वोट परसेंट बढ़ने के बाद भी एग्जिट पोल में बुरी तरह हार रही भाजपा, कौन बना कमजोर कड़ी?

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल में कांग्रेस 10 साल बाद एक बार फिर सत्ता में लौटती दिख रही है। अभी तक हुए एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस को 52-58 सीटें मिल रही हैं, जबकि बीजेपी 18-25 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। जेजेपी को 1 और

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चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल में कांग्रेस 10 साल बाद एक बार फिर सत्ता में लौटती दिख रही है। अभी तक हुए एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस को 52-58 सीटें मिल रही हैं, जबकि बीजेपी 18-25 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। जेजेपी को 1 और इनेलो को 2-5 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। हरियाणा के इस चुनाव में एंटी इम्कबेंसी का असर भी रहा। बीजेपी को ग्रामीण क्षेत्र के साथ शहरी इलाकों में काफी नुकसान हुआ। पिछले चुनाव में 40 सीट जीतने के बाद बीजेपी ने दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 46 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी।

जाट वोटरों की दूरी से डूब गई बीजेपी

2014 में बीजेपी को 33.3 फीसदी वोट मिले थे और उसे 47 सीटों पर जीत मिली थी। मोदी लहर में बीजेपी को सभी 36 बिरादरी के लोगों ने समर्थन दिया था। पंजाबी समुदाय के मनोहर लाल खट्टर की ताजपोशी से जाट नाराज हुए। बीजेपी ने इस राजनीतिक मौके पर गैर जाट वोटरों के बीच पैठ बनाने में गंवा दिया। 2019 के चुनाव में भी बीजेपी ने मनोहर लाल को सीएम बनाकर जाट बिरादरी से दूरी बना ली। पार्टी के अंदर भी इस मुद्दे पर काफी असंतोष देखा गया।

35 बनाम एक की लड़ाई पड़ी महंगा

बीजेपी शासन में अनदेखी से हरियाणा में 35 बनाम एक का नारा बुलंद हो गया। रही-सही कसर महिला पहलवानों के आंदोलन ने पूरी कर दी। जब यह आंदोलन शुरू हुआ तो यह खिलाड़ी और बृजभूषण शरण सिंह के बीच की नाक की लड़ाई नजर आई, मगर अंदरखाने इसे जाट बिरादरी के खिलाफ बीजेपी के रवैये के तौर पेश किया गया। 2024 के चुनाव में जाट वोटर पूरी तरह से बीजेपी को सबक सिखाने में जुट गए और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मौके को भुनाया।

किसान आंदोलन से गैर जाट वोटर भी नाराज

भारतीय जनता पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को केंद्र में भेजने के बाद नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया। बीजेपी यह मानती रही कि गैर जाट अन्य जातियां इससे बीजेपी के वोटर बनी रहेंगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। रोजगार और अग्निवीर जैसे मुद्दे ने गैर जाट वोटरों को भी नाराज किया। किसान आंदोलन में जाटों के अलावा गैर जाट शामिल थे। भारतीय जनता पार्टी यह मानकर प्लानिंग करती रही कि गैर जाट वोटर हर हालत में उसके साथ रहेंगे, यह आंशिक तौर पर लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के रुझान में नजर आया।

मनोहर लाल खट्टर नहीं बन सके सर्वमान्य नेता

हरियाणा में साढ़े 9 साल राज करने वाले मनोहर लाल खट्टर की छवि सख्त प्रशासक की रही। सियासी गलियारों में यह चर्चा हमेशा बनी रही कि वह अपने अनुशासन के हिसाब से सरकार और संगठन को चलाते रहे। लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहते हुए वह 36 बिरादरी के नेता नहीं बन सके। उन पर पार्टी के अंदर विरोधियों को राजनीतिक तौर पर ठिकाने के आरोप भी लगे। उनके विश्वासपात्र नेताओं की लिस्ट में भी गैर ओबीसी बिरादरी के कई नेता उपेक्षित रहे। अपने शासनकाल में किसान आंदोलन के दौरान उपजे गुस्से को थामने में कामयाब नहीं रहे।

नायब सिंह सैनी को नहीं मिला पहचान बनाने का मौका

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने गुजरात वाले प्रयोग को हरियाणा में दोहराया और मनोहर लाल खट्टर से उपजी नाराजगी को सैनी से बदलकर शांत करने की कोशिश की। हालांकि सैनी को सिर्फ 6 महीने मिले और यह समय भी सरकार को बचाने में ही गुजर गया। नायब सिंह सैनी भी मनोहर लाल के शिष्य के तौर पर ही बने रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम महीनों में मुफ्त बस यात्रा, महिलाओं को पेंशन समेत कई लोकलुभावन योजनाओं की शुरुआत की। इसके बाद भी यह माना गया कि वह खट्टर के छाया मात्र हैं। हरियाणा में सरकार परोक्ष रूप से खट्टर ही चला रहे हैं। लोकसभा चुनावों में पांच सीटों की हार भी लोगों की नाराजगी के संकेत ही थे।

सबसे बड़ा कारण, 10 साल में कैडर बना नहीं सकी बीजेपी

बीजेपी देश के मध्यप्रदेश, यूपी, बिहार, कर्नाटक, गोवा जैसे राज्यों में सत्ता से बाहर और फिर सत्ता में आती-जाती रही है। गुजरात में बीजेपी लगातार 30 साल से कुर्सी पर है। इसके पीछे का कारण यह है कि इन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के कैडर मजबूत हैं, जो चुनाव में हारने के बाद भी पार्टी से जुड़े रहते हैं। हरियाणा में बीजेपी 10 साल सत्ता में रही, मगर वह गुजरात और यूपी जैसे कैडर वोटरों की फौज खड़े नहीं कर सकी है। 2014 में बीजेपी को मोदी लहर ने सत्ता में पहुंचाया था। लहर का असर कम होता गया और वोटर छिटकते गए।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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