भारत से पढ़ने गए स्टूडेंट्स US में दूसरों के बच्चें क्यों पाल रहे? वजह हैरानी वाली

Indian students turn babysitters: एक समय था, जब हर भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ने का प्लान बनाता था, लेकिन अब उसी अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए बहुत ही बुरे हालात हैं. यह बात सुनकर आप थोड़ा असहज हो सकते हैं, लेकिन यह सही है. टाइम्स ऑफ इंडिया म

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Indian students turn babysitters: एक समय था, जब हर भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ने का प्लान बनाता था, लेकिन अब उसी अमेरिका में भारतीय छात्रों के लिए बहुत ही बुरे हालात हैं. यह बात सुनकर आप थोड़ा असहज हो सकते हैं, लेकिन यह सही है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब अमेरिका में छात्रों के लिए हालात बहुत ही दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है. अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के लिए आर्थिक तंगी का दौर जारी है. कैंपस में काम करने की अनुमति होने के बावजूद, कई छात्र अपने खर्चों को पूरा करने के लिए परिवारों में बच्चों की देखभाल जैसे काम कर रहे हैं.

बेबीसिटर क्यों बनें भारतीय छात्र अमेरिकी नियमों के अनुसार छात्रों को केवल कैंपस में ही काम करने की अनुमति है, लेकिन कई छात्र अपने खर्चों को पूरा करने के लिए बाहर पार्ट-टाइम (अवैध) काम करते थे. जो समय के साथ काम भी मिलना बंद हो गया. पार्ट-टाइम काम मिलने में मुश्किल होने पर बहुत सारे स्टूडेंट्स के खर्चें नहीं निकल रहे. मजबूरी में ही सहीबहुत से छात्र अपने खर्च को पूरा करने के लिए पड़ोस में नौकरी करने लगे हैं. जिसमें बेबीसिटर का काम सबसे अधिक है.

भारत के किन राज्यों के हैं लड़के तेलंगाना, आंध्र और अन्य जगहों से छात्र अब वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए वहां बसे भारतीय समुदाय का सहारा ले रहे हैं. लड़कियों के लिए यह काम बहुत आसान और पसंदीदा विकल्प है क्योंकि यह एक सुरक्षित काम करने का माहौल देता है. इसके लिए उन्हें प्रति घंटे $13 से $18 के बीच भुगतान किया जाता है, जिसमें कुछ को भोजन, आवास या दोनों वेतन के तौर पर मिल जाता है.

बेबीसिटर से प्रति घंटा 13 डॉलर हैं ‌मिलते ओहियो में पढ़ रही हैदराबाद की एक छात्रा ने कहा, 'मैं छह साल के बच्चे की देखभाल करीब आठ घंटे प्रतिदिन करती हूं और मुझे प्रति घंटे 13 डॉलर मिलते हैं. मुझे बच्चे की देखभाल के लिए खाना भी मिलता है." उन्होंने आगे कहा कि यह स्थानीय स्टोर या गैस स्टेशन में काम करने से कहीं बेहतर है. कनेक्टीकट में एक अन्य तेलुगु छात्रा ने कहा कि उसे उसके मलिक की तरफ से भोजन और घर दिया जाता है. 23 साल के छात्रा ने कहा, "मुझे सप्ताह में छह दिन ढाई साल की बच्ची की देखभाल करनी पड़ती है. उन छह दिनों में, भोजन और घर का ध्यान लड़की के माता-पिता रखते हैं. रविवार को मैं अपने दोस्त के कमरे में रहती हूं."

आंध्र और तेलंगाना के लड़के बेबीसिटर बनने पर क्यों हैं खुश? आंध्र और तेलंगाना के आवेदकों को 2023 में भारत में जारी किए गए 56% अमेरिकी छात्र वीजा मिले. उसने कहा कि उसे प्रति घंटे केवल 10 डॉलर का भुगतान किया जाता है, लेकिन वह नौकरी करने से बहुत खुश है क्योंकि उसका किराया कवर हो जाता है. आपको बता दें कि औसतन एक छात्र अमेरिका में किराए पर प्रति माह लगभग 300 डॉलर खर्च करता है.

अमेरिका में कितने छात्र ओपन डोर्स 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, टेक्सास में लगभग 39,000 भारतीय छात्र हैं, इलिनोइस में 20,000, ओहियो में 13,500 और कनेक्टिकट में 7,000. इनमें से लगभग 50% तेलुगु छात्र हैं. छात्रों ने बताया कि कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क और इलिनोइस जैसे राज्यों में, जहाँ भारतीय आबादी केंद्रित है, उन्हें बच्चों की देखभाल के लिए कम भुगतान किया जाता है क्योंकि आपूर्ति मांग से अधिक है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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