10 साल पहले PM मोदी ने अपनाई थी जो पॉलिसी, उसके मिजाज को समझने गए लाओस

PM Modi Laos Visit: सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लगातार तीसरी बार सत्ता की बागडोर मिलने की वाहवाही वैसे तो पीएम मोदी को दुनिया काफी पहले दे चुकी है. लेकिन इन दस सालों में पीएम मोदी की कई ऐसी पॉलिसीज रही हैं जिन पर दुनिया की करीबी निगाहें रही हैं.

4 1 6
Read Time5 Minute, 17 Second

PM Modi Laos Visit: सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लगातार तीसरी बार सत्ता की बागडोर मिलने की वाहवाही वैसे तो पीएम मोदी को दुनिया काफी पहले दे चुकी है. लेकिन इन दस सालों में पीएम मोदी की कई ऐसी पॉलिसीज रही हैं जिन पर दुनिया की करीबी निगाहें रही हैं. इन्हीं में से एक पीएम मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी भी रही है. विदेशी कूटनीति में ऐसे टर्म का बड़ा महत्त्व है, जिनकी समीक्षा भी होती रहती है. इसी पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी आसियान शिखर सम्मेलन के लिए लाओस रवाना हो गए हैं. ऐसे में इस यात्रा के मकसद और इस नीति की सफलताओं के बारे में जान लेना जरूरी है. लाओस रवाना होने से पहले ही पीएम मोदी की तरफ से जारी बयान में भी यही कहा गया कि भारत इस साल एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक दशक पूरा कर रहा है.

असल में पीएम मोदी पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और आसियान-भारत सम्मेलन में भाग लेने के लिए गुरुवार को लाओस की दो दिवसीय यात्रा पर रवाना हो चुके हैं. फिलहाल इस यात्रा के दौरान कनेक्टिविटी में सुधार और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विस्तार प्रमुख मुद्दा बना रहेगा. पीएम की यह यात्रा ‘एक्ट ईस्ट’के 10 वर्ष पूरे होने के मौके पर हो रही है, ऐसे में उम्मीदें शायद कुछ ज्यादा ही बढ़ गई हैं.

यहां गौर करने वाली बात है कि इस यात्रा के दौरान साउथ चाइना सी में क्षेत्रीय तनाव और म्यांमार में गृह युद्ध पर भी चर्चा होगी. इतना ही नहीं आसियान ने एक शांति योजना प्रस्तावित की है जिसमें म्यांमार में संघर्षरत गुटों के बीच युद्ध विराम और मध्यस्थता की बात कही गई है. पीएम के दौरे को लेकर आए आधिकारिक बयान में भी कहा गया कि म्यांमार की स्थिति के बारे में आसियान देशों और उनके साझेदारों के बीच पांच सूत्री आम सहमति थी. फिलहाल अब देखना होगा कि इन दो दिनों में इस पर भारत की तरफ से क्या रुख रहने वाला है.

वैसे भी पीएम मोदी ने कहा है वो आसियान नेताओं के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी में प्रगति की समीक्षा करेंगे हमारे सहयोग की भविष्य की दिशा तय करेंगे. लेकिन पीएम अपने बयान में यह बताना नहीं भूले कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगा. इस समूचे क्षेत्र के साथ भारत के करीबी, सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध हैं जो बौद्ध धर्म और रामायण की साझा विरासत से समृद्ध हैं.

एक तथ्य यह भी है कि पीएम मोदी आसियान-भारत सम्‍मेलन में 10वीं बार हिस्‍सा लेंगे. औपचारिक तौर पर मोदी लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्‍से सिफनाडोन के निमंत्रण पर विएंतियाने पहुंच रहे हैं. 21वें आसियान-भारत शिखर सम्‍मेलन और 19वें पूर्वी एशिया सम्‍मेलन में उनकी हिस्सेदारी पर निगाहें बनी हुई हैं.

वैसे तो दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ (आसियान) की स्थापना 1967 में की गई थी. इसके सदस्य देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाइलैंड, भारत, वियतनाम, लाओ पीडीआर, कंबोडिया और ब्रूनेई दारस्सलाम हैं. वहीं आगरा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की बात करें तो इसमें 10 आसियान देश और आठ साझेदार देश-ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका शामिल होंगे. तिमोर-लेस्ते पर्यवेक्षक की भूमिका में है.

एक्ट ईस्ट पॉलिसी की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2014 में एक्ट ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान की थी. इसका मकसद भारत की रणनीतिक, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को हिंद-प्रशांत एशिया क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में मजबूत करना है. इस बार उनके लिए यह अच्छा मौका है कि वियंतियाने में आसियान सम्मेलन प्रधानमंत्री की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर होगा.

डिफेंस एक्सपर्ट्स इस बात को क्लियर मानकर चलते हैं कि भारत अपनी इस पॉलिसी के तहत दक्षिण चीन सागर से लेकर हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दखल को रोकना भी चाहता है. इन दस सालों में भारत को इसका लाभ भी मिला है. एक्ट ईस्ट पॉलिसी के बहाने ही निवेश आया. इन देशों के साथ व्यापार के विस्तार हुए. अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सिर्फ आसियान देशों के साथ व्यापार दस सालों में 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 120 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है. निर्यात भी बढ़ा है.

भारत ने इसमें प्रमुख रूप से अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, और आसियान देशों को रखा है. आसियान में सिंगापुर, फिलीपींस, म्यांमार, कोरिया, मलेशिया, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया शामिल हैं. इन सबके बीच ब्रुनेई दक्षिण-पूर्व एशिया का वो देश है, जो साउथ चाइना सी और हिंद महासागर को जोड़ने वाले समुद्री मार्ग के करीब है. इसलिए भारत ब्रुनेई के साथ भी दोस्ती बढ़ा रहा है.

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

West Bengal: बच्ची से दरिंदगी के बाद ममता सरकार के खिलाफ सड़कों पर आईं महिलाएं, बोलीं- हमें न्याय चाहिए, योजना नहीं

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में दक्षिण 24 परगना जिले के कुलतली में 10 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में जांच की प्रगति पर निराशा व्यक्त करते हुए स्थानीय महिलाओं ने कहा कि वे न्याय चाहती हैं, न कि राज्य सरकार की वित्तीय सहायता योजना

आपके पसंद का न्यूज

Subscribe US Now