सीट शे‍यरिंग की बात पर सपा और कांग्रेस के बीच तलवारें क्‍यों खिंच जाती हैं? | Opinion

4 1 3
Read Time5 Minute, 17 Second

हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली पराजय के बाद से पार्टी बैकफुट पर है. और इंडिया गठबंधन की दूसरी पार्टियों का उत्साह चरम पर है. विशेषकर समाजवादी पार्टी और शिवसेना ( यूबीटी) महाराष्ट्र चुनावों में सीट शेयरिंग को लेकर काफी उछल रहीहैं. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और शिवसेना (यूबीटी ) के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ तोल मोल करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं. समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र चुनावों में 12 सीटें हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है. इसके लिए अखिलेश यादव ने शुक्रवार से महाराष्ट्र का दौरा भी शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र में एमवीए में सीट के लिए मारा-मारी इस सीमा तक पहुंच गई है कि समाजवादी पार्टी के नेता अकेले ही चुनाव लड़ने की धमकी भी देने लगे हैं.अखिलेश की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब MVA ने महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से 260 सीटों के लिए समझौता कर लिया है और अगले दो दिनों में एक समझौते को अंतिम रूप देने की संभावना है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मुंबई की 36 विधानसभा सीटों के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हो चुका है. इस फॉर्मूले के अनुसार, शिवसेना (UBT) 18 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, कांग्रेस 15-17 सीटों पर और बाकी सीटें NCP (SP) और छोटे सहयोगियों के पास जाएंगी.

1-समाजवादी पार्टी की MVA को धमकी कितनी सही?

गुरुवार को लखनऊ में अखिलेश ने पत्रकारों से कहा, मैं शुक्रवार कोमहाराष्ट्र जा रहा हूं. हमारा प्रयास होगा कि हम इंडिया गठबंधन के साथ चुनाव लड़ें. हमने सीटों की मांग की है और हमें उम्मीद है कि जहां हमारे दो विधायक हैं, वहां हमें और सीटें मिलेंगी और हम गठबंधन के साथ खड़े रहेंगे. यादव शुक्रवार को मालेगांव में एक जनसभा को संबोधित करेंगे और अगले दिन धुले में भी सभा करेंगे. SP नेताओं को उम्मीद है कि विपक्षी गठबंधन के साथ महाराष्ट्र चुनाव लड़ने से वोटों के विभाजन से बचा जा सकेगा और साथ ही यह SP के राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने की संभावनाओं को भी बढ़ाएगा. पर SP नेता अबू आजमी धमकी देने के अंदाज दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को उम्मीदवारों की सूची जारी करने से पहले SP को विश्वास में लेना चाहिए और सीट-बंटवारे पर जल्द से जल्द फैसला करना चाहिए. बुधवार को उन्होंने X पर पोस्ट किया था कि SP से बातचीत किए बिना किसी भी MVA पार्टी के लिए सूची जारी करना गलत होगा. पर अबू आजमी की पार्टी ने यूपी में बिना कांग्रेस से पूछे उपचुनावों के लिए कैंडिडेट की सूची जारी कर दी . इतना ही नहीं जिन सीटों पर कैंडिडेट नहीं घोषित किए हैं वहां पर बीजेपी इतनी मजबूत है कि वहां न कभी समाजवादी पार्टी जीत सकती है और न ही कांग्रेस . मतलब साफ है कि समाजवादी पार्टी ज सीटें देनी चाहती है वो ऐसी सीटें जहां वो जानती है कि पार्टी जीत नहीं सकेगी. पर अपने समाजवादी पार्टी जो सीटें मांग रही है महाराष्ट्र में उसमें 2 सीटें तो ऐसी हैं जहां कांग्रेस के विधायक हैं. और अधिकतर सीटें मुस्लिम बहुल हैं जहां से कांग्रेस या एनसीपी कोई भी कैंडिडेट खड़ा कर दें उनकी जीत सुनिश्चित है.

Advertisement

2- झगड़े का कारण है कि दोनों पार्टियों के प्रोडक्‍ट समान हैं, और ग्राहक भी एक जैसे

दरअसल दोनों ही पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे में झगड़े का कारण यह है कि दोनों के वोट बैंक एक ही है. मुस्लिम बहुल एरिया में दोनों को लगता है कि उनकी जीत पक्की है. मुसलमानों का वोट पाकर ही समाजवादी पार्टी यूपी में सरकार बनाती रही है. यूपी में समाजवादी पार्टी का मजबूत आधार मुस्लिम और यादव रहे हैं. दलितों के बीच भी समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनावों में अच्छी पैठ बना ली है. पर समाजवादी पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए कि दलित वोटों के ध्रुवीकरण के पीछे कांग्रेस का वह फेक नेरेटिव है जो संविधान बचाओ-आरक्षण बचाओ के नाम पर तैयार किया गया है. राहुल गांधी की पिछले कुछ महीनों में एक मात्र सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि उन्होंने अपने कांग्रेस की कोर वोट्स मुस्लिम और दलित वोटों को फिर से वापसी कराई है. यहां तक कि उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के बीच में भी कांग्रेस की पैठ बढ़ी है. महाराष्ट्र में भी मु्स्लिम और दलित के बीच जितनी पैठ कांग्रेस की है उतनी समाजवादी पार्टी की नहीं है.

3-समाजवादी पार्टी को कांग्रेस अपने से कमतर मानतीहै हमेशा

कांग्रेस हमेशा से समाजवादी पार्टी के साथ बड़े भाई की भूमिका में आकर कुर्बानी देने का भाव नहीं दिखाती है. यही नहीं समाजवादी पार्टी के साथ एक क्षेत्रीय पार्टी वाला बिहेव रखती है. ये बात कई बार देखने में आ चुकी है. मध्यप्रदेश और हरियाणा विधानसभा चुनावों के मौकों पर कांग्रेस के कई नेताओं ने अखिलेश यादव के लिए जिस शब्दावली का इस्तेमाल किया गया वो इसी भाव प्रेरित था. यह समाजवादी पार्टी को कमतर मानने का ही नतीजा था कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने और छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंह देव ने अखिलेश के बारे में कहा था कि कौन अखिलेश ? इसी तरह एक नेता ने तो इतने मद में चूर थे कि अखिलेश को छुटभैय्या तक कह दिया था.

Advertisement

4-सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग की लड़ाई का दिलचस्‍प है अतीत

अखिलेश यादव 2023 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में चाहते थे कि वे सीट जिन पर पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी कैंडिडेट जीते या दूसरे स्थान पर रहे वहां उनकी पार्टी के नेता चुनाव लड़ें. पर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को भाव नहीं दिया. आनन फानन में समाजवादी पार्टी ने भी 9 उम्मीदवारों की अपनी लिस्ट जारी कर दी थी.2018 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी बिजावर सीट जीतने में कामयाब हुई थी. 6 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही. समाजवादी पार्टीचाहती थी कि इन 7 सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लडें. अखिलेश यादव और कमलनाथ के बीच फोन पर कई राउंड कीबातचीत हुई. फिर तय हुआ था कि कम से कम 5 सीटें समाजवादी पार्टी को मिल सकती हैं.पर वो भी नहीं मिला. इतना ही नहीं कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अखिलेश यादव को छुटभैया नेता तक कह दिया. फिर अखिलेश यादव ने बदले में कई सीटों पर कांग्रेस का काम खराब कर दिया था.

इसी तरह इस साल संपन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव चाहते थे कि हरियाणा में समाजवादी पार्टी को कुछ सीटें मिलें पर ऐसा हो न सका. दीपेंद्र हुड्डा ने अपने बयान में समाजवादी पार्टी को कमतर बता दिया. फिलहाल हरियाणा विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता बैकफुट पर पहुंच गए. इंडिया गठबंधन के नेता यह कहने लगे कि अगर कांग्रेस ने अपने सहयोगियों विशेषकर आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी को भाव दिया होता तो यह हश्र नहीं होता. इसमें बहुत हद तक सच्चाई भी है. आम आदमी पार्टी के मिले वोट इस बात की गवाही देते हैं कि आम आदमी पार्टी को गठबंधन से बाहर रखना कांग्रेस के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ. इसी तरह अगर अहीरवाल एरिया में समाजवादी पार्टी को टिकट दिया गया होता तो बीजेपी के कुछ वोट कम ही हुए होते.

Live TV

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

Karwa Chauth 2024: करवा चौथ कल, पूजन के लिए मिलेगा ये मुहूर्त, नोट करें चंद्रोदय का समय

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now