ लॉ, ह्यूस्टन और न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से भी पढ़ाई की है।यह अपराध कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों और निदेशकों द्वारा अमेरिकी निवेशकों की कीमत पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के माध्यम से बड़े पैमाने पर राज्य ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध प्राप्त करने और वित्तपोषित करने के लिए किए गए थे। आपराधिक प्रभाग भ्रष्ट, भ्रामक और अवरोधक आचरण के खिलाफ आक्रामक ढंग से कार्रवाई करता रहेगा जो अमेरिकी कानून का उल्लंघन करता है, चाहे वह दुनिया में कहीं भी हो।
तेजल डी शाह SEC के प्रवर्तन विभाग में एसोसिएट रीजनल डायरेक्टर हैं। वो न्यू यॉर्क स्थित SEC ऑफिसर की प्रमुख के रूप में जांच में सबसे आगे हैं। इससे पहले, वो SEC में प्रवर्तन निदेशक की वरिष्ठ विशेष वकील थीं। नियामक में शामिल होने से पहले वो एक वकील थीं। उन्होंने न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और कॉर्नेल विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है।
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