20 साल के थॉमस मैथ्यू क्रुक्स ने पेंसिलवेनिया के बटलर पार्क में डोनाल्ड ट्रंप पर गोली चलाई थी. AR Style 556 राइफल से चलाई गई गोली से ट्रंप बच तो गए लेकिन उनके कान में चोट लग गई. कुछ सेकेंड के लिए लगा कि कहानी खत्म. लेकिन वो 'कुछ सेकेंड' ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का टर्निंग प्वाइंट बन गए.
ट्रंप अगर अपना सिर दाहिनी तरफ न घुमाते तो इस इलेक्शन में उनका जीतना तो छोड़िए, उनका शायद जीवित रहना भी मुश्किल होता. जिस तरह से ट्रंप उस गोली से बचे वो किसी चमत्कार से कम नहीं है. उन्होंने 0.05 सेकेंड के अंतर पर सिर घुमाया. गोली सिर के बजाय दाहिने कान को छेद कर निकल गई.
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ड़ोनाल्ड ट्रंप ने उस समय खुद भी यह बात मानी थी कि मौत और उनके बीच मिलिसेकेंड्स का अंतर था. अगर आप ध्यान से ट्रंप पर हुए हमले का उस समय का वीडियो देखें यह जानकारी पता चलेगी. ट्रंप पोडियम से भाषण देते समय अपने दाहिने तरफ लगी स्क्रीन पर अवैध इमीग्रेशन का आंकड़ा देखते हैं. तभी गोली चली. ट्रंप का सिर दाहिने घूमा. गोली कान छेदते हुए निकल गई. इसके बाद ट्रंप झुक गए.
फाइट... फाइट... फाइट कहते हुए स्टेज से गए थे ट्रंप
गोली की आवाज आई. गोली कान छेदकर निकली. ट्रंप ने हाथ से दाहिने कान को छूकर देखा. हाथ में खून लगा. तुरंत गोली आने की दिशा में देखते हुए झुक गए. पहली गोली के पांच सेकेंड बाद दूसरा राउंड फायर हुआ.
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सीक्रेट सर्विस एजेंट्स ने स्टेज पर जाकर ट्रंप के चारों तरफ ह्यूमन शील्ड बनाया. तब तक हथियारबंद सैनिकों ने स्टेज पर पोजिशन ली. कुछ ही सेकेंड के बाद छत पर मौजूद स्नाइपर ने हमलावर को गोली मार दी. सीक्रेट सर्विस एजेंट्स के बीच से हाथ उठाकर फाइट, फाइट, फाइट कहते हैं. ट्रंप को सीधे उनकी कार में ले जाया जाता है.
कितनी ताकतवर है वो बंदूक जिससे ट्रंप को मारी गई थी गोली
जांच में पता चला कि थॉमस ने जिस AR Style 556 राइफल का इस्तेमाल किया, वो वैध तरीके से खरीदी गई थी. ये करीब 3 किलोग्राम वजन की सेमी-ऑटोमैटिक असॉल्ट राइफल है. जिसकी लंबाई करीब 35 इंच होती है. इसकी नली 16.10 इंच की होती है. यानी लंबी दूरी तक टारगेट हिट करने की क्षमता होती है.
इमीग्रेशन चार्ट ने ट्रंप की जान बचाई
अगर ट्रंप उस इमीग्रेशन चार्ट को देखने के लिए नहीं मुड़ते तो गोली उनके दाहिनी कनपटी के आगे लगती और सिर के पीछे से निकल जाती. ऐसे में ट्रंप का जीवित रहना असंभव हो जाता. असल में गोली के टारगेट तक पहुंचने के पीछे साइंस काम करता है.
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कैसे बचाए जाते हैं ऐसे हमलों से VIP?
ऐसी रैलियों में सीक्रेट सर्विस के लोग कुछ खास साइंटफिक यंत्रों और तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. ये तरीके, उनके यंत्र, उनकी प्रैक्टिस, त्वरित कार्रवाई ही वीआईपी को ऐसे हमलों से बचा पाती है.
एकॉस्टिक डिटेक्शन ...
सीक्रेट सर्विस के पास अत्याधुनिक एकॉस्टिक डिटेक्शन सिस्टम होता है. यानी गोली चलने से जो आवाज पैदा होती है, उसे पहचानने वाला यंत्र. गोली से पैदा होने वाले सोनिक बूम को पहचानता है. गोली चलते ही यह यंत्र सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को सतर्क कर देता है. वो गोली चलने की दिशा में एक्शन लेने लगते हैं.
बैलिस्टिक ट्रैजेक्टरी एनालिसिस...
सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स गोली के आने की दिशा और गति को समझने के लिए ट्रेंड होते हैं. वो गोली के आने की दिशा के मुताबिक VIP की सुरक्षा करते हैं. जैसे ही गोली ट्रंप के कान पर लगकर निकलती है, एजेंट्स ये जान जाते हैं कि गोली किधर से आई. उसी तरफ से ट्रंप को पहले कवर किया जाता है.
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रिएक्शन टाइम और ट्रेनिंग...
सीक्रेट सर्विस एजेंट्स के रिफ्लेक्सेस काफी तेज होते हैं. गोली की आवाज के साथ ही वो तेजी से अपने वीआईपी को बचाने या फिर हमलावर को मारने के लिए एक्शन लेते हैं.
मोशन का फिजिक्स...
फिजिक्स का वह नियम जो किसी भी वस्तु की गति, दिशा की समझ पैदा करता है. इन चीजों को समझ कर ही सीक्रेट सर्विस एजेंट्स गोली के आने की दिशा आदि की जानकारी हासिल कर पाते हैं. जब भी गोलियों के चलने की जांच की जाती है, तब उस समय हवा की गति, एंगल, हवा में नमी की भी जांच की जाती है.
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