हरियाणा एग्जिट पोल्स में हैट्रिक से चूक गई बीजेपी, जानें पिछड़ने की 5 बड़ी वजह

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के साथ ही बीजेपी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी झटका लगता दिख रहा है। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही

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नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के साथ ही बीजेपी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी झटका लगता दिख रहा है। एग्जिट पोल के अनुसार हरियाणा में बीजेपी सत्ता से बाहर जाती दिख रही है। एग्जिट पोल के अनुसार प्रदेश में 10 साल बाद कांग्रेस दमदार वापसी करती दिख रही है। सी-वोटर, मैट्रीज, जीस्ट, ध्रुव, दैनिक भास्कर और पी-मार्कयू एग्जिट पोल में कांग्रेस आसानी से बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। पोल ऑफ पोल में कांग्रेस को 54 सीट, बीजेपी को 26, जेजेपी और आईएनएलडी को एक-एक सीट मिलती दिख रही है। ऐसे में सवाल है आखिर बीजेपी प्रदेश में सत्ता की हैट्रिक लगाने से कहां चूक गई।

1. सीएम चेहरा बदलने का दांव बेअसर

हरियाणा में बीजेपी का चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने का दांव पूरी तरह से फेल नजर आया। पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। पार्टी के इस कदम को एंटी इन्कंबेसी को खत्म करने के रूप में देखा गया। हालांकि, पार्टी का यह दांव कामयाब होता नहीं दिख रहा है। प्रदेश सरकार को लेकर हरियाणा में लोगों की नाराजगी की खबरें लगातार आ रही थीं। एग्जिट पोल के नतीजों ने इस बात को पुख्ता कर दिया है।

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2. सत्ता विरोधी लहर के साथ जाटों की नाराजगी

बीजेपी यहां पिछले 10 साल से सत्ता में थी। ऐसे में पार्टी की हार के पीछे सत्ता विरोधी लहर को अहम फैक्टर माना जा रहा है। प्रदेश की जनता बीजेपी शासन के कामकाज से नाखुश दिख रही थी। ऐसे में पार्टी में बीजेपी को तीसरी बार मौका नहीं दिया। इसके अलावा पार्टी को जाटों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में इसकी झलक दिख गई थी। इसके बावजूद पार्टी की तरफ से इससे निपटने के प्रयास नाकाफी साबित हुए।

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राज्य के पहलवानों के साथ जिस तरह से जंतर-मंतर पर सलूक हुआ उसका असर भी चुनाव में देखने को मिला। राज्य में पहलवानों के अनदेखी बीजेपी को भारी पड़ी। इसके साथ ही ओलंपिक में विनेश फोगाट को लेकर जिस तरह की बयानबाजी देखने को मिली उससे बीजेपी के खिलाफ हवा बनाने में मदद की।

3. किसानों, युवाओं की नाराजगी पड़ी भारी

किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी का रुख और केंद्र सरकार का रवैया बीजेपी की हार की अहम वजह में से एक है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार किसानों के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह से असफल रही। जानकारों के अनुसार बीजेपी ने किसानों के आंदोलन को बिल्कुल असंवेदनशील तरीके से दबाने की कोशिश की। इसके अलावा अग्निवीर के मुद्दे पर प्रदेश के युवाओं की नाराजगी भी पार्टी को झेलनी पड़ी। राज्य में विरोधी दलों ने बीजेपी के खिलाफ अग्निवीर के मुद्दे को हवा दी। इसका असर बीजेपी के प्रदर्शन पर साफ दिखा।

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4. परिवारवाद, भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं आया काम

बीजेपी ने चुनाव प्रचार में हुड्डा परिवार को निशाना बनाया। पार्टी ने लगातार कांग्रेस को परिवारवाद के मुद्दे पर घेरा। बीजेपी के लिए कांग्रेस का परिवारवाद का मुद्दा इस चुनाव में बेअसर दिखा। पार्टी ने कांग्रेस के परिवारवाद के साथ ही कांग्रेस राज भ्रष्टाचार के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया था। बीजेपी के लिए यह भी कारगर साबित नहीं हुआ।

5. बागियों ने बिगाड़ा खेल

इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खेल बिगाड़ने में बागी भी एक फैक्टर रहे। राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के मिशन में जुटी भाजपा की टेंशन बढ़ाए रखी। बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां ने पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर हिसार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी के दिग्गज नेता, प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके रामबिलास शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी राजीव जैन ने भी पत्नी कविता जैन का टिकट काटे जाने से नाराज होकर सोनीपत से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। फरीदाबाद से भाजपा के पूर्व विधायक नागेंद्र भड़ाना ने आईएनएलडी-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़ा।

इसके अलावा हरियाणा की जनता ने बीजेपी के संकल्पपत्र को पूरी तरह से नकार दिया। पार्टी ने चुनाव जीतने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 24 फसलें खरीदने और राज्य के प्रत्येक अग्निवीर को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था। हालांकि, पार्टी के लिए यह घोषणा नाकाफी साबित हुई। इतना ही नहीं पार्टी ने देश भर के किसी भी सरकारी मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों से संबंधित हरियाणा के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलेज जाने वाली लड़कियों को स्कूटर देने का भी वादा किया।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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