पॉल्यूशन छंट क्यों नहीं रहा... किसने कर रखा है दिल्ली का डिब्बा बंद? खतरनाक स्तर पर AQI

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दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या एक गंभीर चुनौती बन गई है. हर साल सर्दियों के मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर खतरनाक तक पहुंच जाता है. इसके महत्वपूर्ण कारणों में से एक है "तापमान उलटना" या टेंपरेचर इनवर्जन, जिसके कारण प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है. आमतौर पर ऊंचाई के साथ जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं, हवा ठंडी होती जाती है. लेकिन सर्दियों में इसका उलटा हो जाता है. जमीन के पास की हवा ठंडी होती है जबकि उसके ऊपर की लेयर गर्म हो जाती है. इस स्थिति में, गर्म हवा की लेयर हमारे ऊपर बोतल के ढक्कन की तरह काम करतीहै, जो निचली ठंडी हवा को ऊपर उठने नहीं देती.

इस वजह से, वायु प्रदूषण हमारे आसपास ही फंसा रहता है और छंट नहीं पाता. इस स्थिति को तापमान इनवर्जन कहा जाता है. जब यह स्थिति होती है, तब वायु प्रदूषण का स्तर और खराब हो जाता है क्योंकि प्रदूषण के कण वातावरण में सफर नहीं कर पाते. दिल्ली जैसे क्षेत्र में, जहां प्रदूषण पहले से ही एक बड़ा मुद्दा है, तापमान इनवर्जन की वजह से स्थिति और बिगड़ जाती है.

कई कारणों से सर्दियों में बढ़ता पॉल्यूशन लेवल
पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं भी इस समस्या में योगदान करती हैं, लेकिन वे वाहक के रूप में कार्य करती हैं, मूल समस्या का कारण नहीं हैं. प्रत्येक सर्दी में दिल्ली को प्रदूषण के गंभीर स्तर का सामना करना पड़ता है और इसका मुख्य कारण टेंपरेचर इनवर्जन है. परंतु, सवाल यह है कि जब तापमान इनवर्जन होता है, तो इसका प्रभाव केवल दिल्ली पर ही क्यों पड़ता है? इसके पीछे कई कारण हैं. सबसे पहले, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से उत्पन्न धुआं दिल्ली की ओर बहता है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इसके अलावा, दिल्ली में वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी एक बड़ा योगदानकर्ता है. निजी कारों के अलावा, दिल्ली एक प्रमुख व्यावसायिक केंद्र है जिससे ट्रक और अन्य वाणिज्यिक वाहनों की अधिकता है.

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दिल्ली की जनसंख्या अत्यधिक है, जिससे घरेलू प्रदूषण, निर्माण से उत्पन्न धूल और औद्योगिक प्रदूषण भी अन्य स्थानों की तुलना में ज्यादा है. यह सभी तत्व मिलकर प्रदूषण की मात्रा में इजाफा करते हैं. मौसमी प्रभाव के कारण ये प्रदूषक तत्व हवा में अटके रहते हैं और समय के साथ इनमें और वृद्धि होती है. इस स्थिति में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के नियम भी सीमित भूमिका निभाते हैं. लोगों को तेज़ हवा या बारिश की प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जो इन प्रदूषक तत्वों को हटाने में सक्षम हो. इस स्थिति से लड़ने के लिए, शॉर्ट टर्म उपायों की जगह दीर्घकालिक समाधानों की आवश्यकता है. सख्त नीति निर्माण, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज और जागरूकता अभियान जैसी पहलजरूरी है,ताकि भविष्य में दिल्ली और इसके निवासियों को इस गंभीर प्रदूषण की समस्या से राहत मिल सके. आपको बता दें कि दिल्ली में आज से ग्रैप-4 की पाबंदी लगा दी गई है. इसके तहत कई पाबंदिया जारी हैं.

आइए आपको बताते हैं कि आखिर ग्रैप-4 में क्याप्रतिबंध हैं...

1. दिल्ली में ट्रकों की एंट्री बंद (सिर्फ जरूरी सामान ले जाने वाले/जरूरी सेवाएं प्रदान करने वाले ट्रकों को छोड़कर). हालांकि, सभी एलएनजी/सीएनजी/इलेक्ट्रिक/बीएस-VI डीजल ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति होगी.

2. ईवीएस/सीएनजी/बीएस-VI डीजल के अलावा दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड लाइट कमर्शियल व्हीकल (जरूरी सामान या सर्विस में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों को छोड़कर) को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं.

3. दिल्ली में रजिस्टर्ड बीएस-IV और उससे नीचे के डीजल से चलने वाले मीडियम गुड्स व्हीकल (एमजीवी) और हैवी गुड्स व्हीकल (एचजीवीएस) के चलने पर सख्त प्रतिबंध. हालांकि, इससे जरूरी सामान या सर्विस में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों को छूट दी गई है.

4. ग्रैप-3 की तरह ही हाईवे, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पावर ट्रांसमिशन, पाइपलाइन, टेली कम्युनिकेशन जैसे पब्लिक प्रोजेक्ट के लिए भी कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट गतिविधियों पर प्रतिबंध.

5. NCR की राज्य सरकारें और GNCTD क्लास-VI, IX और कक्षा XI तक की फिजिकल क्लासेस बंद करने और ऑनलाइन मोड में क्लास लगाने का फैसला ले सकती हैं.

6. एनसीआर की राज्य सरकारें/GNCTD सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी दफ्तरों को 50% क्षमता पर काम करने और बाकी को घर से काम करने की अनुमति देने पर फैसला लिया जा सकता है.

7. केंद्र सरकार के दफ्तरों में कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने पर निर्णय लिया जा सकता है.

8. राज्य सरकारें अतिरिक्त आपातकालीन उपायों पर विचार कर सकती हैं. जैसे कॉलेज/शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना, गैर-आपातकालीन कमर्शियल एक्टिविटी को बंद करना, रिजस्टर्ड संख्या के आधार पर वाहनों को ऑड-ईवन के आधार पर चलाने की अनुमति देना.

9.नागरिकों से अपील की जा सकती है कि वे नागरिक चार्टर का पालन करें. ग्रैप-I, ग्रैप-II और ग्रैप-III के नागरिक चार्टर के अलावा, इलाके में वायु गुणवत्ता को बनाए रखने और सुधारने के लिए कार्यान्वयन में सहायता करें.

10. बच्चों, हार्ट और सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे बुजुर्गों, दिमाग से जुड़े या किसी पुरानी बीमारी से जूझ रहे लोगों को बाहरी निकलने से बचने की सलाह दी जा सकती है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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