बाप-दादा का बिजनेस संभाल तगड़ी कमाई कर रही 20 साल की लड़की... कहानी सुनकर कहेंगे- वाह बेटी, कमाल कर दिया

नई दिल्ली: अक्सर जिस घाटी से कभी पत्थरबाजी और गोलियां चलने की खबरें आती थी, अब उस कश्मीर घाटी की फिजा बदल चुकी है। घर की चारदीवारी से निकलकर, कश्मीर में महिलाएं अब बिजनेस में अपना परचम लहरा रही हैं। पहले कश्मीर में महिलाओं का काम करना या बिजनेस

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नई दिल्ली: अक्सर जिस घाटी से कभी पत्थरबाजी और गोलियां चलने की खबरें आती थी, अब उस कश्मीर घाटी की फिजा बदल चुकी है। घर की चारदीवारी से निकलकर, कश्मीर में महिलाएं अब बिजनेस में अपना परचम लहरा रही हैं। पहले कश्मीर में महिलाओं का काम करना या बिजनेस करना आम बात नहीं थी। लेकिन अब, समय के साथ लोगों की सोच बदल रही है। सानिया जेहरा जैसी कई कहानियां इस बदलाव की मिसाल हैं। महज 20 साल की सानिया कश्मीर की दूसरी लड़कियों के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं।
कश्मीरी महिलाएं अब पुरानी रूढ़ियों को तोड़कर बिजनेस की दुनिया में नए मुकाम हासिल कर रही हैं। इन्हीं में से एक हैं सानिया जेहरा, जो मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में एक मिसाल बन गई हैं। कश्मीर के बलहामा की रहने वाली सानिया न सिर्फ अपने परिवार के पुश्तैनी व्यवसाय की रीढ़ बन चुकी हैं, बल्कि अपने पूरे समुदाय को भी एक नई दिशा दे रही हैं।

सानिया बताती हैं कि मधुमक्खी पालन उनका पुश्तैनी बिजनेस रहा है। पहले उनके दादा ये बिजनेस संभालते थे और इसके बाद उनके पिता ने इसे आगे बढ़ाया। तीसरी पीढ़ी के तौर पर अब सानिया इसे संभाल रही हैं। हालांकि, शुरुआत में ऐसा नहीं था। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह कभी अपने परिवार का ये पुश्तैनी बिजनेस संभालेंगी।

मार्केटिंग भी संभालती हैं सानिया

अपने बचपन के दिनों में सानिया केवल वक्त बिताने और अपने पिता की मदद करने के लिए उनके साथ आ जाया करती थीं। लेकिन, धीरे-धीरे उन्हें मधुमक्खी पालन अच्छा लगने लगा। और आज, वो पूरी तरह से इस बिजनेस को संभाल रही हैं। कश्मीर डिस्पैच की रिपोर्ट के मुताबिक, मधुमक्खियां पालन से लेकर शहद निकालने और मार्केटिंग तक का काम सानिया खुद ही संभालती हैं।

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मधुमक्खी पालन को ही क्यों चुना?

सानिया बताती हैं कि इस बिजनेस से होने वाले मुनाफे ने उन्हें और आगे बढ़ने का मौका दिया है और अब वो आयात-निर्यात के काम से भी जुड़ गई हैं। सानिया ने अपने करियर के लिए मधुमक्खी पालन को ही क्यों चुना, इस सवाल के जवाब में वो बताती हैं कि कुरान में भी मधुमक्खी पालन का जिक्र है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह एक लड़की हैं, जरूरी है किसी काम को संभालने की हिम्मत।

सुनने पड़े रिश्तेदारों के ताने

उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा बिजनेस है, जिसके साथ औषधीय गुण भी जुड़े हैं। वह मानती हैं कि कोई भी सफर आसान नहीं होता, खासकर कश्मीर में और वो भी एक महिला के लिए। शुरुआत में उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि करीबी रिश्तेदारों से भी बातें सुनने को मिलीं, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी।

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आमदनी भी, उड़ान भी...

सानिया बताती हैं कि आज ना केवल वो एक अच्छी आमदनी कर रही हैं, बल्कि उनके मधुमक्खी पालन के बिजनेस ने उन्हें दूसरे क्षेत्रों में भी हाथ आजमाने का मौका दे दिया है। सानिया मधुमक्खी पालन से ब्यूटी प्रॉडक्ट्स, मोम और ग्रीन पराग भी बनाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इस बिजनेस के लिए पूरी सहायता प्रदान कर रही है और आज कोई भी इसमें आगे बढ़ सकता है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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