क्या भारत में बदल रहा है ऑफिस कल्चर? इस समस्या पर ध्यान देना है जरूरी

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भारत का ऑफिस कल्चर लगातार काम, कड़ी प्रतिस्पर्धा और लॉन्ग वर्किंग ऑवर्स के लिए जाना जाता है. पश्चिमी देशों के उलट भारत में ज्यादातर कर्मचारी कम वेतन और ज्यादा काम के बोझ का शिकार माने जाते रहे हैं. लेकिन अब यह कल्चर धीरे ही सही लेकिनबदल रहा है.कंपनियां यह समझ रही हैं कि हेल्दी वर्कफोर्स यानी शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ कर्मचारियों की टीम उत्पादकता से कहीं बढ़कर है.क्या मानसिक स्वास्थ्य जो कभी वर्जित विषय था, आखिरकार प्राथमिकता बन रहा है?

बेहद खतरनाक है मेंटल हेल्थ का बिगड़ना

एक अंग्रेजी रिपोर्ट के मुताबिक,हाल ही में वर्कप्लेस पर कर्मचारियों की मौत की ऐसी कई घटनाएं सामने आईं हैं. इन घटनाओं में EY कर्मचारी अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की दुखद मौत और बजाज फाइनेंस के 42 वर्षीय कर्मचारी तरुण सक्सेना की आत्महत्या शामिल है जिसने कॉर्पोरेट जगत को झकझोर कर रख दिया था.इन दिल दहला देने वाली घटनाओं ने तनाव के खतरनाक असर और कर्मचारी की जगहप्रोडक्टिविटी को प्राथमिकता देने वाली संस्कृति के विनाशकारी परिणामों को उजागर किया है.

ICICI लोम्बार्ड इंडिया वेलनेस इंडेक्स 2024 के अनुसार, भारतीय वर्कफोर्सका एक महत्वपूर्ण हिस्सा कम या ज्यादा स्तर केतनाव से जूझ रहा है विशेष रूप से टियर-1 शहरों में जेन एक्सर्स (जनरेशन एक्स का मतलब है 1960 के दशक के मध्य से लेकर 1980 के बीच जन्मे लोग).इस खतरनाक प्रवृत्ति ने भारतीय ऑफिस कल्चर में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट

लखनऊ में स्थित अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनिवर्सिटी में करियर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड हॉस्पिटल मेंमनोचिकित्सा विभाग केMD डॉक्टर गौरव कुमार ने बताया, 'मेंटल हेल्थ डे 2024 की इस साल की थीमMental Health at Work है ताकि दुनिया भर की कंपनियों, कर्मचारियों और लोगों का ध्यान इस मुद्दे की तरफ जाए कि वर्कप्लेस पर मेंटल हेल्थ का अच्छा होना कितना जरूरी है.'

वो कहते हैं, 'वास्तव में कंपनियों की ग्रोथ सीधे तौर परकर्मचारियों केमानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी है. 'द लैंसेट' में प्रकाशित 2022 के एक अध्ययन में कहा गयाकि 2019 में दुनिया भर मेंमेंटल हेल्थकी वजह से प्रोडक्टिविटी को लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था.'

'इतना ही नहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर साल डिप्रेशनऔर एंजाइटी जैसी दिक्कतों की वजह से पूरी दुनिया में 12 अरबवर्किंगडेज का नुकसान होता है क्योंकि इन समस्याओं की वजह से कर्मचारी दफ्तर नहीं आ पाते या फिर दफ्तर में ठीक से काम नहीं कर पाते हैं.'

क्यों जरूरी है मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना

उन्होंने आगे बताया,ऑफिस में काम करने के लिए फिजिकल फिटनेस के साथ ही मेंटल फिटनेस भी जरूरी होती है.मानसिक रूपसे स्वस्थ, तंदरुस्त और खुशहाल कर्मचारीकामनोबल ऊंचा, उत्पादकता शानदार और दिमाग सक्रियरहताहै. अगर आपके कर्मचारी मानसिक तौर पर फिट रहेंगे तो वो ज्यादा अच्छी तरह से अपना काम कर पाएंगे और कंपनी के हित में अपनी स्किल्स का इस्तेमाल कर सकेंगे.अगर कर्मचारी की फिजिकल हेल्थ के साथमेंटल हेल्थ भी बढ़िया होगी तो वो अच्छी तरह अपना काम करेगा.लीव भी कम लेगा.

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कैसे कर सकते हैं मेंटल हेल्थ को प्रमोट

डॉक्टर गौरव कुमार ने कुछ ऐसे तरीके भी बताए जिनके जरिए कंपनियां अपने कर्मचारियों को एक बेहतर वातावरण दे सकती हैं जहां कर्मचारी बिना किसी स्ट्रेस या एंजाइटी के अपना सर्वश्रेष्ठप्रदर्शन कर सके.

डॉक्टर गौरव कहते हैं, 'कंपनियों को अपने कर्मचारियों केमानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सपोर्टिव एनवायरमेंट क्रिएट करना चाहिए. कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए ऑनलाइन कन्सल्टेंट, मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को कवर करने वाली वर्कशॉप और वेबिनार जैसी एक्टिविटीज का आयोजन करना चाहिए.ऑफिस में महीने में एक बार मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चेकअप भी कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकता है.'

जरूरी है हेल्दी एंड हैपी वर्कप्लेस

कंपनियों को अपने वर्कप्लेस कोप्रोफेशनल के साथ ही हैपीऔर हेल्दी बनाने की भीजरूरत होती है. इससे फायदा यह होगा किकर्मचारियों को वो बोझिल और टेंशन वाला नहीं बल्कि खुशनुमा लगेगा. खुशनुमामाहौल शरीर और दिमाग पर पॉजिटिव असर डालता है. उन्हेंकर्मचारियोंकी बातों को सुन-समझऔर किसी परेशानी की स्थिति में उसकी मदद कर सके.

गौरव के अनुसार, 'कंपनियों को हेल्दी वर्कप्लेस बनाने केलिए ऐसे वातावरण को विकसित करना होगा जहां कर्मचारियों के साथसहानुभूति और लचीलेपन की भावना हो,जिसमें उनकी बातों को सुना और समझा जाए.वहां ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहांदो-तरफासंचार को बढ़ावा दिया जाए.'

उन्होंने आगे कहा,'टीम के सदस्यों के साथ नियमित मीटिंग, मेंटल हेल्थ चेकअप्स, मेंटल हेल्थ को बढ़ावा देने वाली एक्टिविटीज का आयोजन करना चाहिए.इसके अलावामेंटल हेल्थ के संसाधनों तक पहुंच आसान होनी चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुली बातचीत को प्रोत्साहित करना चाहिए. वर्कप्लेस पर ऐसा माहौल होना चाहिए जिससेहर कर्मचारी को यहमहसूस हो कि कंपनी उसको हर स्थिति में सपोर्ट करती है. ये इसलिए भी बेहद जरूरी है कि क्योंकि एक हेल्दी वर्कफोर्स ही कंपनी की प्रगति की कुंजी है.'

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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