कांग्रेस के जिस गृह मंत्री ने अफजल गुरू को दिलवाई फांसी, आतंकी कहने से क्यों बच रहे

कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अपनी किताब में लिखा है कि आखिरी वक्त में अफजल गुरू की परिवारवालों से मुलाकात नहीं हो पाई. यूपीए-2 में देश के गृह मंत्री रहे शिंदे ने एक इंटरव्यू में कहा, 'बहुत बार वो मिलते

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कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अपनी किताब में लिखा है कि आखिरी वक्त में अफजल गुरू की परिवारवालों से मुलाकात नहीं हो पाई. यूपीए-2 में देश के गृह मंत्री रहे शिंदे ने एक इंटरव्यू में कहा, 'बहुत बार वो मिलते थे परमिशन लेकर, लेकिन आखिरी वक्त कोई भी चाहता था कि मिलना चाहिए. उनकी नहीं हो पाई. टाइम में नहीं पहुंचा उनका मैसेज, ऐसा मुझे पता चला. ये तो होम मिनिस्टर नहीं देखता सब कुछ, नीचे के लोग देखते हैं.' आगे वह अफजल को आतंकी कहने से भी हिचकते दिखे.

अफजल की फांसी पर शिंदे ने अपनी किताब में लिखा है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया था. जब इंटरव्यू में सवाल किया गया कि कुछ लोग उसे आतंकी मानते हैं, कुछ लोग नहीं मानते हैं, आप उसे कैसे देख रहे थे? तत्कालीन गृह मंत्री ने कहा कि हम तो सुप्रीम कोर्ट का जो ऑर्डर था उसका पालन कर रहे थे. होम मिनिस्टर के तौर पर वही करना था.

मेरे मुंह से...

जब आगे पूछा गया तो अफजल गुरू आतंकी था? शिंदे ने सीधे जवाब न देते हुए फिर कहा, 'वो डिसीजन जो सुप्रीम कोर्ट ने ले लिया था, उसे इंप्लीमेंट मुझे करना था.' सुप्रीम कोर्ट ने तो आतंकी मानते हुए ही उसे फांसी दी थी. इस पर शिंदे ने कहा कि देखिए मेरे मुंह से ऐसा मत निकालिए. उसकी गलत व्याख्या हो जाएगी.

इस पर भाजपा प्रवक्ता शहजाद जयहिंद ने सुशील कुमार शिंदे पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, 'कई बार पूछने के बाद भी यूपीए में गृह मंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे ने एक बार भी अफजल गुरू को आतंकवादी नहीं कहा... यही कांग्रेस का असली चेहरा है.' सोशल मीडिया पर शिंदे के इस रुख पर कई प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

कसाब को बिरयानी सच में खिलाई थी?

आगे कसाब की भी चर्चा हुई. उसके बारे में खूब कहा जाता है कि कसाब को कांग्रेस की सरकार ने खूब बिरयानी खिलाई थी. क्या सच में ऐसा था? शिंदे के समय में ही उसे फांसी दी गई थी. उन्होंने कहा, 'वो बंबई की जेल में था. उसे यरवदा जेल में फांसी हुई थी. उसे बिरयानी खिलाई गई थी या नहीं, मुझे पता नहीं.' शिंदे ने बताया कि हमने पाकिस्तान सरकार को लिखा था कि कसाब की बॉडी ले जाओ लेकिन उन्होंने क्लेम नहीं किया.

मुंबई हमले का बदला क्यों नहीं लिया?

हां, यह बड़ा मुद्दा है. भाजपा इसको लेकर कांग्रेस को घेरती रहती है. पाकिस्तान से बदला क्यों नहीं लिया गया, इस सवाल पर शिंदे ने कहा कि उस वक्त का मुझे मालूम नहीं, बंबई में क्या स्थिति थी. मैं होम मिनिस्टर भी नहीं था तभी. प्रयास किया होगा इन लोगों ने. इससे ज्यादा मैं नहीं बोल सकता. शिंदे 2012 में गृह मंत्री बने थे.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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