दिल्ली विधानसभा चुनाव में तीन महीने से भी कम वक्त बचा है, उससे पहले दिल्ली नगर निगम को उसका मेयर मिल जाएगा. महापौर शैली ओबेरॉय ने नए मेयर के चुनाव का ऐलान कर दिया है, जो 14 नवंबर को होने वाले MCD सदन की बैठक में चुन लिया जाएगा. अप्रैल 2024 से ही नए मेयर का चुनाव अटका हुआ था. दिल्ली नगर निगम का एक्ट ये कहता है कि नए मेयर के चुनाव की तारीख और समय निवर्तमान महापौर निर्धारित करती/करते हैं, तो वहीं चुनाव करवाने के लिए पीठासीन अधिकारी दिल्ली के एलजी तय करेंगे. बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों चाहेंगे कि मेयर उसका हो और दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव में उत्साह के साथ उतर सकें.
एमसीडी सदन में नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह ने मेयर चुनाव के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी पर तंज कसा और कहा, 'आखिरकार भाजपा का संघर्ष रंग लाया. भाजपा के दवाब में AAP ने 14 नवंबर को महापौर चुनाव की अनुमति दी. लेकिन, दलित समाज AAP द्वारा किए गए अन्याय को याद रखेगा. सात माह तक AAP ने दलित महापौर को सीट पर बैठने से रोका. दुख की बात है कि AAP की दलित विरोधी मानसिकता से दलित महापौर को सिर्फ तीन माह का कार्यकाल मिलेगा. इससे दलित समाज AAP से नाराज है.'
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राजा इकबाल सिंह ने कहा कि अनुसूचित समाज ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा करना छोड़ दिया है और साथ ही एससी समाज के विधायक भी AAP छोड़कर जा रहे हैं. जनता में भी इसको लेकर काफी गुस्सा है, जिसका जवाब दिल्ली की जनता अगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को हराकर देगी. उन्होंने दावा किया कि भाजपा दिल्ली में सरकार बनाएगी. राजा इकबाल सिंह ने कहा कि भाजपा ने सड़क से लेकर सदन तक AAP को महापौर का चुनाव कराने के लिए मजबूर कर दिया. नहीं तो AAP के मेयर की मंशा दलितों का हक मारकर 2027 तक कुर्सी पर बैठे रहने की थी.
क्यों अटक गया था MCD मेयर काचुनाव
आम आदमी पार्टी शासित एमसीडी में मौजूदा मेयर शैली ओबेरॉय एक्सटेंशन पर हैं. अप्रैल 2024 से ही दिल्ली नगर निगम को उसका तीसरा मेयर मिलना बाकी है. जब दिल्ली में मेयर और सीएम दोनों AAP के हैं और अरविंद केजरीवाल ने इसी 16 अक्टूबर को चिट्ठी लिखकर मेयर का चुनाव कराने की बात कही थी, इसके बावजूद दिल्ली को उसका तीसरे साल का अनुसुचित जाति का मेयर नहीं मिला. गत 28 अक्टूबर को मेयर शैली ओबेरॉय ने एमसीडी सदन की बैठक में ऐलान किया था कि दिवाली के बाद चुनाव होंगे. दिल्ली नगर निगम का एक्ट कहता है कि नए मेयर के चुनाव की तारीख और समय मेयर निर्धारित करती हैं, तो वहीं चुनाव करवाने के लिए पीठासीन अधिकारी दिल्ली के एलजी तय करेंगे.
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अप्रैल 2024 में महापौर के चुनाव के वक्त बीजेपी और AAP ने प्रत्याशी घोषित कर दिए, लेकिन पीठासीन अधिकारी तय करने वाले दिल्ली के एलजी ने यह कहकर फाइल लौटा दी कि इस पर सीएम का रिकमेंडेशन नहीं है. साथ ही नए मेयर के चुने जाने तक मौजूदा मेयर को पद पर बने रहने के लिए कहा. तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उस वक्त जेल में थे, लिहाजा वह रिकमेंडेशन नहीं कर पाए. इस कारण महापौर का चुनाव लंबित है. दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव हर साल अप्रैल में होता है.
दिसंबर 2022 में जब निगम के आम चुनाव हुए तो AAP ने 134 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद AAP पार्षद शैली ओबेरॉय फरवरी, 2023 में दिल्ली की महापौर बन गई थीं. वित्तीय वर्ष खत्म हुआ तो अप्रैल 2023 में हुए महापौर के चुनाव में फिर शैली ओेबेरॉय महापौर चुनी गईं. अप्रैल 2024 का महापौर चुनाव हो नहीं पाया. एमसीडी एक्ट के अनुसार महापौर पद पर पहला साल महिला पार्षद के लिए आरक्षित है, दूसरा जनरल और तीसरा साल अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित होता है.
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