Deep State- क्या है डीप स्टेट, जो हिलाना चाहता है भारत की जड़ें?

What Is Deep State: अमेरिका में सामने आए घूसखोरी कांड में दुनिया भर में मशहूर भारतीय कारोबारी गौतम अडानी के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं. उनके साथ ही अडानी समूह के सात अधिकारियों के खिलाफ अमेरिका में मामला दर्ज किया गया है. इसके बाद एक बार फिर से डीप

4 1 12
Read Time5 Minute, 17 Second

What Is Deep State: अमेरिका में सामने आए घूसखोरी कांड में दुनिया भर में मशहूर भारतीय कारोबारी गौतम अडानी के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं. उनके साथ ही अडानी समूह के सात अधिकारियों के खिलाफ अमेरिका में मामला दर्ज किया गया है. इसके बाद एक बार फिर से डीप स्टेट शब्द सुर्खियों में आ गया है. माना जा रहा है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश में सफल मगर अमेरिका में नाकाम डीप स्टेट दोबारा अडानी के बहाने भारत पर बुरी नजर डाल रहा है.

रूसी मीडिया का दावा, ताजा रिश्वत विवाद डीप स्टेट की साजिश

रूसी मीडिया संस्थान स्पुतनिक की भारतीय शाखा स्पुतनिक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर के कई जानकार अडानी समूह के खिलाफ ताजा विवाद को 'डीप स्टेट' की साजिश मान रहे हैं. कहा जा रहा है कि 'डीप स्टेट' भारत की जड़ें हिलाने के लिए मोदी सरकार को अस्थिर करना चाहता है. बाजार नियामक संस्थान भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को भी 'डीप स्टेट' की चालों की ही एक कड़ी बताया जा रहा था.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दिखी डीप स्टेट की भूमिका

स्पुतनिक इंडिया ने वैश्विक उद्योग सूत्रों के हवाले से बताया है कि डीप स्टेट का मकसद भारतीय संस्थानों और कारोबारियों में जनता का विश्वास कमजोर करना है. बांग्लादेश समेत दक्षिण एशिया के कई देशों के अलावा खुद अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान साफ तौर पर यूएस डीप स्टेट की भूमिका देखी गई थी. अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने प्रचार के दौरान जानलेवा हमले के बाद सार्वजनिक तौर पर इसको लेकर गंभीर चिंता जताई थी. आइए, जानते हैं कि डीप स्टेट क्या है और क्यों भारत की जड़ें हिलाना चाहता है?

डीप स्टेट क्या है? कहां से आया, क्या है मतलब और मकसद

कैंब्रिज डिक्शनरी के मुताबिक डीप स्टेट ऐसे समूह को कहा जाता है जो गोपनीय तरीके से अपने विशेष हितों को पूरा करने और उसकी रक्षा के लिए और लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने के बगैर देश पर राज करने के लिए काम करते हैं. डीप स्टेट शब्द को तुर्की डेरिन डिलेट (Derin Devlet) (गहरा/ गहन राज्य) का एक अनुवाद माना जाता है. राजनीतिक तौर पर समझें तो डीप स्टेट एक प्रकार की समानांतर सरकार है. इसको किसी देश में संभावित रूप से गुप्त और अनधिकृत ताकतों के नेटवर्क से बनी सत्ता के तौर पर देखा जाता है.

पब्लिक स्फीयर में डीप स्टेट का काफी ज्यादा नकारात्मक अर्थ

डीप स्टेट किसी भी राज्य के राजनीतिक नेतृत्व से अलग स्वतंत्र रूप से अपने निजी एजेंडे और लक्ष्यों की खोज में काम करती है. पब्लिक स्फीयर में यह शब्द काफी ज्यादा नकारात्मक अर्थ रखता है और अक्सर इसका मकसद साजिश के सिद्धांतों से जुड़ा होता है. अमेरिका में दोबारा लौट रहे ट्रंप युग के बीच डीप स्टेट शब्द काफी चर्चा बटोर रहा है. डीप स्टेट की थ्‍योरी में भरोसा रखने वालों के मुताबिक, ये चुने हुए प्रतिनिधियों के समानांतर चलने वाला एक सिस्टम है. इसमें मिलिट्री, इंटेलिजेंस और ब्यूरोक्रेसी के लोग भी शामिल होते हैं और सरकार से अलग अपनी नीतियां लागू करते या उसे प्रभावित करते हैं.

सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाला शब्द बनकर उभरा डीप स्टेट

ट्रंप युग न केवल अमेरिकी राजनीति बल्कि इसकी डिक्शनरी को भी नया शेप दे रहा है. "फेक न्यूज़", "ऑल्ट-राइट" और "पोस्ट-ट्रुथ" जैसे शब्द मुख्यधारा की चर्चा में शामिल हो गए हैं. इस प्रक्रिया में उनके असली मतलब के बारे में बहस भी शुरू हो गई है. इस बीच हाल ही में सामने आए "डीप स्टेट" सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित करने वाला शब्द बनकर उभरा है. ब्रेइटबार्ट न्यूज़ जैसी दक्षिणपंथी वेबसाइटें चेतावनी देती हैं कि "डीप स्टेट" ट्रंप को खत्म करना चाहती हैं. कुछ चरमपंथी साइटें डीप स्टेट और राष्ट्रपति के बीच "युद्ध" की बात करती हैं.

अब लेफ्ट और लिबरल भी करने लगे डीप स्टेट थ्‍योरी की वकालत

ट्रंप के एक रूढ़िवादी आलोचक बिल क्रिस्टोल ने क्रिप्टिक ट्वीट किया, "अगर ऐसा होता है, तो ट्रंप भी स्टेट के बजाय डीप स्टेट को प्राथमिकता दें." इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. लंबे समय से वामपंथी (लेफ्ट) और लिबरल तबकों के खिलाफ ही अमेरिका समेत दुनिया भर में डीप स्टेट होने का आरोप लगाया जाता रहा है. अब कमजोर होती ये ताकतें भी डीप स्टेट की थ्‍योरी की वकालत करने लगे हैं. वियतनाम युद्ध के दौरान अलग-अलग मीडिया संस्थानों ने ऐसे कई दस्तावेज उजागर किए, जिनमें पता चला था कि अमेरिकी ही जानबूझकर वियतनाम युद्ध को लंबा खिंचवा रही है.

आधे अमेरिकी रखते हैं डीप स्टेट के वजूद में विश्वास- सर्वे रिपोर्ट

इसके बाद आरोप लगाया गया था कि डीप स्टेट ही डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर्स को फायदा पहुंचा रहा है. इससे पहले ABC न्यूज और वाशिंगटन पोस्ट के एक सर्वे में लगभग आधे अमेरिकी डीप स्टेट के वजूद में विश्वास रखते हैं. वहीं, मशहूर पॉलिटिकल साइंटिस्ट फ्रांसिस फुकुयामा ने वॉल स्ट्रीट जर्नल में लिखा था कि डीप स्टेट की बातें बेमानी हैं. दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीतते ही अपने भाषणों में अमेरिकी डीप स्टेट और इकोसिस्टम को चेतावनी देने और प्रशासनिक सिफारिशों के साथ इसके खिलाफ कार्रवाइयों की शुरुआत कर दी.

अमेरिका के रिश्वत कांड की टाइमिंग पर कारोबारी जगत चिंतित

अब भारत सरकार और कारोबारी जगत अमेरिका के ताजा रिश्वत और फ्रॉड कांड के समय को लेकर चिंतित है. हालांकि, भारत में पहले भी डीप स्‍टेट कई बार सुर्खियों में आ चुकी है. किसान आंदोलन, सीएए विरोधी आंदोलन या अलग-अलग जाति समूह के आरक्षण के लिए होने वाले आंदोलन के बारे में कहा जाता है कि ये विदेशों से ऑपरेट होते हैं. अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार बराबर चेतावनी देते रहते हैं कि डीप स्‍टेट की मदद से आंदोलनों के जरिये भारत में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक उथल-पुथल मचाई जा सकती है.

डीप स्टेट के निशाने पर भारत क्यों? बना बहस का बड़ा मुद्दा

दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा भारत डीप स्टेट के निशाने पर है. भारत में अपने एजेंटों की मदद से डीप स्टेट देश विरोधी हरकतों को समय-समय पर हवा देता रहता है. डीप स्टेट भारत में हजारों एनजीओ को भी घूमा-फिराकर वित्त पोषित करता है ताकि राजनितिक गतिरोध और प्रशासनिक अस्थिरता का माहौल बनाए रखा जा सके. हालांकि, भारत में डीप स्टेट की सक्रियता और असर को लेकर कोई पुख्‍ता सबूत सामने नहीं आए हैं, लेकिन राजनीतिक गतिरोधों के दौरान अक्‍सर यह बहस का हिस्‍सा बनता रहा है.

डीप स्टेट को लेकर घेरने और घिरने वाले नेता बने राहुल गांधी

कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने साल 2022 में एक इंटरव्‍यू में आरोप लगाते हुए था कि भारतीय राजनीति पर 'डीप स्टेट' का असर है. भारत को बोलने की इजाजत देने वाली संस्थाओं संसद, चुनाव आयोग और लोकतंत्र के मूल स्ट्रक्चर पर एक संगठन का कब्जा हो रहा है. डीप स्टेट इन जगहों पर घुस रहा है. दूसरी ओर, वैश्विक सूत्रों ने इस बात पर चिंता जताई है कि 'डीप स्टेट' के लोगों को कुछ भारतीयों का भी साथ मिल रहा है. इनमें कथित तौर पर विपक्षी नेता, प्रतिद्वंद्वी व्यवसायी और सरकार के कुछ लोग शामिल हैं. राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा भी इन आरोपों को दोहराती है.

यूएस डीप स्टेट में कई अमेरिकी समूह और सोरोस जैसे अरबपति शामिल

स्पूतनिक इंडिया ने विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा कि कई भारतीय संस्थाएं 'अल्पकालिक राजनीतिक या आर्थिक लाभ' के लालच में व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ को नजरअंदाज कर रही हैं. उनका दावा है कि 'हिंडनबर्ग को जितने दस्तावेज मिले हैं, वे भारतीयों की मदद के बिना संभव नहीं थे. 'डीप स्टेट' में अमेरिकी प्रतिष्ठानों के एक समूह और जॉर्ज सोरोस जैसे अरबपति शामिल हैं. उनके भारत में भी कई मोर्चे हैं.' क्योंकि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के इस्तीफे और गौतम अडानी की गिरफ्तारी की मांग तेज हो जाती है. सीधे पीएम मोदी के खिलाफ बयानबाजियां शुरू हो जाती हैं.

ये भी पढ़ें - Gautam Adani: घूसखोरी कांड का डंक...अडानी पर आई नई आफत, इस देश ने रद्द की 30 साल की बड़ी डील

भारत पर क्यों डाली जा रही है पश्चिमी डीप स्टेट की गंदी नजर?

रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों को पश्चिमी ताकतों और डीप स्टेट की भारत को अस्थिर करने की साजिशों के बारे में आगाह किया जा चुका है. भारत इन ताकतों की आंखों की किरकिरी बनता जा रहा है, क्योंकि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से दुनिया के कई देश और कारोबारी परेशान हैं. साल 2019 में भारत का शेयर बाजार सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात 77 प्रतिशत था जो 2023-24 में बढ़कर 124 प्रतिशत हो गया है. इसके अलावा वैश्विक बाजार में डॉलर के इस्तेमाल को कम करने के बीच भारतीय रुपये का प्रचलन बढ़ रहा है.

ये भी पढ़ें - Gautam Adani Case: क्या है अमेरिका का वो घूसखोरी कांड, जिससे जुड़ा गौतम अडानी का नाम, कौन सा वो प्रोजेक्ट... जानिए सारे सवालों के जवाब

भारतीय बाजार में बड़ी उथल-पुथल की साजिश नाकाम

इसके अलावा, भारत की विदेश नीति में रणनीतिक स्वायत्तता (स्ट्रैटिजिक अटॉनमी) की मजबूत परंपरा को फिर से तरजीह दी जा रही है. इसलिए, भारतीय कारोबारी गौतम अडानी के साथ ही सेबी जैसी बाजार नियामक संस्था पर हमला कर एलआईसी, एसबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंकों जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों में दहशत फैला दी गई थी. उन ताकतों का मानना था कि भारतीय बाजार में उथल-पुथल का सीधा असर लाखों मध्यवर्गीय लोगों और निवेशकों पर पड़ेगा और अफातफरी मच सकती है. हालांकि, ऐसा नहीं हो सका और भारतीय बाजार ने इस रोलर कोस्टर को आसानी से पार कर लिया था.

तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

बाप रे बाप... पौने 24 CR, वेंकटेश अय्यर की तो लॉटरी लग गई, क्यों लगी इतनी मोटी बोली?

जेद्दा: आईपीएल मेगा ऑक्शन में वेंकटेश अय्यर को 23 करोड़ 75 लाख रुपये की भारी भरकम कीमत पर उनकी ही पुरानी टीम कोलकाता नाइटराइडर्स ने वापस खरीद लिया। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और चेन्नई सुपरकिंग्स भी लगातार इस युवा ऑलराउंडर के पीछे पड़ी हुई थी इसलिए

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now