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धनंजय महापात्र, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अनोखे मामले पर सुनवाई की। मामला 1951 की एक खास रोल्स-रॉयस कार से जुड़ा है। यह कार बड़ौदा की महारानी के लिए एचजे मुलिनर एंड कंपनी (H J Mulliner & Co) ने बनाई थी। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने महारानी की तरफ से इस कार का ऑर्डर दिया था। इसी कार की वजह से ग्वालियर के एक शाही परिवार की बेटी की शादी टूट गई।
कभी सुसराल नहीं गई दुल्हन
लड़की और उसका परिवार खुद को छत्रपति शिवाजी महाराज के एडमिरल और कोंकण के शासक का वंशज बताते हैं। दूसरी तरफ, लड़के के पिता आर्मी में कर्नल थे और उनका परिवार इंदौर में एक शिक्षण संस्थान चलाता है। दोनों परिवारों ने मार्च 2018 में ग्वालियर में सगाई और एक महीने बाद ऋषिकेश में हुई शादी के बारे में अलग-अलग बातें बताईं, लेकिन दोनों परिवारों के दावों में एक बात समान थी। वह यह कि विवादों के कारण ससुराल वालों ने दुल्हन को कभी अपने यहां नहीं लाया।लड़के को रोल्स-रॉयस कार से इतना प्यार है कि उसने और उसके माता-पिता ने दहेज में मुंबई में एक फ्लैट के साथ यह कार भी मांगी थी।
दोनों परिवारों का एक-दूसरे पर आरोप
लड़के ने लड़की और उसके माता-पिता पर आरोप लगाया है कि उन्होंने शादी के दौरान बड़ी रकम की हेरफेर की। लड़के ने इसकी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इसके जवाब में, महिला ने लड़के और उसके परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस एफआईआर को रद्द कर दिया। इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लड़की का कहना है कि लड़के को रोल्स-रॉयस कार से इतना प्यार है कि उसने और उसके माता-पिता ने दहेज में मुंबई में एक फ्लैट के साथ यह कार भी मांगी थी।लड़की और उसके माता-पिता ने शादी के दौरान बड़ी रकम की हेरफेर की।
दूसरी शादी नहीं कर सकती लड़की!
वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां पीठ को बताया कि महिला कठिन परिस्थिति फंस गई है क्योंकि 'उसके पुराने शाही समुदाय में दोबारा विवाह की कोई परंपरा नहीं है।' बेंच ने हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर बसंत को दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया है। कोर्ट ने कहा, 'अब ऐसी कोई परंपरा नहीं है। समाज ने शादी-विवाह के रिश्तों में जातिवाद को पीछे छोड़ दिया है। कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वह दोबारा शादी नहीं कर सकती।'हमें पता है कि समझौते की कोशिशें पहले भी नाकाम रही हैं, लेकिन फिर से एक कोशिश क्यों न की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किया मध्यस्थ
जज ने कहा कि दोनों पक्ष मुकदमेबाजी में उलझे हुए हैं और एफआईर दर्ज कराई गई हैं। बेंच ने कहा, 'हमें पता है कि समझौते की कोशिशें पहले भी नाकाम रही हैं, लेकिन फिर से एक कोशिश क्यों न की जाए।' वकील मखीजा ने कहा कि बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र को यह काम सौंपा जाए। उन्होंने ही वरिष्ठ वकील और हाई कोर्ट के पूर्व जज आर बसंत का नाम सुझाया जो एक अनुभवी मध्यस्थ हैं। पीठ ने सुझाव मानते हुए दोनों पक्षों के बीच सुलह कराने के लिए जज बसंत को मध्यस्थ नियुक्त कर दिया।
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