केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद राज्यों में गिरा कांग्रेस का ग्राफ, 62 में 47 विधानसभा चुनाव हारे

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हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजे सामने आ गए हैं. हरियाणा के नतीजों की गूंज दूर-दूर तक जाएगी, जहां शुरुआती रुझानों में कांग्रेस के मन में लड्डू तो फूटा, लेकिन नतीजों में जीत वाली जलेबी का स्वाद बीजेपी ने चखा. हरियाणा के जनादेश ने बता दिया कि लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनावों में भी भरोसा पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बना हुआ है.

जवान, किसान, पहलवान और संविधान प्रमुख रूप से ये वो चार मुद्दे हैं, जिनके दम पर जलेबी राहुल गांधी ने प्रचार के दौरान चखी, लेकिन स्वाद बीजेपी को आया. क्योंकि हरियाणा के 57 साल के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है, तो वो बीजेपी है. सत्ता में रहते राज्यों में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मामले में बीजेपी अब तक की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है. जहां बीजेपी की सफलता दर 61% है, यानी जनता का लगातार विश्वास जीतने में भी पीएम मोदी आगे हैं. हर चार में एक वोट की ताकत रखने वाले जाट समुदाय के दम पर कांग्रेस जीत के बारे में सोचती रही, लेकिन नतीजों ने कहानी कुछ और बताई. जाटलैंड में कांग्रेस की तीन सीटें घट गई और बीजेपी की तीन सीट बढ़ गईं.

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संविधान का मुद्दा यानी दलित वोट.... राहुल गांधी लोकसभा चुनाव की तरह हरियाणा में भी प्रचार के दौरान हाथ में संविधान और जाति गणना का मुद्दा लेकर घूमे. पिछड़ों की बात की, लेकिन यहां भी कांग्रेस से ज्यादा फायदा बीजेपी को हुआ है. पिछली बार से तीन ज्यादा दलित आरक्षित सीटें बीजेपी ने जीती हैं. हालांकि 2019 के मुकाबले 2 ज्यादा सीट कांग्रेस ने पाईं. सवर्ण, ओबीसी या फिर दलित... हर वर्ग में कांग्रेस से ज्यादा सीट बीजेपी ने हासिल की हैं. 2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं. 2024 में इनमें से 26 सीटें दोबार जीत लीं, यानी मौजूदा हर 3 में से 2 सीट वापस जीत ली है. 22 नई सीटें बीजेपी ने जीती हैं. 14 सीटें कांग्रेस से छीनी हैं. 4 जेजेपी की और 4 निर्दलीय की. कांग्रेस के मुकाबले यहां भी जनता का भरोसा बीजेपी और नरेंद्र मोदी के नाम के साथ ज्यादा दिखा.

परिणाम के बाद क्या बोले पीएम मोदी और अमित शाह?

प्रधानमंत्री मोदी जब बीजेपी मुख्यालय पहुंचे, तो कहा कि देश के कई राज्य कांग्रेस के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा चुके हैं, वहीं, अमित शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा कि चाहे केंद्र में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार का चुनकर आना हो या हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में बीजेपी की लगातार जीत, बीजेपी की पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस पर जनता का विश्सास बढ़ा है.

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कांग्रेस और बीजेपी के बीच पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस की जनादेश के आधार पर तुलना

1- 2014 से 2024 के बीच 62 विधानसभा चुनावों में 47 चुनाव कांग्रेस हार चुकी है, तीन लगातार लोकसभा चुनाव की हार अलग.

2- 2011 के बाद यानी पिछले 13 साल में कांग्रेस किसी राज्य में सत्ता रहते प्रो-इन्कंबेसी के साथ दोबारा नहीं लौटी है.

3- किसी राज्य में दूसरे दल के शासन के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर खुद बनी, तो विकल्प के तौर पर कांग्रेस को जीत का मौका मिला है. अपने दम पर कांग्रेस दोबारा नहीं जिता पाई है.

4- खुद राज्यों में सत्ता रहते कांग्रेस ने 40 बार विधानसभा चुनावों का सामना किया और उनमें से केवल 7 में ही जीत हासिल कर सकी. कांग्रेस की सफलता दर मात्र 18 प्रतिशत रही, बीजेपी के लिए ये आंकड़ा 40 में से 22 बार है, जो 55 प्रतिशत की सफलता दर है. रीजनल पार्टियों का प्रदर्शन कांग्रेस से बेहतर रहा है, क्योंकि सत्ता में रहने के दौरान क्षेत्रीय दलों ने 36 में से 18 बार जीत हासिल की, उनकी सफलता दर 50 प्रतिशत रही है, इसीलिए दावा किया जाता है कि जनता के बीच में सरकार चलाने के लिए बीजेपी पसंदीदा पार्टी बनती आ रही है, इसी तरह लगातार दो बार सत्ता में रहते तीसरी बार चुनाव में जीत हासिल करने को लेकर कांग्रेस की सफलता दर केवल 14 प्रतिशत है, जबकि बीजेपी की 61 फीसदी और क्षेत्रीय दलों की 60 प्रतिशत.

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किस जाति के कितने विधायक जीते?

लोकसभा चुनावों की तरह ही हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी राहुल गांधी ने जाति गणना, संविधान बदलने का डर समेत कई मुद्दों को उठाया, लेकिन जब आप देखते हैं कि किस जाति-धर्म के कितने विधायक जीते हैं, तो साफ पता चलता है कि यहां से आई जीत की गूंज भी कांग्रेस के खिलाफ दूर दूर तक जाएगी. क्योंकि सवर्ण विधायक अगर 52 बने हैं तो 27 बीजेपी के हैं. 20 कांग्रेस के, पांच अन्य. जाट विधायकों में 6 बीजेपी के हैं, 13 कांग्रेस के, चार अन्य. पंजाबी में 11 में से आठ बीजेपी के हैं, तीन कांग्रेस के, ब्राह्णण में आठ में से सात बीजेपी के हैं. एक विश्नोई विधायक कांग्रेस से हैं. ओबीसी में 16 में से 13 विधायक अकेले बीजेपी के हैं, जिनमें 6 के 6 अहीर विधायक बीजेपी के हैं. छह गुर्जर में से 4 बीजेपी के हैं. दलित वर्ग के 17 में से 8 बीजेपी के औऱ 9 कांग्रेस के हैं, जबकि मुस्लिम पांचों विधायक कांग्रेस के जीते हैं. ये जाति गणित विधायकों का बताता है कि जैसा बंटवारा कांग्रेस चाहती थी, वैसा जनता ने नहीं होने दिया.

कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग पर बीजेपी ने फेरा पानी

कांग्रेस ने हरियाणा में सोचा था कि जाट और दलित वोट एक होकर उसे मिलेगा और जाट-दलित की सोशल इंजीनियरिंग के दम पर भूपेंद्र हुड्डा शपथग्रहण के सपने देखने लगे. लेकिन 60 सीटें जीतने के ख्वाब में डूबे हुड्डा के सपनों पर बीजेपी ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग से पानी फेर दिया. कांग्रेस के जाट+दलित के मुकाबले बीजेपी ने गैर जाट, वंचित दलित और ओबीसी वर्ग पर जोर दिया. बीजेपी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से 9 सीट वंचित दलित वर्ग के यानी दलितों में भी और पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को दीं. नतीजा ये दिखा कि दलितों के लिए आरक्षित सीट पर पिछली बार के मुकाबले पांच से बढ़कर बीजेपी की सीट 8 हो गई. कांग्रेस की 7 से बढ़कर सीट 9 ही हो पाईं. यानी एससी रिजर्व सीट पर बीजेपी को ज्यादा फायदा मिला.

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बीजेपी ने हरियाणा में अपनाई अलग रणनीति

बीजेपी ने हरियाणा में दलित वोट के लिए एकदम अलग रणनीति अपनाई. इसे बिहार का महादलित जैसा फॉर्मूला कह सकते हैं. हरियाणा में कुल दलित वोट 22.50% है, इसे दो भाग में बांटें तो 8.50 फीसदी वोट दलितों में थोड़ा सबल जातियों का है, बाकी 14 फीसदी वंचित दलित जातियों का वोट है. जिन्हें पहले ही बीजेपी ने डिप्राइव्ड शेड्यूल कास्ट का नाम देकर कई ऐलान किए थे. हरियाणा में दलितों के लिए 17 आरक्षित सीट में से 9 वंचित दलित वर्ग को बीजेपी ने टिकट दी. आठ अन्य अनुसूचित जाति को. दावा है कि 8.50 फीसदी अन्य दलित का वोट तो सभी दलों में बंटा, लेकिन 14 फीसदी वंचित दलित का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिला. तभी तो जहां पिछली बार के मुकाबले आरक्षित सीट पर बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा फायदा मिला. इसके अलावा बीजेपी ने पहले ही लगातार 2 बार की बीजेपी सरकार के खिलाफ बनी एंटी इन्कंबेंसी भांपकर खट्टर की जगह कमान नायब सिंह सैनी को दे दी. नायब सिंह सैनी ओबीसी समाज से आते हैं. हरियाणा में OBC समाज की आबादी 44 प्रतिशत के करीब बताई जाती है. बीजेपी ने 19 OBC उम्मीदवारों को टिकट दिए और जब हरियाणा में कुल 16 ओबीसी उम्मीदवार जीते हैं तो उनमें से बीजेपी के 13 विधायक हैं और कांग्रेस के सर्फ तीन.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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