नई दिल्ली: इंडियन नेवी के लिए फ्रांस से 26 रफाल फाइटर जेट लिए जाने हैं। ये रफाल-एम यानी रफाल-मरीन हैं। हालांकि, इंडियन एयरफोर्स के पास पहले से ही फ्रांस से लिए रफाल फाइटर जेट हैं। लेकिन यह दोनों रफाल जेट बिल्कुल अलग हैं। जहां एयरफोर्स के फाइटर प
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नई दिल्ली: इंडियन नेवी के लिए फ्रांस से 26 रफाल फाइटर जेट लिए जाने हैं। ये रफाल-एम यानी रफाल-मरीन हैं। हालांकि, इंडियन एयरफोर्स के पास पहले से ही फ्रांस से लिए रफाल फाइटर जेट हैं। लेकिन यह दोनों रफाल जेट बिल्कुल अलग हैं। जहां एयरफोर्स के फाइटर पायलट को रनवे से या लैंडिंग ग्राउंड से टेकऑफ और लैंडिंग करनी होती है, वहीं नेवी के फाइटर पायलट को एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक से टेकऑफ और लैंड करना होता है। इसलिए नेवी के लिए फाइटर जेट और हेलिकॉप्टर एयरफोर्स से अलग होते हैं।जमीन पर एयरबेस में लंबा रनवे आम तौर पर जमीन पर एयरबेस में लंबा रनवे होता है। महासागर के बीच तैर रहे एयरक्राफ्ट कैरियर के ऊपर फाइटर जेट उतारना और यहां से उड़ान भरना काफी रोमांचक होता है, साथ ही मुश्किल भी। भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत की ही बात करें तो इसके फ्लाइट डेक के एक कोने में 14 डिग्री उठा हुआ रैंप है। उस तरह जिस तरह स्वीमिंग पूल में जंप करने के लिए होता है। यहां से एयरक्राफ्ट उड़ान भरते हैं। एयरक्राफ्ट के डेक को देखकर लगता है कि हाई स्पीड से आते एयरक्राफ्ट इसमें कैसे लैंड करेंगे।
दरअसल फ्लाइट डेक में रनवे के बीच तीन मोटी वायर होती हैं, जो अरेस्टिंग गेयर सिस्टम से जुड़ी होती हैं। जब एयरक्राफ्ट लैंड करेगा तो वह इन तीन वायर में से किसी भी वायर में एयरक्राफ्ट के नीचे लगे हुए एक हुक को फंसाएगा। हुक फंसने के साथ ही यह सिस्टम काम करेगा और रिवर्स घूमगा जिससे एयरक्राफ्ट की स्पीड कम हो जाती है और वह छोटे रनवे पर लैंड कर जाता है। अगर इसमें से किसी भी वायर पर हुक नहीं फंसा तो फिर से एयरक्राफ्ट को हवा में चक्कर लगाकर दोबारा लैंडिंग की कोशिश करनी होती है।
26 रफाल-M में 22 सिंगल सीटर इसलिए नेवी ने रफाल-एम के पूरे ट्रायल लिए और उसके बाद इसे लेने का फैसला किया। इंडियन नेवी के लिए जो 26 रफाल-M लिए जाने हैं जिसमें से 22 सिंगल सीटर होंगे और चार ट्रेनर एयरक्राफ्ट होंगे। अभी नेवी के पास स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत से ऑपरेट करने के लिए मिग-29K फाइटर एयरक्राफ्ट हैं। लेकिन यह पुराने हो रहे हैं। रफाल-एम के लिए प्राइस निगोसिएशन के बाद फिर से संशोधित बिड दी गई है। साथ ही इसमें स्वदेशी वेपन सिस्टम को इंटीग्रेट करने पर भी बात हुई है। अब रक्षा मंत्रालय की फिर से मंजूरी ली जाएगी और फिर सीसीएस (कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी) की मंजूरी की जरूरत होगी। नेवी के पास एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए सीकिंग, चेतक हेलिकॉप्टर, एमएच-60 भी हैं।
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