भारत में लड़कियां धड़ल्ले से ले रहीं इमरजेंसी बर्थ कंट्रोल पिल्स, जानें कितना खतरनाक

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आजकल के समय मेंकपल्स के बीच असुरक्षित यौन संबंध के बाद होने वाले गर्भधारण के खतरे से बचने के लिए इमरजेंसी पिल्स का सेवन काफी ज्यादाबढ़ गया है. अधिकतर महिलाएं शर्म और झिझक के चलतेइन इमरजेंसी पिल्स का सेवन बिना डॉक्टर कोदिखाए ही कर लेती हैं, जिससे भविष्य में उन्हें कई बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

बता दें कि इमरजेंसी पिल या आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली का इस्तेमाल असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण से बचने के लिए किया जाता है. इसे मॉर्निग-आफ्टर पिल्स के नाम से भी जाना जाता है. इमरजेंसी पिल लेने का सबसे अच्छा समय है, असुरक्षित यौन संबंध के बाद जितनी जल्दी हो सके. 24 घंटे के अंदर ये गोलियां लेना सबसे अच्छा होता है, लेकिन 72 घंटे के अंदर भी लेने से गर्भधारण से बचा जा सकता है.

कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें इमरजेंसी पिल्स लेने के बावजूद भी महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं और उसके साइड इफेक्ट भी झेलने पड़ते हैं. एक ऐसे ही मामले के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जहां21 साल की एकलड़की ने असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बाद गर्भधारण से बचने के लिए इमरजेंसी पिल का सेवन किया. पेट दर्द की समस्या के चलते जब वह लड़की डॉक्टर के पास पहुंची तो डॉक्टर्स ने उसे बताया कि उसकी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी है.

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बता दें कि, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, तब होती है जब अंडा गर्भाशय के बाहर प्रत्यारोपित हो जाता है. यह आमतौर पर फैलोपियन ट्यूब में होती है. शादीशुदा ना होने और अपनी सेक्सुअल एक्टिविटीज के बारे में डॉक्टर से बात ना करने की लाख कोशिशों के बाद आखिरकार महिला ने यह बात स्वीकार कर ली कि उसने असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण रोकने के लिए इमरजेंसी पिल्स का सेवन किया था.

डॉक्टर्स ने बताया कि महिला कीएक्टोपिक प्रग्नेंसी का एक बड़ा कारण इमरजेंसी पिल्स का रेगुलर इस्तेमाल था. इसी मामले में फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि बीते 5 सालों में 18 से 30 साल कीमहिलाओं के बीच इमरजेंसी पिल्स के इस्तेमाल में 25 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. उनका मानना है कि बहुत अधिक मात्रा में इमरजेंसी पिल्स का सेवन करने की ही वजह से भविष्य में महिलाओं को गर्भधारण करने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि बहुत सी यंग महिलाओं को लगता है कि इमरजेंसी पिल्स काफी ज्यादा फायदेमंद होती हैं लेकिन वह इस बात को नहीं जानती कि इसके फेलियर रेट काफी ज्यादा हाई हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि यह पिल्स, अबॉर्शन पिल्स की तरह काम करती हैं और इससे 100 फीसदी प्रोटेक्शन मिलता है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. कुछ महिलाओं का यह भी मानना है कि ये पिल्स STI (Sexually transmitted infections) से बचाती हैं और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते हैं.

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एक्सपर्ट्स का कहना है कि इमरजेंसी पिल्स का जरूरत से ज्यादा सेवन करनेसे हार्मोनल इंबैलेंस, अनियमित पीरियड्स के साथ ही एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं असुरक्षित गर्भधारण से बचने के लिए डॉक्टर्स से बात करें. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहले उनके पास इमरजेंसी पिल्स के साइड इफेक्ट्स को लेकर काफी कम ही मामले सामने आते थे लेकिन अब हर हफ्ते एक नया केस सामने आता है.

मेडिकल स्टोर्स में काम करने वाले फार्मासिस्ट का भी कहना है कि बीते 2 सालों में इमरजेंसी पिल्स की बिक्री में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिसका एक मुख्य कारण इंटरनेट है और इन्हें खरीदने के लिए किसी तरह के प्रिस्क्रिप्शन की भी जरूरत नहीं होती है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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