याह्या सिनवार की मौत से नहीं रुकने वाला गाजा का युद्ध, हमास के खिलाफ अभी भी चलेगा इजरायल का ऑपरेशन, समझें

तेल अवीव: इजरायल ने हमास के चीफ याह्या सिनवार को मार कर गाजा युद्ध में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की है। याह्या सिनवार की मौत हमास के लिए बड़ा झटका है। सिनवार के नेतृत्व ने इजरायल को इतिहास की सबसे बड़ी हार दी। सिनवार किसी भी स्पेशल फोर्स

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तेल अवीव: इजरायल ने हमास के चीफ याह्या सिनवार को मार कर गाजा युद्ध में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की है। याह्या सिनवार की मौत हमास के लिए बड़ा झटका है। सिनवार के नेतृत्व ने इजरायल को इतिहास की सबसे बड़ी हार दी। सिनवार किसी भी स्पेशल फोर्स के ऑपरेशन में मारा नहीं गया, बल्कि दक्षिणी गाजा में राफा में इजरायली बलों के साथ एक अचानक हुई मुठभेड़ में उसे इजरायली सेना ने ढेर किया। घटनास्थल से आई तस्वीर में दिख रहा है कि सिनवार ने मिलिट्री वाले कपड़े पहने हैं। जिस बिल्डिंग में वह था उसे एक टेंक ने उड़ाया था।
इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने सैनिकों की तारीफ की और साफ कहा कि यह जीत चाहे जितनी बड़ी हो, यह युद्ध का अंत नहीं है। उन्होंने कहा, 'हमने एक बार फिर साफ कर दिया है कि हमें नुकसान पहुंचाने वालों का क्या होता है। आज हमने एक बार फिर दुनिया को बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाई है। लेकिन मेरे प्रियजनों, युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। यह कठिन है और हमें बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। बड़ी चुनौतियां अभी भी हमारे सामने हैं। हमें धैर्य, एकता, साहस और दृढ़ता की जरूरत है। हम एक साथ लड़ेंगे।'

हमास को खत्म करना है लक्ष्य

पिछले एक साल से गाजा का युद्ध चल रहा है। इजरायल को एक बड़ी जीत की जरूरत थी। पीएम नेतन्याहू कई बार दोहराते रहे हैं कि एक सैन्य और राजनीतिक ताकत के रूप में हमास को खत्म करना और बंधकों को लाना उनका लक्ष्य है। हालांकि एक साल से चल रहे युद्ध में भी इजरायल को अभी तक कामयाबी नहीं मिल सकी है। बंधक अभी भी आजाद नहीं है और हमास लड़ रहा है। सिनवार को मारना वह जीत थी, जो इजरायल चाहता था।

कौन था याह्या सिनवार

याह्या सिनवार का जन्म 1962 में गाजा पट्टी में खान यूनिस के एक शरणार्थी शिविर में हुआ था। उसका परिवार उन 7 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनियों में से एक था जो 1948 के युद्ध में इजरायली सेना की ओर से निकाल दिए गए थे। 20 साल की उम्र में इजरायल ने उसे चार फिलिस्तीनियों की हत्या में दोषी ठहराया। 20 साल की उम्र में उसे फिलिस्तीनी मुखबिरों की हत्या का दोषी ठहराया गया था। 22 साल तक जेल में रहने के दौरान उसने हिब्रू सीखी, अपने दुश्मनों का अध्ययन किया। जेल में रहने के दौरान उसके दांत और डीएनए का रेकॉर्ड रखा गया। इसी से उसके शव की पहचान हो पाई।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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