जानलेवा हो रहे प्रदूषण को लेकर एक्शन में आया स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्यों को दिए ये निर्देश

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी हरकत में आया है। मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर जिला व शहर के स्तर पर एक्शन प्लान लागू करने को कहा है। स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्री

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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी हरकत में आया है। मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर जिला व शहर के स्तर पर एक्शन प्लान लागू करने को कहा है। स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने राज्यों के मुख्य सचिवों को एक पत्र भी लिखा है, जिसमें कहा गया है कि राज्य में वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों की निगरानी करने वाले अस्पतालों के नेटवर्क का विस्तार करना होगा। गंभीर रूप से बीमार मरीजों को तुरंत इलाज मिले और उनको क्या- क्या समस्याएं हो रही है, इसको एक्शन प्लान में शामिल करना जरूरी है। वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव बहुआयामी हैं, जो न केवल गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं बल्कि श्वसन, हृदय और मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली लंबी बीमारियों में भी योगदान देते हैं।

जानलेवा होता जा रहा प्रदूषण

स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी में राज्यों को आगाह करते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक स्टडी का हवाला भी दिया गया है, जो बताती है कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों से मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। देश में होने वाली कुल मौतों में से करीब 18 फीसदी वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। यानी करीब 1.7 मिलियन से ज्यादा मौत की वजह कहीं न कहीं वायु प्रदूषण ही है। विशेषज्ञ प्रदूषण के कारण होने वाले मौतों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ने की बात भी कर रहे हैं। हवा में घुलते जा रहे इस जहर के कारण होने वाली मौतों में से 32.5 फीसदी "क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज" (COPD) के कारण होती हैं, इस बीमारी का असर फेफड़ों पर पड़ता है और फेफड़ों में सूजन के कारण ठीक से सांस नहीं ले पाते हैं।

स्टडी बताती है कि Ischaemic heart disease 29.2 प्रतिशत मामलों में मौत का कारण बनती है, इस बीमारी में हार्ट को पर्याप्त रक्त और ऑक्सिजन नहीं मिल पाती है। हार्ट कमज़ोर हो जाता है और उसे शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त भेजने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ब्रेन स्ट्रोक के कारण 16.2 और लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से होने वाली मौतों का प्रतिशत 11.2 है।

खून गाढ़ा होने से बढ़ रहा है खतरा

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कंसल्टेंट हार्ट स्पेशलिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट एवं सर्जन डॉ. वरुण बंसल का कहना है कि वायु प्रदूषण बढ़ने से अब अस्पतालों में इमरजेंसी और ओपीडी में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। फेफड़ों और हार्ट से जुड़ी बीमारियों के मरीज ज्यादा आ रहे है। जिन्हें हार्ट से जुड़ी थोड़ी समस्या होती है, इन दिनों में बीमारी बढ़ जाती है। इस मौसम में स्मोकिंग करने वालो पर खतरा और बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण और स्मोकिंग के कारण खून गाढ़ा होने से खतरा बढ़ जाता है, यह कॉम्बिनेशन सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। जरूरी है कि स्मोकिंग से बचे, शुगर कंट्रोल में रखे, व्यायाम जरूर करें और जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा हो, उस समय बाहर निकलने से बचे। हाई बीपी के कारण स्ट्रोक हो सकता है। वायु प्रदूषण से फेफड़ों, दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियां तो हो ही सकती है, साथ ही पुरानी बीमारियों के बढ़ने की संभावना भी रहती है।

बच्चों और बुजुर्गों के लिए बहुत खतरनाक है यह वातावरण

एडवाइजरी में कहा गया है कि राज्यों को बच्चों और बुजुर्गों को लेकर विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। छोटे- छोटे बच्चों में अब सांस से जुड़ी बीमारियां देखने में आती है। दिल्ली में स्कूलों को फिलहाल बंद कर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से हर बार यही स्थिति देखने में आ रही है और इसका कुछ न कुछ स्थायी समाधान होना चाहिए। वीएसपीके इंटरनैशनल स्कूल रोहिणी की प्रिंसिपल डॉ. संचिता गुप्ता का कहना है कि कोविड के बाद पढ़ाई को पटरी पर लाने की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन प्रदूषण के कारण स्कूल बंद करने पड़ते हैं, जिसका असर निश्चित तौर पर पढ़ाई पर तो पड़ता ही है। ऑनलाइन क्लासेज हो रही हैं लेकिन क्लासरूम टीचिंग बहुत महत्वपूर्ण है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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