यमुना में ये झाग आती कहां से है? छठ पूजा से पहले दिल्ली में गरमाता है सियासी माहौल

Delhi Yamuna River Toxic Foam: छठ पूजा से पहले यमुना में जहरीला झाग प्रदूषण और उससे होने वाले खतरे को लेकर दिल्ली में रहने वालों की चिंता बढ़ा रहा है. शुक्रवार को कालिंदी कुंज इलाके में यमुना नदी में जहरीला झाग तैरता हुआ दिखाई देने के बाद दिल्ली क

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Delhi Yamuna River Toxic Foam: छठ पूजा से पहले यमुना में जहरीला झाग प्रदूषण और उससे होने वाले खतरे को लेकर दिल्ली में रहने वालों की चिंता बढ़ा रहा है. शुक्रवार को कालिंदी कुंज इलाके में यमुना नदी में जहरीला झाग तैरता हुआ दिखाई देने के बाद दिल्ली के आम लोगों और राजनीतिक नेताओं ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकारी कोशिशों का नाकामी के खिलाफ आवाज उठाई है.

छठ पूजा से पहले यमुना में झाग हटाने के लिए डिफोमर्स का छिड़काव

छठ पूजा से पहले यमुना नदी में सफेद झाग की चादर दिखाई देने के बाद अधिकारियों ने इसे दूर करने के लिए रासायनिक डिफोमर्स का छिड़काव किया था. इसके बावजूद झाग का बनना नहीं थमने पर भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने प्रदूषण के लिए दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि यमुना में बढ़ते प्रदूषण के साथ ही दिल्ली को "गैस चैंबर" बनाने के लिए केजरीवाल जिम्मेदार हैं.

भाजपा नेताओं का आप सरकार और अरविंद केजरीवाल पर बड़ा हमला

पूनावाला प्रदूषण के मुद्दे को लेकर लंबे समय से केजरीवाल पर सियासी हमला करते रहे हैं. उन्होंने कहा, "दिवाली के अगले दिन जब हम यहां यमुना घाट पर होते हैं, तो हम नदी पर झाग की एक मोटी परत देख सकते हैं. यहां (नदी पर) इस झाग के पीछे का कारण अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी द्वारा किया गया भ्रष्टाचार है. अब छठ पूजा से पहले वे रासायनिक डिफोमर्स का छिड़काव कर रहे हैं."

#WATCH दिल्ली: भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने कहा, "दिवाली के अगले दिन जब हम यमुना के घाट पर आए हैं तो यमुना नदी कितनी प्रदूषित है इसका अंदाजा झाग की मोटी परत देख कर मिल रहा है। इसका कारण पिछले 10 वर्षों में 7000 करोड़ रुपये यमुना नदी की सफाई के लिए दिए गए थे वो अरविंद केजरीवाल ने… pic.twitter.com/owFEjqqjpS

— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 1, 2024

यमुना नदी में छठ पूजा करें या नहीं... सोचने पर मजबूर हो रहे स्थानीय लोग

दिल्ली जल बोर्ड की एक टीम पिछले सप्ताह से ही सफेद जहरीले झाग को नियंत्रित करने के लिए यमुना नदी में सफाई अभियान और रसायनों का छिड़काव कर रही है. हालांकि स्थानीय निवासी इसके बावजूद निराश हो रहे हैं. यमुना नदी के आसपास रहने वाले लोगों ने छठ पूजा पर प्रदूषण के प्रभाव के बारे में चिंता जताई. उन्होंने एएनआई से कहा, "आप देख सकते हैं, यहां बहुत प्रदूषण है. छठ पूजा के लिए समस्या खड़ी हो गई है. हमें अब यह सोचना होगा कि यहां छठ पूजा की जा सकती है या नहीं."

यमुना में ये झाग आती कहां से है? क्या है बढ़ते जल प्रदूषण की बड़ी वजह?

यमुना नदी में झाग कहां से आती है या कैसे बनती है को लेकर ज्यादातर लोगों के मन में सवाल उठता है. हालांकि, यह सब जानते हैं कि यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण जहरीला झाग देखा जाता है. पर्यावरणविद् यमुना नदी में इस तरह की घटना को लेकर दिल्ली में पर्यावरण नियमों और राज्य के शासन को मजाक बताते. उनके मुताबिक, यमुना नदी की सतह पर बहुत सारे झाग से जुड़े प्रदूषण के सारे स्रोत मुख्य रूप से दिल्ली से हैं. भले ही दिल्ली सरकार इसके लिए पड़ोसी राज्यों पर दोष मढ़ना चाहे. दिल्ली के 17 बड़े नाले सीधे यमुना में गिरते हैं.

दिल्ली में यमुना नदी का सबसे बदतर हाल, 36 किलोमीटर में ऑक्सीजन जीरो

बायो एक्सपर्ट के मुताबिक, यमुना की झाग बढ़ते प्रदूषण का संकेत है. हरियाणा से द‍िल्‍ली में प्रवेश के प्वाइंट पर यमुना नदी में ऑक्सीजन का लेवल 9 और फिकल मैटर का इंडिकेटर (मल मूत्र का इंडिकेटर) 1200 है. ऑक्सीजन लेवल 9 का मतलब है कि वहां पर आचमन किया जा सकता है, स्नान किया जा सकता है, पानी पीने लायक भी है, लेक‍िन जब द‍िल्‍ली में 36 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद यमुना बाहर निकलती हैं, तो वहां ऑक्सीजन का लेवल जीरो और फिकल इंडिकेटर 9 लाख है. वहां यमुना नदी के पास खड़े भी नहीं हो सकते. यमुना नदी में कोई जीव-जंतु जिंदा नहीं बच पाता.

अंतरिक्ष से सैटेलाइट इमेजरी में भी कैद यमुना में झाग के और क्या-क्या कारण?

यमुना नदी में सफेद जहरीले झाग का आलम यह है कि अंतरिक्ष से सैटेलाइट इमेजरी में भी इसे कैद किया जा चुका है. आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर और स्टूडेंट की एक टीम ने मौसम के बदलाव के साथ दिल्ली में होने वाली इस पर्यावरणीय घटना के कारणों का पता लगाने के लिए रिसर्च की. इसके मुताबिक, यमुना नदी की सतह पर टॉक्सिक सफेद झाग मुख्य रूप से नदी में गिरने वाले केमिकल प्रदूषकों और सीवेज का स्तर बढ़ने के कारण होता है. घरेलू और औद्योगिक कचरे से फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट वाले डिटर्जेंट की वजह से झाग बढ़ता है. केमिकल्स यमुना नदी के पानी की सतह पर तनाव को कम कर देते हैं, जिससे बुलबुले और सफेद झाग बनते हैं.

यमुना में जहरीले सफेद झाग बनने के पीछे पर्यावरण और इंसान दोनों जिम्मेदार

यमुना नदी में सफेद और जहरीले झाग बनने के पीछे पर्यावरण और इंसान दोनों की गतिविधियां जिम्मेदार हैं. पर्यावरणीय कारण देखें तो मानसून के बाद गर्म पानी का तापमान सर्फेक्टेंट की हरकत को तेज कर देता है. इससे बनने वाले कंपाउंड पानी के सतह पर बनने वाले तनाव को कम करते हैं और झाग बनना तेज हो जाता है. जल का स्तर और प्रवाह कम होने पर यही ठहराव झाग को इकट्ठा होने और देर तक बने रहने के लिए जिम्मेदार होता है. बिना ट्रीटमेंट वाले सीवेज की मात्रा बढ़ने से यमुना नदी की यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है.

सीवेज, वेस्टेज और गंदा तरल यमुना में सफेद झाग बढ़ने का सबसे बड़ा कारण

वहीं, इंसानों की गलती के लिहाज से देखें तो यमुना नदी में सफेद झाग के लिए बगैर ट्रीटमेंट के गिरने वाला सीवेज मुख्य फैक्टर है. यमुना में रोजाना 3.5 बिलियन लीटर से अधिक सीवेज आता है. इसमें से सिर्फ 35-40 फीसदी का ही ट्रीटमेंट किया जाता है. ये सीवेज नाइट्रेट्स और फॉस्फेट से प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देता है. इसके दबाव के कारण बड़े पैमाने पर झाग बनने लगता है. आईआईटी कानपुर में कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी सीवेज, वेस्टेज और गंदे तरल को यमुना में सफेद झाग बनने का सबसे बड़ा कारण बताते हैं.

कम ऑक्सीजन, मीथेन गैस, कार्बनिक पदार्थ और बैक्टीरिया से भी बनते हैं झाग

वैज्ञानिक खास तरह के फिलामेंटस बैक्टीरिया की मौजूदगी को भी यमुना नदी में सफेद झाग बनने की एक बड़ी वजह मानते हैं. ये बैक्टीरिया कम ऑक्सीजन वाले पानी में सर्फेक्टेंट अणु छोड़ते हैं, जो झाग को स्थिर करने में मदद करता है. इन सर्फेक्टेंट के अलावा यमुना नदी में सड़े हुए पौधे, शैवाल, मृत जीव और कृषि अपशिष्ट भी गिरते और बहते हैं. ये कार्बनिक पदार्थ टूटने पर मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैस छोड़ते हैं. सर्फेक्टेंट वाले पानी में फंसे गैस से झाग बढ़ने में मदद मिलती है. अक्सर कृषि अपवाह और बदतर अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था के चलते ऐसे कार्बनिक पदार्थों को यमुना में गिराया जाता है.

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यमुना नदी में टॉक्सिक झाग बनने से है दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का भी कनेक्शन?

कई सारी साइंटिफिक रिसर्च के मुताबिक, यमुना नदी के पानी में मौजूद फथलेट्स, हाइड्रोकार्बन और कीटनाशक जैसे कार्बनिक प्रदूषक वाष्पित होकर वायुमंडल में फैल जाते हैं. यमुना नदी में बड़े पैमाने पर मौजूद ये प्रदूषक पानी और हवा के बीच विभाजन कर सकते हैं और वायुमंडलीय ऑक्सीडेंट के साथ केमिकल रिएक्शन करके सेकेंडरी कार्बनिक एरोसोल (SOAs) बना सकते हैं. यह केमिकल रिएक्शन तापमान, आर्द्रता और पानी की कार्बनिक संरचना सहित पर्यावरणीय परिस्थितियों से भी प्रभावित होती है, जिससे वायु प्रदूषण भी बढ़ता है.

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा, 'बहुत खराब' श्रेणी में दिल्ली की वायु गुणवत्ता

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, शुक्रवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में धुंध की मोटी परत छाई रही. इसके चलते राजधानी की वायु गुणवत्ता (AQI) 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई. दिल्ली के ज्यादातर क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 से अधिक दर्ज किया गया. सुबह करीब 7 बजे, आनंद विहार में AQI 395, आया नगर में 352, जहांगीरपुरी में 390 और द्वारका में 376 दर्ज किया गया. यह सभी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्तर का जोखिम पैदा कर रहे हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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