UP PCS और RO/ARO भर्ती परीक्षाओं को लेकर अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी है. प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ऑफिस के बाहर अभ्यर्थी 'वन डे वन एग्जाम' की मांग के साथ प्रोटेस्ट कर रहे हैं. दिल्ली से लेकर यूपी तक अभ्यर्थी आयोग के एक से अधिक शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने के फैसला का विरोध कर रहे हैं. इस बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने भी अभ्यर्थियों का सपोर्ट किया है.
एबीवीपी की मांग
एबीवीपी का मानना है कि यूपी पीसीएस, आरओ/ एआरओ परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों की चिंताएं सही हैं, जिनका जल्द से जल्द से निपटारा होना जरूरी है. एबीवीपी, काशी प्रान्त की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में मांग की है कि आयोग को यूपी पीसीएस और आरओ/एआरओ के अभ्यर्थियों की चिंताओं को सुनना चाहिए. परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था, नॉर्मलाइजेशन, परीक्षाओं के दो पाली में कराने जैसे संबंधी विषयों पर अभ्यर्थियों से बातचीत कर जल्द से जल्द उचित कदम उठाना चाहिए. ताकि अभ्यर्थी बिना किसी आशंका और संदेह के परीक्षा की तैयारी कर सकें.
अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज की निंदा की
एबीवीपी ने भर्ती परीक्षाओं में नए बदलावों को लेकर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज की निंदा की है. छात्र संगठन का कहना है कि केवल बातचीत से समस्या का समाधान हो सकता है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री अंकित शुक्ला ने कहा कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित पीसीएस एवं RO/ARO की आगामी परीक्षाओं में आयोग द्वारा निर्धारित नियमावली से अभ्यर्थियों के मन में कुछ आशांकाएं आई हैं, जिसे लेकर अभ्यर्थी लगातार कई स्तरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. आयोग को अभ्यर्थियों की सभी चिंताओं का जल्द से जल्द निराकरण करना चाहिए. परीक्षाओं की शुचिता एवं पारदर्शिता से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है.
क्या है मामला?
दरअसल, आयोग ने UP PCS और RO/ARO की परीक्षा दो शिफ्ट कराने का फैसला लिया है. अगर परीक्षा एक से अधिक शिफ्ट में आयोजित की जाती है कि परीक्षा का मूल्यांकन नॉर्मलाइजेशन मेथड से होता है. आयोग ने एक नोटिस जारी कर बताया कि दो या अधिक दिनों में होने वाली परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए परसेंटाइल विधि का उपयोग किया जाएगा. आयोग ने स्पष्ट किया कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2024 और आरओ-एआरओ 2023 भर्ती परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया अपनाई जाएगी. साथ ही, आयोग ने यह भी बताया कि उम्मीदवारों का परसेंटाइल स्कोर निकालने के लिए जो फॉर्मूला इस्तेमाल होगा, उसे भी सार्वजनिक कर दिया गया है. आयोग के परीक्षा कराने के इस तरीके को लेकर अभ्यर्थियों के बीच नाराजगी है.
क्या होता है नॉर्मलाइजेशन ?
इस फॉर्मूले के अनुसार, किसी उम्मीदवार का प्रतिशत स्कोर जानने के लिए उसके प्राप्त अंकों के बराबर या उससे कम अंक पाने वाले सभी उम्मीदवारों की संख्या को उस शिफ्ट में उपस्थित कुल उम्मीदवारों की संख्या से विभाजित किया जाएगा और फिर इसे 100 से गुणा किया जाता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी छात्र को परीक्षा में सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत अंक मिले हैं और 70 फीसदी या उससे कम मार्क्स लाने वाले छात्रों की कुल संख्या 15000 है जबकि ग्रुप में कुल छात्रों की संख्या 18000 थी तो पर्सेंटाइल ऐसे निकालेंगे- 100x15000/18000=83.33% (यह प्रतिशत ही उस छात्र का पर्सेंटाइल होगा जिसने 70% अंक प्राप्त किए हैं.)
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नॉर्मलाइजेशन का विरोध क्यों? अभ्यर्थियों का तर्क भी समझिए
अभ्यर्थियों का तर्क है कि दो शिफ्ट में पेपर होने से नॉर्मलाइजेशन होगा जिसके कारण अच्छे छात्रों को नुकसान होगा. दो शिफ्ट में पेपर होने के वजह से एक शिफ्ट में सरल एक शिफ्ट में कठिन प्रश्न होंगे जिसकी वजह से आयोग नॉर्मलाइजेशन मेथड का यूज करेगा. इससे अच्छे छात्रों के छटने की संभावना रहेगी, साथ ही साथ भ्रष्टाचार बढ़ेगा.
वहीं, अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि पीसीएस परीक्षाओं में अक्सर ऐसा होता है कि गलत प्रश्न भी पूछ लिए जाते हैं. ऐसे में पहली शिफ्ट की तुलना में दूसरी शिफ्ट में पूछे गए प्रश्न अधिक गलत हो गए तो कैंडिडेट्स को कैसे पता चलेगा कि उन्हें कितने अंक मिले, क्योंकि परसेंटाइल को किसी शिफ्ट में शामिल हुए छात्रों की संख्या के आधार पर निर्भर करेगा. उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में अधिक अंक लाने वाले कैंडिडेट्स का भी परसेंटाइल कम हो सकता है. इसी को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
आयोग ने क्या कहा?
अभ्यर्थियों के नॉर्मलाइजेशन के विरोध पर आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया देश के कई अन्य भर्ती निकायों में पहले से ही लागू की जा चुकी है. आयोग ने इस व्यवस्था को लागू करने से पहले विशेषज्ञों की एक टीम गठित कर पूरी समीक्षा की और उसके बाद ही इसे परीक्षाओं में शामिल किया गया है.
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