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अबूजा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16-17 नवम्बर को नाइजीरिया की यात्रा पर जा रहे हैं। 17 वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस अफ्रीकी देश की पहली यात्रा है, जिसे एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना के रूप में देखा जा रहा है। पीएम मोदी की यात्रा नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टिनूबू के निमंत्रण पर हो रही है। इस यात्रा में द्विपक्षीय संबंधों के गहरा होने के साथ ही भारत और नाइजारिया के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। नाइजीरिया और भारत के बीच छह दशकों से ज्यादा समय से संबंध हैं, लेकिन चीन ने भी यहां नजरें गड़ा रखी हैं।नाइजीरिया को 1960 में स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन उसके दो साल पहले ही भारत ने लागोस में अपना राजनयिक मिशन स्थापित कर दिया था, जो दोनों के बीच संबंधों की मजबूत शुरुआती नींव को दिखाता है। दशकों में यह संबंध राजनीतिक आदान-प्रदान से बढ़ते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में विकसित हुआ है।
अफ्रीका का सऊदी अरब
नाइजीरिया को तेल और गैस के विशाल भंडार के चलते अफ्रीका का सऊदी अरब भी कहा जाता है। इस प्राकृतिक भंडार ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया है। आर्थिक संबंध सचिव दम्मू रवि ने बुधवार को एक विशेष मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'नाइजीरिया अफ्रीका के अंदर एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है। 22 करोड़ की आबादी वाला देश जीडीपी के मामले दूसरे या तीसरे स्थान पर है।' उन्होंने इस पर जोर दिया कि भारत की तरह ही नाइजारिया भी बहुजातीय और बहुभाषी है और समान लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करता है।
तेल और गैस भंडार पर चीन की नजर
चीन ने पिछले कुछ समय से नाइजीरिया में अपनी गतिविधि बढ़ाई है और यहां पर भारी मात्रा में निवेश किया है। चीन की नजर देश के विशाल तेल और गैस भंडार पर है, जिसमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। नाइजारिया सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2024 तक कच्चे तेल और कंडेनसेट का संयुक्त भंडार 37.5 अरब बैरल तक बढ़ गया है।
एसोसिएटेड और नॉन एसोसिएटेड गैस के भंडार में भी वृद्धि हुई है। यह 209.26 ट्रिलियन क्यूबिक फीट तक पहुंच गया है। ये आंकड़े नाइजीरिया के महत्वपूर्ण तेल और गैस संसाधनों पर प्रकाश डालते हैं और इसे वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं।
अफ्रीका का सऊदी अरब
नाइजीरिया को तेल और गैस के विशाल भंडार के चलते अफ्रीका का सऊदी अरब भी कहा जाता है। इस प्राकृतिक भंडार ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया है। आर्थिक संबंध सचिव दम्मू रवि ने बुधवार को एक विशेष मीडिया ब्रीफिंग में कहा, 'नाइजीरिया अफ्रीका के अंदर एक बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है। 22 करोड़ की आबादी वाला देश जीडीपी के मामले दूसरे या तीसरे स्थान पर है।' उन्होंने इस पर जोर दिया कि भारत की तरह ही नाइजारिया भी बहुजातीय और बहुभाषी है और समान लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करता है।तेल और गैस भंडार पर चीन की नजर
चीन ने पिछले कुछ समय से नाइजीरिया में अपनी गतिविधि बढ़ाई है और यहां पर भारी मात्रा में निवेश किया है। चीन की नजर देश के विशाल तेल और गैस भंडार पर है, जिसमें उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। नाइजारिया सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2024 तक कच्चे तेल और कंडेनसेट का संयुक्त भंडार 37.5 अरब बैरल तक बढ़ गया है।एसोसिएटेड और नॉन एसोसिएटेड गैस के भंडार में भी वृद्धि हुई है। यह 209.26 ट्रिलियन क्यूबिक फीट तक पहुंच गया है। ये आंकड़े नाइजीरिया के महत्वपूर्ण तेल और गैस संसाधनों पर प्रकाश डालते हैं और इसे वैश्विक ऊर्जा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं।
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