Analysis- यूपी में BJP ने लोकसभा चुनाव से सीखा सबक, उपचुनावों में दिखी झलक

BJP Politics: लोकसभा चुनावों में यूपी के भीतर बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा. सपा-कांग्रेस के नेतृत्‍व वाले इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया. सपा ने अकेले 37 सीटें जीत लीं. हालांकि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार तीसरी बार जरूर ब

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BJP Politics: लोकसभा चुनावों में यूपी के भीतर बीजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा. सपा-कांग्रेस के नेतृत्‍व वाले इंडिया गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया. सपा ने अकेले 37 सीटें जीत लीं. हालांकि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्‍व वाली एनडीए सरकार तीसरी बार जरूर बनी लेकिन बीजेपी अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई और पार्टी को 240 सीटों पर संतोष करना पड़ा. यूपी में बीजेपी के पिछड़ने को लेकर उसके बाद बहुत कुछ लिखा-पढ़ा गया. बीजेपी ने संभवतया लोकसभा चुनावों से सबक लिया.

दरअसल यूपी में लोकसभा चुनावों में बीजेपी के पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह ये कही गई थी कि पार्टी ने अपने मूल कैडर की उपेक्षा की. इससे काडर निराश-नाराज हुआ और उसने दूरी बना ली. लेकिन इस बार के उपचुनावों में लगता है कि बीजेपी ने उस भूल को सुधार लिया है. इसकी झलक से इस बात से समझी जा सकती है कि बीजेपी ने 9 सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों में से जिन 8 सीटों पर अपने प्रत्‍याशी उतारे हैं उनमें से पांच सीटों पर काडर के पुराने नेताओं को ही टिकट दिया है. एक बची हुई मीरापुर सीट पर बीजेपी की सहयोगी रालोद लड़ेगी. इस पृष्‍ठभूमि में आइए बीजेपी के उन नेताओं की प्रोफाइल पर डालते हैं एक नजर जिनको बीजेपी ने इस बार मैदान में उतारा है:

1. सुरेश अवस्‍थी: कानपुर की सीसामऊ सीट से लड़ेंगे. छात्रनेता के रूप में सियासी पारी शुरू की. बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता हैं. सपा के इरफान सोलंकी से एक बार चुनाव हार चुके हैं. इरफान सोलंकी की एक मामले में दोषसिद्धि होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं.

2. अनुजेश यादव: अखिलेश यादव के करहल सीट छोड़ने और सपा के गढ़ वाली इस सीट पर बीजेपी ने अपने पुराने नेता अनुजेश को उतारा है. सपा की तरफ से तेज प्रताप यादव लड़ रहे हैं. अनुजेश रिश्‍ते में तेज प्रताप के फूफा हैं. अनुजेश पूर्व जिला पंचायत अध्‍यक्ष रह चुके हैं.

3. संजीव शर्मा: दो बार से गाजियाबाद के महानगर अध्‍यक्ष हैं. ब्राह्मण चेहरा हैं. इस सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है.

4. सुचिस्मिता मौर्य: 2017 में मझवां सीट से विधायक रही हैं. उनके ससुर रामचंद्र मौर्य भी 1996 में भाजपा के टिकट पर इस सीट से विधायक रहे.

5. रामवीर ठाकुर: भाजपा से करीब तीन दशक से जुड़े हुए हैं. 2017 में मुरादाबाद से बीजेपी के टिकट पर लड़ चुके हैं. 2012 और 2017 में कुंदरकी से भी किस्‍मत आजमाई लेकिन कामयाबी नहीं मिली. इस बार फिर इसी सीट से मैदान में हैं.

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6. सुरेंद्र दिलेर: इनके पिता राजबीर दलेर हाथरस से बीजेपी के सांसद रहे हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनकी जगह खैर सीट से विधायक ओमप्रकाश वाल्‍मीकि को टिकट दिया. इस कारण रिक्‍त हुई खैर सीट पर सुरेंद्र दिलेर को मौका दिया गया है.

7. दीपक पटेल: इनकी मां केशरी देवी पटेल 2019 में फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद रहीं. अबकी बार उनका टिकट कट गया. दीपक पटेल पहले बसपा में थे. 2012 में करछना से जीत चुके हैं. हालांकि 2007 में प्रयागराज में बीएसपी के टिकट पर हार गए थे.

8. धर्मराज निषाद: कटेहरी सीट से बीजेपी प्रत्‍याशी हैं. बसपा के पुराने नेता रहे. 2022 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी से जुड़े लेकिन तब पार्टी ने टिकट नहीं दिया था.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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