मोहन भागवत संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने के लिए मथुरा आए हैं.वह 10 दिन के मथुरा प्रवास पर हैं. यहीं45 मिनट की बंद कमरे में हुई एक मुलाकात को सियासी गलियारों में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस मुलाकात में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औपचारिक तौर पर मोहन भागवत को महाकुंभ में आने का निमंत्रण दिया, लेकिन चर्चा है कि यह बैठक केवल औपचारिकता तक सीमित नहीं थी. सूत्रों के अनुसार, इस दौरान यूपी की राजनीति, खासकर आगामी उपचुनावों और संघ कार्यकर्ताओं की भूमिका पर भी गहन चर्चा हुई.
2024 के लोकसभा चुनावों के बाद मोहन भागवत का गोरखपुर प्रवास चर्चा का विषय बना था, जहां योगी और भागवत की गुप्त मुलाकात की खबरें सामने आई थीं. हालांकि, उस समय इन खबरों की कोई पुष्टि नहीं हुई थी. लेकिन अब मथुरा में हुई इस औपचारिक मुलाकात से यह संकेत मिल रहा है कि संघ, भाजपा और योगी आदित्यनाथ के बीच सब कुछ सामान्य हो रहा है.
तो मथुरा में योगी और भागवत की मुलाकात हुई
लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे आने के कुछ दिन बाद ही योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत की मुलाकात होने और न होने जैसी खबरें आई थीं. इंडियन एक्सप्रेस को छोड़ कर किसी ने भी योगी-भागवत मुलाकात की खबर की पुष्टि नहीं की थी.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पक्कीबाग में सरस्वती शिशु मंदिर का दौरा किया था और वहीं मोहन भागवत से बंद कमरे में मुलाकात हुई. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक ये मुलाकात सुबह साढ़े आठ बजे के करीब हुई और करीब आधे घंटे तक चली थी.
जहां तक मथुरा के मुलाकात की बात है, तो बताते हैं कि दोनो नेता मिले तो वैसे ही है जैसे इंडियन एक्सप्रेस ने गोरखपुर के बारे में रिपोर्ट दी थी, लेकिन मिलने की अवधि 45 मिनट रही - और ये बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने संघ प्रमुख मोहन भागवत को महाकुंभ में आने का औपचारिक तौर पर न्योता दिया है.
सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि मीटिंग में 9 सीटों पर उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव की रणनीति पर भी बात हुई है, जिसमें संघ के कार्यकर्ताओं के जुटने, संघ से मिलने वाले फीडबैक पर गंभीरता से बातचीत हुई है. कहते हैं, हरियाणा की तरह ही संघ ग्राउंड लेवल पर अब यूपी में भी बीजेपी के साथ खड़ा नजर आएगा.
मुलाकात तो हुई, बातें क्या हुईं?
एक सहज सवाल है, क्या 45 मिनट तक सिर्फ यूपी उपचुनाव पर बात हुई होगी. न्योता देने की रस्म भी तो एक मिनट या ज्यादा से ज्यादा दो मिनट चली होगी - और ऐसा भी तो नहीं कि बाकी वक्त दोनो दिग्गज चुपचाप गुजार दिये होंगे.
तो फिर क्या बातें हुई होंगी?
मुलाकात ये मथुरा में हुई जरूर है, लेकिन मथुरा पर कोई बात नहीं हुई होगी. जब से योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, होली के मौके पर मथुरा जाना नहीं भूलते - और ये भी नहीं भूलना चाहिये कि मोहन भागवत मथुरा मुद्दे से संघ को पहले ही अलग कर चुके हैं. अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर आंदोलन से जुड़े नारे का ध्यान दिलाते हुए सवाल पूछा गया था. वो नारा था, अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है.
मोहन भागवत ने तब साब साफ बोल दिया था कि मथुरा मुद्दे से उनका कोई लेना देना नहीं है, और न ही रहेगा. अयोध्या आंदोलन विश्व हिंदू परिषद से शुरू किया था, जिससे बाद में संघ भी जुड़ गया था, और तभी मोहन भागवत ने साफ कर दिया था कि मिशन पूरा हो चुका है, और संघ फिर से राष्ट्र निर्माण और व्यक्ति निर्माण के काम में लग जाएगा.
अगर मथुरा पर बात नहीं हुई तो काशी पर भी चर्चा का कोई खास मतलब नहीं है. काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर बनना था, बन गया. और, अब तो प्रधानमंत्री वाराणसी को स्वास्थ्य सुविधाओं को बड़ा केंद्र बता रहे हैं - रही बात अयोध्या की तो उस पर भी फिलहाल कोई महत्वपूर्ण चर्चा नहीं हो सकती है, क्योंकि मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव तो हो ही नहीं रहा है.
बेशक अयोध्या की हार बीजेपी के लिए अहम मसला है, लेकिन उसमें तो योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनो की ही भूमिका मानी जा रही है - क्योंकि बीजेपी नेतृत्व के अहंकार के चलते ही योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत दोनो ही ने अपनी भूमिकाएं थोड़ी सीमित कर ली थीं.
अपनी बात तो योगी आदित्यनाथ ने तभी बोल दी थी, जब बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा बीजेपी की हार की समीक्षा कर रहे थे. बीजेपी फैजाबाद सीट क्यों हार गई, और पांच साल पहले के मुकाबले लगभग आधी सीटों पर कैसे सिमट गई.
योगी आदित्यनाथ का कहना था कि बीजेपी का ये हाल अपने अति-आत्मविश्वास के कारण हुआ है. जिस अति आत्मविश्वास का जिक्र योगी आदित्यनाथ कर रहे थे, उससे तो मोहन भागवत भी इत्तफाक रखते होंगे. जेपी नड्डा के मुंह से संघ के बारे में कही गई बातें तो सुनी ही होगी. लोकसभा चुनावों के दौरान ही जेपी नड्डा ने कह डाला था कि बीजेपी अब इतनी सक्षम हो चुकी है कि उसे संघ की पहले जैसी जरूरत नहीं रह गई है. जाहिर है, जेपी नड्डा का इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह की तरफ ही होगा - जिनकी बदौलत वो मान कर चल रहे होंगे बीजेपी तो अब अजेय बन चुकी है.
कुछ सवाल और भी हैं
1. क्या मोहन भागवत से योगी आदित्यनाथ अपने बारे में भी कोई बात किये होंगे?
2. क्या योगी आदित्यनाथ यूपी में बीजेपी की स्थिति पर भी बात किये होंगे, और संघ से किसी तरह की मदद भी मांगे होंगे?
3. क्या मोहन भागवत की तरफ से योगी आदित्यनाथ को कोई खास सलाहभी दी गई होगी, और उसमें बीजेपी नेतृत्व का भी कोई जिक्र रहा होगा?
+91 120 4319808|9470846577
स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.