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झांसी: उत्तर प्रदेश के झांसी में देर रात हुए दर्दनाक हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया। यहां महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार की देर रात चिल्ड्रन वार्ड (NICU) में अचानक लगी आग ने कई नवजात बच्चों को लील लिया। फिलहाल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। कुल 54-55 बच्चे एडमिट थे, जिनमें से अधिकतम को बचा लेने का दावा किया जा रहा है। बड़ा सवाल है कि आग लगी कैसे और इतना बड़ा रूप कैसे ले लिया? लेकिन उससे भी बड़ी लापरवाही सामने आ रही है, जिसन नुकसान को कम करने की बजाय वीभत्स रूप दे दिया।
अभी हाल-फिलहाल ही दुनिया में आए बच्चों की यूनिट में जिस समय आग लगी थी, उस समय बहुत से तीमारदार अपने बच्चों के पास मौजूद थे। उन्हीं में से अधिकांश ने वहां भर्ती बच्चों को बाहर निकाला। ऐसे में वहां आग बुझाने की प्रभावी कोशिश क्यों नहीं हो पाई? फायर ब्रिगेड क्या समय पर नहीं पहुंच सकी?
लापरवाही के बड़े सवाल-
-अस्पताल में फायर अलार्म सेफ्टी सिस्टम लगे हुए थे, लेकिन आग लगने की घटना पर ये बज नहीं सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक अलार्म का मेंटेनेंस नहीं करवाया गया था। जिस वजह से ऐन घटना के समय बजे नहीं। नहीं तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी।
-इसके अलावा नवजात बच्चों को NICU में रखा गया था। यहां एंट्री और एग्जिट के लिए एक ही गेट था। इसमें क्रिटिकल केयर यूनिट अंदर की तरफ थी। धुआं भर जाने की वजह से रेस्क्यू नहीं हो सका। इसी जगह फंसे बच्चों की मौत हुई। जो बाहर की तरफ थे, उन्हें बचा लिया गया।
-घटनास्थल पर मौजूद परिजन ने अस्पताल प्रशासन और मेडिकल स्टाफ पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि घटना में एक भी मेडिकल स्टाफ घायल नहीं हुआ। सभी आग लगने के समय भाग खड़े हुए। अगर भागने की बजाय तत्काल मुस्तैदी से सहायता में लगते तो घटना इतनी बड़ी नहीं होती।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दुख जताते हुए बचाव कार्य के निर्देश दिए थे। वहीं यूपी के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक झांसी के मेडिकल कॉलेज पहुंच गए हैं। उन्होंने नवजात शिशुओं के परिवारों से मुलाकात करते हुए शिशुओं की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इस घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
झांसी मेडिकल कॉलेज के न्यूबॉर्न केयर यूनिट में शुक्रवार की रात 10.30 बजे के करीब आग लग गई। इस घटना के बाद कोहराम मच गया। मौजूद परिजन और लोगों ने वार्ड की खिड़की तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला। NICU तो अति प्राथमिकता वाला वार्ड होता है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वहां आग बुझाने के पर्याप्त साधन मौजूद नहीं थे?अभी हाल-फिलहाल ही दुनिया में आए बच्चों की यूनिट में जिस समय आग लगी थी, उस समय बहुत से तीमारदार अपने बच्चों के पास मौजूद थे। उन्हीं में से अधिकांश ने वहां भर्ती बच्चों को बाहर निकाला। ऐसे में वहां आग बुझाने की प्रभावी कोशिश क्यों नहीं हो पाई? फायर ब्रिगेड क्या समय पर नहीं पहुंच सकी?
लापरवाही के बड़े सवाल-
-अस्पताल में फायर अलार्म सेफ्टी सिस्टम लगे हुए थे, लेकिन आग लगने की घटना पर ये बज नहीं सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक अलार्म का मेंटेनेंस नहीं करवाया गया था। जिस वजह से ऐन घटना के समय बजे नहीं। नहीं तो इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी।
-इसके अलावा नवजात बच्चों को NICU में रखा गया था। यहां एंट्री और एग्जिट के लिए एक ही गेट था। इसमें क्रिटिकल केयर यूनिट अंदर की तरफ थी। धुआं भर जाने की वजह से रेस्क्यू नहीं हो सका। इसी जगह फंसे बच्चों की मौत हुई। जो बाहर की तरफ थे, उन्हें बचा लिया गया।
-घटनास्थल पर मौजूद परिजन ने अस्पताल प्रशासन और मेडिकल स्टाफ पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि घटना में एक भी मेडिकल स्टाफ घायल नहीं हुआ। सभी आग लगने के समय भाग खड़े हुए। अगर भागने की बजाय तत्काल मुस्तैदी से सहायता में लगते तो घटना इतनी बड़ी नहीं होती।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दुख जताते हुए बचाव कार्य के निर्देश दिए थे। वहीं यूपी के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक झांसी के मेडिकल कॉलेज पहुंच गए हैं। उन्होंने नवजात शिशुओं के परिवारों से मुलाकात करते हुए शिशुओं की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। इस घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
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