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नई दिल्ली: हरियाणा में 10 साल की 'सत्ता विरोधी लहर' के बाद बीजेपी का जाना तय है, लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी का डाउनफॉल शुरू हो गया है, हरियाणा की हार के साथ ही बीजेपी के संगठन में बदलाव होगा... हरियाणा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही बीजेपी और पीएम मोदी के ऊपर इन अटकलों ने प्रेशर बनाकर रखा हुआ था। दूसरी तरफ आरएसएस चीफ मोहन भागवत भी बिना नाम लिए पीएम मोदी पर लगातार हमले बोल रहे थे। राजनीति गलियारों में चर्चा चल पड़ी थी कि भागवत हरियाणा चुनाव में हार के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की ताकत को कम कर सकते हैं। कहा जा रहा था भागवत अपने पसंदीदा चेहरों के हाथ में बीजेपी के अध्यक्ष और संगठन महामंत्री पद की कमान सौंप देंगे।
एग्जिट पोल के नतीजों के बाद ऐसा लगा कि बीजेपी का हरियाणा से जाना अब तय है और इस हार के बाद संघ पीएम मोदी की घटती लोकप्रियता पर बड़ा फैसला ले सकती है। उधर एग्जिट पोल के नतीजों के बाद कांग्रेस का जोश काफी हाई हो गया था। वहीं हरियाणा में कांग्रेस के मुख्यमंत्री फेस को लेकर न्यूज चैनलों में डिबेट शुरू हो गई थी। लेकिन मंगलवार को जब हरियाणा चुनाव के नतीजे सामने आए तो खुद बीजेपी भी चौंक गई। जनता ने बीजेपी को दिल खोलकर अपना समर्थन दिया। 48 सीटों के साथ बीजेपी ने हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगा दी। वहीं कांग्रेस 37 सीटों पर सिमट गई।बीजेपी की इस जीत के बाद मोदी मैजिक की चर्चा फिर से होने लगी। हर किसी के मन में सवाल आ रहा है कि मोदी ने आखिर 20 दिन के चुनाव में बीजेपी को इतनी बड़ी जीत कैसे दिला दी।मोदी ने 14 सितंबर को कुरुक्षेत्र में पहली रैली की
हरियाणा विधानसभा चुनावों में इस बार सत्ता की लड़ाई बेहद दिलचस्प रही थी। पिछले 10 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी को इस बार एंटी इनकम्बेंसी का सामना करना पड़ रहा था। इस लहर को तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर से कुरुक्षेत्र में रैली कर अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की। बीजेपी के पास उस वक्त प्रचार के लिए सिर्फ 20 दिन का समय बचा था। इतने कम वक्त में वोटरों को रिझाना काफी बड़ी चुनौती थी। पीएम मोदी जानते थे कि हरियाणा में जीत बेहद जरूरी है। दरअसल इससे पहले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लग चुका था। पीएम मोदी भी लोकसभा के नतीजों के बाद थोड़े बुझे बुझे दिखाई दे रहे थे।पीएम मोदी ने कांग्रेस पर रखा फोकस
पीएम मोदी ने तमाम प्रेशर के वावजूद कम समय में हरियाणा फतह की सटीक रणनीति बनाने के लिए काम शुरू किया। इस रणनीति में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह को भी शामिल किया गया। पीएम मोदी ने सोची-समझी रणनीति के साथ प्रचार की योजना तैयार की। पीएम मोदी ने अपना फोकस कांग्रेस पर ही रखा और चुनावी भाषणों में कांग्रेस और राहुल गांधी के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। उस वक्त लग रहा था कि पीएम मोदी के भाषणों से जनता बोर हो चुकी है। पीएम मोदी हरियाणा में जीत नहीं दिलवा पाएंगे। लेकिन जैसी ही नतीजे सामने आए विरोध धराशाही हो गए। जीत के बाद भी पीएम मोदी ने कांग्रेस को जमकर लताड़ लगाई है।
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