ड्राइवर ने मासूम बच्ची को बनाया हवस का शिकार, कोर्ट ने सुनाई 20 साल जेल की सजा

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दिल्ली की एक अदालत ने एक 44 वर्षीय ड्राइवर को रेप केस में 20 साल के कठोर करावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोषी को 15 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अपराधी ड्राइवर 3.5 साल की मासूम बच्ची को स्कूल ले जाने और वापस लाने का काम करता था. इस दौरान उसको लगातार अपनी हवस का शिकार बनाया करता था. करीब तीन महीने के बाद बच्ची ने अपनी मां को उसकी करतूत के बारे में बताया, जिसके बाद उसके खिलाफ केस दर्ज कराया गया था.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बलविंदर सिंह ने सजा का ऐलान करते हुए कहा कि अपराधी ने पीड़ित बच्ची के परिवार के साथ विश्वासघात किया है. परिवार उस पर भरोसा करता था. लेकिन उसने भरोसा तोड़ते हुए एक मासूम बच्ची के साथ रेप किया. इसलिए वो सहानुभूति या उदारता का कतई हकदार नहीं है. उसने सामाजिक मूल्यों और नैतिकता का भी उल्लंघन किया है. इतना ही नहीं वो अपने कृत्य की प्रकृति और परिणामों को समझने के लिए पर्याप्त परिपक्वता रखता था.

अदालत ने आगे कहा कि अपनी बड़ी उम्र होने के बावजूद अपराधी ने नाबालिग के साथ जघन्य अपराध करने में जरा भी संकोच नहीं किया, जिसके परिवार ने उसे बच्चे की कस्टडी स्कूल और वापस लाने के लिए सौंपी थी. आदेश में कहा गया है, "दोषी ने उसकी (पीड़िता की) मासूमियत और कमज़ोरी का फ़ायदा उठाया है. वह बमुश्किल 3.5 वर्ष की बच्ची थी. लेकिन पीड़िता को प्यार, स्नेह और सुरक्षा दिखाने के बजाय, उसने क्रूरता दिखाते हुए उसे अपनी हवस का शिकार बनाया."

बताते चलें कि इसी महीने दिल्ली की एक अदालत ने 14 वर्षीय लड़की को नशीला पदार्थ देकर बलात्कार करने और गर्भवती करने के मामले में एक व्यक्ति को 27 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही अदालत ने पीड़िता को 15 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया था. ये वारदात साल 2020 में हुई थी. अदालत का मानना है कि इस सदमे से पीड़िता के लिए उबरना मुश्किल रहा होगा. उसके लिए मौद्रिक मुआवजा उसका मौलिक अधिकार है.

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अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रीति परेवा ने 23 वर्षीय अपराधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 328 (अपराध करने के इरादे से जहर आदि के माध्यम से चोट पहुंचाना) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी ठहराया. अतिरिक्त लोक अभियोजक विनीत दहिया ने दोषी के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि वो पीड़िता का रिश्तेदार था. इसके बावजूद उसने जघन्य कृत्य किया. अभियोजन पक्ष की गवाही ने निर्णायक भूमिका निभाई.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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