कागजी प्लान, धुआंधार ऐलान और धुआं-धुआं द‍िल्‍ली-NCR का आसमान... क्यों पॉल्यूशन से मुक्ति नहीं मिल पा रही?

4 1 5
Read Time5 Minute, 17 Second

देश में मौसम करवट ले रहा है और दिल्ली-एनसीआर में दमघोंटू हवाएं बीमार करने लगी हैं. पूरा शहर फॉग और स्मॉग की चपेट में है. एयर पॉल्यूशन के बीच धुंध और कोहरे की चादर बिछने लगी है. सड़कों पर विजिबिलिटी शून्य रिकॉर्ड की जा रही है. ट्रैफिक सुस्त पड़ गया है और लंबी-लंबी लाइनें जाम के झाम में उलझाकर रखे हैं. प्रदूषण को लेकर हर साल कागजों पर प्लान उकेरे जाते हैं. कंट्रोल के नाम पर बड़े-बड़े ऐलान होते हैं और द‍िल्‍ली-NCR का आसमान पूरे 4 महीने तक धुआं-धुआं देखा जाता है. आखिर वो क्या वजहें हैं, जिसके कारण यहां लोगों को पॉल्यूशन से मुक्ति नहीं मिल पा रही है?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पिछले 24 घंटे में वायु प्रदूषण से हालात और बिगड़ गए हैं. गुरुवार सुबह 6 बजे जहांगीरपुरी इलाके में AQI 606 तक पहुंच गया, जो काफी खतरनाक श्रेणी में माना जाता है. यह कहा जा सकता है कि दिल्ली में अब सांस लेना मुश्किल हो गया है. यहां 24 घंटे में 14 स्टेशन का औसत AQI गंभीर+ (450 से ऊपर) श्रेणी में है.

सर्दी से पहले चर्चा में आ जाते पराली और दिवाली

दिल्ली में वैसे तो लोगों को पूरे साल जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर होना पड़ता है, लेकिन नवंबर आते ही सभी को एहसास होने लगता है कि हालात कितने बदतर हो गए हैं. खासकर सर्दी की एंट्री से पहले यहां दिवाली और पराली चर्चा में आ जाती है. ये दोनों कई फैक्टर्स के साथ आते हैं और नवंबर में दिल्ली को गैस चैंबर बना देते हैं. हालांकि, दिल्ली में दिवाली के आसपास के एक सप्ताह के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आंकड़ों से पता चलता है कि यहां पटाखों का कोई खास प्रभाव नहीं देखा गया है. यहां तक ​​कि पराली जलाने से भी दिल्ली के प्रदूषण में उतना योगदान नहीं होता, जितना आमतौर पर माना जाता है.

Advertisement

दिल्ली स्थित पर्यावरण थिंक टैंक 'सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट' (CSE) की एक नई स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली जलाने की भूमिका सिर्फ 8 प्रतिशत है. चिंता की बात यह भी है कि कथित समाधान ही शहर की समस्या का हिस्सा बन गए हैं. आंकड़े यह भी बताते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी का आधा साल तो जहरीली हवा में सांस लेते हुए गुजर जाता है. यही वजह है कि इसके दीर्घकालिक समाधान की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है.

कागजी प्लान, धुआंधार ऐलान... लेकिन समस्या वर्षों पुरानी

दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए हर साल नए प्लान बनाए जाते हैं और अनूठे कागजी प्लानों का ऐलान कर दिया जाता है, लेकिन समस्या का ठोस समाधान अब तक नहीं निकाला जा सका है और ना ही जरूरी उपायों को जमीन पर अमल में लाया जा सका है. इसके लिए ना सिर्फ सरकार, बल्कि सिस्टम भी जिम्मेदार है.
- प्रदूषण संकट के बाद चार महीने (1 नवंबर से 28 फरवरी तक) के लिए सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स (नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक) की फिर से नियुक्त को मंजूरी दे दी गई है. सालभर पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देशों के बाद इनकी सेवाएं एक साल पहले समाप्त कर दी गई थीं. ये वॉलिंटियर्स दिल्ली के प्रदूषण कम के अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे और राष्ट्रीय राजधानी में धुंध और जहरीले कणों के स्तर को कम करने के लिए काम करेंगे.
- इसके अलावा, पुरानी गाड़ियां जब्त करने के लिए पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटिक नंबर प्‍लेट रिकॉग्‍निशन कैमरा सिस्टम से लेकर आर्टिफिशियल बारिश तक के ऐलान किए गए. लेकिन ग्राउंड पर व्यवस्थाओं में सुधार देखने को नहीं मिल रहा है.
- 'गंभीर' AQI के बावजूद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) अभी एक्शन मोड में नहीं आया है. यही वजह है कि अब तक ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत तत्काल प्रदूषण-रोधी उपाय लागू नहीं किए गए हैं. आयोग को उम्मीद है कि गुरुवार तक स्थिति में सुधार हो जाएगा. हालांकि, आज के आंकड़े फिलहाल आगे भी राहत के संकेत नहीं दे रहे हैं.
- हालांकि, बुधवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारों को क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों पर नकेल कसने की सलाह दी है. यह एडवाइज भी राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद जारी की गई है, जिसमें एंड-ऑफ-लाइफ (EoL) वाहनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया है.
- दिल्ली में पुराने BS-III और BS-II मॉडल के वाहनों पर बैन लगाया गया है. इन वाहनों को दिल्ली की सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं है. दिल्ली सरकार अक्सर आसपास के राज्यों से ऐसे वाहनों की एंट्री होने का आरोप लगाती आ रही है.
- दिल्ली में BS-III और BS-II वाहनों की आधी से ज्यादा संख्या है. यानी कुल 60.14 वाहन ऐसे हैं. दिल्ली में सितंबर 2024 तक सिर्फ 2,310 पुराने वाहन जब्त किए गए. जबकि 2023 में 22,397 वाहन जब्त किए गए थे. यह आंकड़े बताते हैं कि इस साल कार्रवाई को पहले की तरह सख्ती से अंजाम नहीं दिया गया है.

Advertisement

दिल्ली प्रदूषण

कैसे पकड़ में आएंगे प्रदूषण फैलाने वाले वाहन?

दिल्ली में जहरीले धुंआ छोड़ने वाले वाहनों को पकड़ने के लिए कई एक्शन प्लान तैयार किए गए. इनमें एक पेट्रोल पंपों पर ऑटोमेटिक नंबर प्‍लेट रिकॉग्‍निशन (ANPR) कैमरा सिस्टम का नाम भी शामिल है. तय किया गया कि दिल्ली के पायलट प्रोजेक्ट को पूरे एनसीआर में लागू किया जाएगा. इस पहल के तहत पेट्रोल पंपों पर कैमरा सिस्टम को लगाया जाएगा और ऐसी गाड़ियों को फ्यूल नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही इन वाहनों के फ्यूल स्टेशन पर आते ही कैमरों से एक ऑडियो मैसेज आएगा और टीमें इन पर नियम के अनुसार तुरंत एक्शन लेंगी. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने इस मॉडल को पूरे एनसीआर में लागू करवाने का दावा किया था. हालांकि, यह पहल NCR में कितनी आगे बढ़ी, इसकी डिटेल्स अब तक सामने नहीं आई है. दिल्ली-एनसीआर में पूरे साल ऐसे वाहन प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह रहते हैं.

दिल्ली परिवहन विभाग ने प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाण पत्र ना होने पर जुर्माने का प्रावधान किया है, जिसमें बार-बार उल्लंघन करने वालों पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना या छह महीने तक की कैद हो सकती है. हाल के महीनों में दिल्ली ने PUC प्रमाण पत्रों के लिए शुल्क भी बढ़ा दिया है. एक दिन पहले ही यह खुलासा हुआ है कि नोएडा और गाजियाबाद में कुछ PUC सेंटर्स ऐसे हैं, जहां बिना वाहन लाए भी प्रमाण पत्र तैयार करवाया जा सकता है. ये लोग सिर्फ वाहन का फोटो देखकर सर्टिफिकेट बनाकर थमा देते हैं.

Advertisement

दिल्ली को बीमार बना रहे धुंआ छोड़ रहे व्हीकल

एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए केंद्र के डेटा सपोर्ट सिस्टम के अनुसार, दिल्ली को गैस चैंबर बनाने में वाहन सबसे बड़ी मुसीबत बन गए हैं. इन वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से प्रदूषण फैल रहा है और लोग बीमार पड़ रहे हैं. डेटा कहता है कि वाहनों के कार्बन उत्सर्जन की अनुमानित हिस्सेदारी करीब 13 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक है. उसके बाद पराली जलाने से उत्सर्जन हो रहा है. आसपास के राज्यों में पराली जलाने से स्थिति और खराब हो गई है. यही वजह है कि शहर में धुंध की मोटी परत छा गई है.

दिल्ली कैसे बन गया गैस चेंबर?

दरअसल, वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड के अलावा नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन गैस भी उत्सर्जित होती है. धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, धुआं पैदा करने वाले वाष्पशील कार्बनिक यौगिक, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, फॉर्मेल्डिहाइड और बेंजीन जैसे विषैले प्रदूषक भी होते हैं.

क्यों जहरीली हो गई दिल्ली की हवा?

दिल्ली की हवा किस कदर जहरीली हो गई है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां हवाओं में प्रदूषक तत्व पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10) का लेवल भी सबसे ज्यादा है. हवा में मौजूद ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं और ब्लड स्ट्रीम में भी प्रवेश कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा जोखिम हो सकता है. इन कणों से सांस लेने संबंधी समस्याएं तो होती हैं, इसके अलावा लंबे समय तक इन कणों के संपर्क में रहने से हृदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है. साथ ही अन्य खतरे भी हो सकते हैं. पार्टिकुलेट मैटर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और ओजोन के लेवल के बारे में जानकारी देता है.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट भी पूछ रहा सवाल?

सुप्रीम कोर्ट ने 12 नवंबर को प्रदूषण पर सुनवाई की और दिल्ली में पूरे साल पटाखों पर प्रतिबंध लगाए जाने का सुझाव दिया है. कोर्ट का कहना था कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर पटाखों पर बैन लगाने के लिए स्पेशल सेल बनाएं. दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो 25 नवंबर से पहले पटाखों पर स्थायी प्रतिबंध लगाने का फैसला करे. SC ने सवाल उठाया कि पटाखों पर पूरे देश में स्थायी प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया और दिल्ली में प्रतिबंध सिर्फ कुछ महीनों के दौरान ही लागू किए गए.

दिल्ली प्रदूषण

राजधानी को पॉल्यूशन से क्यों नहीं मिल पा रही मुक्ति?

- दिल्ली में 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध है, लेकिन इस पर प्रभावी रूप से नियंत्रण नहीं है. वाहनों की नियमित जांच और कड़ी निगरानी का अभाव है, जिससे पुराने और प्रदूषणकारी वाहन सड़कों पर चलते रहते हैं.
- निजी वाहनों के बढ़ते उपयोग को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने की जरूरत है. हालांकि, दिल्ली का मेट्रो और बस नेटवर्क विस्तृत है, लेकिन अन्य NCR क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन की कमी है. इसका सीधा असर वाहनों की बढ़ती संख्या और प्रदूषण पर पड़ता है.
- दिल्ली सरकार ने सड़कों पर वाहनों की संख्या को कम करने के लिए ऑड-ईवन योजना लागू की थी, जिसमें ऑड (विषम) और ईवन (सम) नंबर की गाड़ियां बारी-बारी से सड़क पर चलती हैं. यह योजना वायु प्रदूषण में थोड़ी राहत देने में सफल रही, लेकिन इसे दीर्घकालिक समाधान के रूप में नहीं अपनाया गया.
- भीड़भाड़ और यातायात की गति में कमी भी प्रदूषण को बढ़ाती है. ट्रैफिक जाम को कम करने के लिए सड़कों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना होगा. इसके अलावा, कार-पूलिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, और साइकलिंग को बढ़ावा देना भी फायदेमंद हो सकता है.
- दिल्ली-NCR में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य होते रहते हैं, जिससे धूल और धुएं का स्तर बढ़ता है. निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव, सामग्री को ढकना, और एंटी-स्मॉग गन का उपयोग जैसे नियम मौजूद हैं, परंतु इनका सही से पालन नहीं हो पाता है.
- NCR के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त नीतियां हैं, लेकिन उनका अनुपालन सुनिश्चित नहीं हो पाता. छोटे उद्योग अभी भी पुराने और प्रदूषणकारी उपकरणों का उपयोग करते हैं और कई उद्योग पर्यावरणीय मानकों का पालन नहीं करते.
- दिल्ली में कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों का भी उल्टा असर हुआ है और ये दिल्ली में जहरीले धुएं को और बढ़ा रहे हैं.
- वायु गुणवत्ता की निगरानी और सुधार के लिए कई जगहों पर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए गए हैं, लेकिन इनका डेटा उपयोग में नहीं आता. वायु गुणवत्ता में गिरावट पर त्वरित कार्रवाई और सुधारात्मक उपाय नहीं किए जाते, जिससे स्थिति बिगड़ती है.
- खुले में कचरा और सूखी पत्तियां जलाने से वायु प्रदूषण में इजाफा होता है. इसके लिए प्रतिबंध और जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी निगरानी का अभाव है. लोग खुले में कचरा जलाने की आदत छोड़ नहीं पाते हैं.
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए लोगों की भागीदारी जरूरी है, लेकिन जागरूकता की कमी और सामूहिक जिम्मेदारी का अभाव इसे मुश्किल बना देता है. लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने, कचरा ना जलाने और अन्य प्रदूषणकारी कार्यों से बचने के लिए जागरूक नहीं हैं.
- हरित आवरण बढ़ाने और पेड़-पौधे लगाने की कई योजनाएं हैं, लेकिन शहरीकरण के कारण यह मुश्किल हो जाता है. नए पेड़ लगाने और पहले से लगे पेड़ों की देखभाल करने का काम धीमी गति से होता है.

Advertisement

pollutoion


- दिल्ली और NCR के विभिन्न राज्यों में विभिन्न सरकारें हैं, और अक्सर उनमें समन्वय का अभाव होता है. प्रदूषण नियंत्रण के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की कमी के कारण प्रदूषण नियंत्रण की योजनाएं प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाती हैं.
- वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक समाधानों की जरूरत है, जैसे सौर ऊर्जा का उपयोग, परिवहन में बदलाव और कचरे का प्रबंधन. हालांकि, इन उपायों पर सही से ध्यान नहीं दिया जाता है और सिर्फ तात्कालिक समाधान अपनाए जाते हैं.
- प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे दिल्ली-एनसीआर के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) है, लेकिन ये इमरजेंसी उपाय हैं. यह तब लागू किए जाते हैं जब स्थिति बद से बदतर हो जाती है. GRAP जैसे उपायों को सही तरीके से लागू किया जाना चाहिए. इसके साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर सख्त जुर्माना लगाया जाना चाहिए ताकि उन्हें नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
- GRAP के साथ दिल्ली अपने आधे वाहनों पर प्रतिबंध लगाएगी और अपने निर्माण स्थलों को ढक देगी. ये सभी अस्थायी उपाय हैं. इसका स्थायी समाधान क्या है और इसे कौन लेकर आएगा? ये दो सवाल हैं जो दिल्ली वासियों के दिमाग में सबसे ज्यादा चल रहे हैं. क्योंकि शहर एक बार फिर गैस चैंबर में तब्दील हो गया है.

Advertisement

क्या हैं AQI के आंकड़े?

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच को 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच को 'मध्यम', 201 से 300 के बीच को 'खराब', 301 से 400 के बीच को 'बहुत खराब', 401 से 450 के बीच को 'गंभीर' और 450 से ऊपर को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. आप भी SAFAR ऐप और उसकी वेबसाइट, CPCB की वेबसाइट, AQICN.org और गूगल और मौसम ऐप के जरिए AQI की जांच कर सकते हैं.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

मुश्किल से बची कुर्सी... दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मेयर चुनाव में जीत AAP के लिए क्यों खास?

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में एक बार फिर से आम आदमी पार्टी ने अपने नाम का झंडा बुलंद किया है। 'आप' उम्मीदवार महेश कुमार खिची मेयर चुनाव में विजयी हुए हैं। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी बीजेपी उम्मीदवार किशन लाल को महज तीन वोटों से हराने में सफल रहे

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now