महाराष्ट्र में महायुति की नाव अजित पवार ही डुबोएंगे, इन पांच बातों से समझिए | Opinion

4 1 7
Read Time5 Minute, 17 Second

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की लड़ाई भारतीय जनता पार्टी के लिए हरियाणा जैसीही कठिन है. क्योंकि लोकसभा चुनावों में जिस तरह बीजेपी और सहयोगी दलों की दाल महाराष्ट्र में नहीं गली थी उसी तरह हरियाणा में नहीं गल सकीथी. पर हरियाणा की तरहदाल को गलाकर अपने को प्रूव करने का मौका बीजेपी के पास महाराष्ट्र में भी आ गया है. पर महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी अब भी अपने सहयोगियों विशेषकर एनसीपी (अजित पवार) के साथ सेफ नहीं महसूसकर रही है. हालांकि खबर आ रही है कि सीट शेयरिंग का मुद्दा पूरी तरह सुलझा लिया गया है. पर जिस तरह पिछले 2 दिन बीजेपी दूसरी जगहों पर संभावनाएं तलाश रही थी उससे तो यही लग रहा था कि वो अपने सहयोगी दलों से संतुष्ट नहीं है.

ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी के बड़े नेताओं से शिवसेना (यूबीटी ) के नेताओं से गठबंधन की संभावनाओं को लेकर सोमवार को बातचीत हुई थी. शायद बातचीत सफल नहीं रही. यह सब महायुति के घटक दलों, शिवसेना (शिंदे) और भारतीय जनता पार्टी के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार) के साथ स्पष्ट असहजता के माहौल को ही दर्शाता है. राजनीतिक विश्लेषकों का भी कहना है कि सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के लिए अजित पवार की एनसीपी एक चुनौती साबित हो सकती है. ऐसा क्यों कहा जा रहा है आइये देखते हैं.

1-बीजेपी की 'वॉशिंग मशीन' को सबसे अधिक डेंट अजित पवार ने ही लगाया

चाहे विरोधी गठबंधन हों या मीडिया हाउसेस दोनों ही जगहों पर अजित पवार को बीजेपी की वॉशिंग मशीन में धुला होने का ताना देकर मजाक उड़ाया जाता है. दरअसल पार्टीमें आने के पहले तक करीब-करीब सभी बीजेपी के नेता उनके ऊपर कई हजार करोड़ के घोटाले के आरोप लगाते रहे हैं. पर अजित पवार के बीजेपी में शामिल होते ही उनके सारे भ्रष्टाचार के आरोप धुल गए. अब कोई बीजेपी का नेता उनके पुराने आरोपों पर चर्चा नहीं करता है. राजनीतिक विश्लेषक सौरभ दुबे कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में अगर बीजेपी की छवि सबसे अधिक किसी एक निर्णय के चलते खराब हुई तो उसमें सबसे ऊपर अजित पवार को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करना रहा है.

Advertisement

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने चिंता व्यक्त की है कि अजित पवार के साथ गठबंधन न केवल उनके चुनावी आंकड़े को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी स्थिति को भी कमजोर कर रहा है. अजित पवार विभिन्न घोटालों में कथित रूप से शामिल रहे हैं. अप्रैल में, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले में क्लीन चिट दे दी थी.

इन्हीं आरोपों के चलतेअजित पवार को गठबंधन में शामिल करने का संघ परिवार की साप्ताहिक पत्रिकाओं ऑर्गनाइज़र (अंग्रेज़ी) और विवेक (मराठी) में भी नाराजगी जताई जा चुकी है. अगस्त में, बीजेपी की स्थानीय नेता आशा बुचके ने पुणे में अजित के काफिले का काले झंडों से स्वागत किया था.

2-जनता का सेंटिमेंट शरद पवार के साथ, चाचा को धोखा देना नहीं पचा सकी जनता

इसके साथ ही अजित पवार पर एक सबसे बड़ा धब्बा ये भीहै कि उन्होंने अपने बुजर्ग चाचा को धोखा दिया है. महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य शरद पवार का सम्मान सभी राजनीतिक दलों में है. शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को इतनी ऊंचाई तक पहुंचाया पर भतीजा केवल सत्ता के लोभ में अपने चाचा को किनारे लगा दिया. इतना ही नहीं उनकी बेटी सुप्रिया सुले संसद में न पहुंच पाए इसलिए अपनी बीवी को उनके खिलाफ चुनाव में खड़ा कर दिया. हालांकि जनता ने सुप्रिया सुले को संसद में पहुंचाकर अजित पवार को यह अहसास करा दिया था कि वो अपने चाचा के आगे अभी कुछ नहीं है. अपने चाचा को धोखा देने के चलते जनता मेंउनकी छवि एक अवसरवादी की हो चुकी है. इसका सीधा असर बीजेपी पर भी पड़ रहा है. लोगों को लगता है, बीजेपी पूरे राज्य में पार्टियों को तोड़कर राज करना चाहती है.

Advertisement

3-लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन भी सबसे खराब रहा

इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों ने सत्ताधारी गठबंधन महायुति में एनसीपी के घटते प्रभाव को स्पष्ट कर दिया. लोकसभा चुनावों में अजित पवार के गुट ने चार में से केवल एक सीट ही जीतसकी थी. जबकि चाचा शरद पवार की एनसीपी जो विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा हैं, ने आठ सीटें जीतकर अपनी महत्ता बता दी थी. लोकसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण अगर विधानसभावार करें तो NCP (शरद पवार) 34 सीटों पर जीती थी. वहीं NCP (अजित) 6 सीटों पर सिमट गई. यानी शरद पवार को 22 सीटों का फायदा होता दिख रहा है वहीं अजित पवार को 34 सीटों का भारी नुकसान नजर आ रहा है.

4-अकेले चुनाव लड़ते तो एनसीपी (एसपी) के वोट काटते

हरियाणा में अपने चाचा से बगावत करके बीजेपी के साथ आए जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को ऐन चुनावों के पहले पार्टी ने खुद से अलग कर दिया. इसके पीछे यही रणनीति थी कि अगर जेजेपी अलग चुनाव लड़ेगी तो जाट वोटों को कुछ न कुछ काटने का ही काम करेगी. उसी तरह महाराष्ट्र में भी ऐसा लग रहा था कि अजित पवार भी ऐन चुनावों के पहले सरकार से अलग हो जाएंगे. पर ऐसा नहीं हुआ. अब अजित पवार महायुति में रहकर ही चुनाव लड़ेंगे. जाहिर है कि ऐसे में एनसीपी और शिवसेना के वोट कटने से रहा.

Advertisement

5-पिछले दिनोंअजित केबयानएनडीए की लाइन लेंथपर कभी नहीं रहे

जब से अजित पवार महायुति सरकार में शामिल हुए हैं, तभी से ऐसी बातें आनीशुरू हो गईं थीं कि वो सत्तारूढ़ गठबंधन में ज्यादादिन के मेहमान नहीं हैं. इस बीच कई बार शरद पवार से उनकी मुलाकात भी हुई जिससे ऐसा लगा कि अजित पवार जल्द ही घर वापसी कर लेंगे. यही नहीं अजित पवार ने इस दौरान कई ऐसे बयान भी दिए जिससे लगा कि वो बीजेपी-शिवसेना के स्वाभाविक दोस्त नहीं हो सकते हैं. उन्होंने अभी कुछ दिन पहले अपने कोटे से मिलेटिकटों से 10 प्रतिशत टिकट मुस्लिम कैंडिडेट्स को देने का वादा किया है.अजित पवार की हाल ही में एनसीपी के पूर्व मंत्री नवाब मलिक के साथ सार्वजनिक मुलाकातें, जो फिलहाल जमानत पर बाहर हैं, के चलते भी बीजेपी के भीतर कई तरह के सवाल उठाये गये.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

MVA में खींचतान के बीच संजय राउत ने महाराष्ट्र की 100 सीटों पर ठोका दावा

News Flash 23 अक्टूबर 2024

MVA में खींचतान के बीच संजय राउत ने महाराष्ट्र की 100 सीटों पर ठोका दावा

Subscribe US Now