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ढाका: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को अमेरिका में नए ट्रंप प्रशासन से निपटने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि मोहम्मद यूनुस घोषित तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के धुर विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं। इसके अलावा उन्होंने 2016 में ट्रंप के चुनाव जीतने पर ऐसा बयान दिया था, जो अब उन पर भारी पड़ सकता है। ट्रंप पहले से ही मोहम्मद यूनुस को पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने 2016 में बांग्लादेश से मिलने पहुंचे एक डेलिगेशन के सामने भी मोहम्मद यूनुस की आलोचना करते हुए कहा था कि वो मुझे चुनाव जीतते हुए नहीं देखना चाहते थे।
2016 में, ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने के ठीक बाद, पेरिस में एक व्याख्यान देते हुए, यूनुस ने कहा था, "ट्रंप की जीत ने हमें इतना प्रभावित किया है कि आज सुबह मैं मुश्किल से बोल पा रहा था। मेरी सारी ताकत खत्म हो गई। क्या मुझे यहां आना चाहिए? बेशक, मुझे आना चाहिए, हमें इस गिरावट को अवसाद में नहीं जाने देना चाहिए, हम इन काले बादलों को दूर कर देंगे।" ट्रंप पर यूनुस के पिछले विचार और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की ट्रंप द्वारा सार्वजनिक रूप से निंदा किए जाने के कारण इस नोबेल पुरस्कार विजेता के लिए अमेरिका से निपटना मुश्किल हो सकता है।
इस बीच, ट्रंप की जीत के 24 घंटे से भी कम समय बाद, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वेकर-उज-जमान ने अपने भारतीय समकक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ एक ऑनलाइन बैठक की है। यह अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना को हटाए जाने के बाद उनकी पहली ऐसी बैठक थी। इस बैठक को एक आउटरीच अभ्यास के रूप में देखा जा रहा है। जनरल वेकर-उज-जमान बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के रिश्तेदार हैं। उन्होंने ही 5 अगस्त को शेख हसीना के भारत सुरक्षित पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन बाद में देश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में संकोच करते दिखाई दिए।
यह कोई रहस्य नहीं है कि अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसकी झलक मोहम्मद यूनुस की संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए हाल में ही अमेरिका यात्रा के दौरान दिखाई दिया। इस दौरान मोहम्मद यूनुस बहुत प्रेम से राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलते नजर आए थे। दोनों नेताओं के बॉडी लैंग्वेज को लेकर काफी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं, सवाल यह भी उठे थे कि खुद को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहने वाले देश का राष्ट्रपति एक अलोकतांत्रित तरीके से नियुक्त कार्यवाहक से कैसे मिल रहा है।
हमारे सहयोगी प्रशासन इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, निवर्तमान बाइडन प्रशासन बांग्लादेश के लिए एक वित्तीय पैकेज को अंतिम रूप दे रहा था। अमेकिका यूनुस शासन को चुनावों से पहले राजनीतिक सुधार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। इसने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी या बीएनपी को परेशान कर दिया था, जो हसीना को हटाने के आंदोलन का हिस्सा थे और सत्ता हासिल करने के लिए जल्दी चुनाव चाहते थे।
इस बीच, हसीना ने ट्रंप से संपर्क किया है, उन्हें बधाई दी है और भविष्य में समर्थन की इच्छा जताई है। हसीना ने कहा कि वह रिपब्लिकन के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि "दोनों देशों के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय हितों" को आगे बढ़ाया जा सके। दिलचस्प बात यह है कि हसीना ने ट्रंप को भेजे बधाई पत्र में खुद को प्रधानमंत्री बताया है।
यूनुस का पुराना बयान पड़ेगा भारी
2016 में, ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति चुनाव जीतने के ठीक बाद, पेरिस में एक व्याख्यान देते हुए, यूनुस ने कहा था, "ट्रंप की जीत ने हमें इतना प्रभावित किया है कि आज सुबह मैं मुश्किल से बोल पा रहा था। मेरी सारी ताकत खत्म हो गई। क्या मुझे यहां आना चाहिए? बेशक, मुझे आना चाहिए, हमें इस गिरावट को अवसाद में नहीं जाने देना चाहिए, हम इन काले बादलों को दूर कर देंगे।" ट्रंप पर यूनुस के पिछले विचार और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की ट्रंप द्वारा सार्वजनिक रूप से निंदा किए जाने के कारण इस नोबेल पुरस्कार विजेता के लिए अमेरिका से निपटना मुश्किल हो सकता है।
ट्रंप के जीतते ही बांग्लादेशी सेना प्रमुख एक्शन में
इस बीच, ट्रंप की जीत के 24 घंटे से भी कम समय बाद, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वेकर-उज-जमान ने अपने भारतीय समकक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ एक ऑनलाइन बैठक की है। यह अगस्त की शुरुआत में शेख हसीना को हटाए जाने के बाद उनकी पहली ऐसी बैठक थी। इस बैठक को एक आउटरीच अभ्यास के रूप में देखा जा रहा है। जनरल वेकर-उज-जमान बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के रिश्तेदार हैं। उन्होंने ही 5 अगस्त को शेख हसीना के भारत सुरक्षित पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन बाद में देश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में संकोच करते दिखाई दिए।
यूनुस को डेमोक्रेट्स का समर्थन
यह कोई रहस्य नहीं है कि अमेरिका के डेमोक्रेट्स ने यूनुस का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसकी झलक मोहम्मद यूनुस की संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए हाल में ही अमेरिका यात्रा के दौरान दिखाई दिया। इस दौरान मोहम्मद यूनुस बहुत प्रेम से राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलते नजर आए थे। दोनों नेताओं के बॉडी लैंग्वेज को लेकर काफी सवाल उठे थे। इतना ही नहीं, सवाल यह भी उठे थे कि खुद को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतंत्र कहने वाले देश का राष्ट्रपति एक अलोकतांत्रित तरीके से नियुक्त कार्यवाहक से कैसे मिल रहा है।
यूनुस को अमेरिकी सहयोग मिलने पर शंका
हमारे सहयोगी प्रशासन इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, निवर्तमान बाइडन प्रशासन बांग्लादेश के लिए एक वित्तीय पैकेज को अंतिम रूप दे रहा था। अमेकिका यूनुस शासन को चुनावों से पहले राजनीतिक सुधार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। इसने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी या बीएनपी को परेशान कर दिया था, जो हसीना को हटाने के आंदोलन का हिस्सा थे और सत्ता हासिल करने के लिए जल्दी चुनाव चाहते थे।
हसीना ने ट्रंप से किया संपर्क
इस बीच, हसीना ने ट्रंप से संपर्क किया है, उन्हें बधाई दी है और भविष्य में समर्थन की इच्छा जताई है। हसीना ने कहा कि वह रिपब्लिकन के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि "दोनों देशों के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय हितों" को आगे बढ़ाया जा सके। दिलचस्प बात यह है कि हसीना ने ट्रंप को भेजे बधाई पत्र में खुद को प्रधानमंत्री बताया है।
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