सिद्धारमैया की कुर्सी पकड़े हैं राहुल गांधी लेकिन टांग खींच रहे हैं कर्नाटक के कांग्रेसी | Opinion

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सिद्धारमैया की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. FIR दर्ज कर लेने के बाद, ED को एक और शिकायत मिली है जिसमें सबूतों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया है. बेशक कांग्रेस आलाकमान का भरोसा सिद्धारमैया को हासिल है, लेकिन कर्नाटक में कुछ मंत्रियों की महत्वाकांक्षाएं कुलांचे भरने लगी है - अब तो ऐसा लगता है सिद्धारमैया की कुर्सी पर नजर टिकाये रखने वालों में डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार अकेले नहीं हैं.

लोकायुक्त की एफआईआर के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बीएम पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा केस दर्ज किया था. लोकायुक्त ने तो अपनी जांच भी शुरू कर दी है, और इसी बीच एक व्यक्ति ने प्रवर्तन निदेशालय के पास लिखित शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में सिद्धारमैया और उनके बेटे यतींद्र सिद्धारमैया सहित अन्य लोगों के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ के लिए केस दर्ज कर जांच की मांग की गई है.

कर्नाटक में राजनीतिक गतिविधियां भी तेज हो चली हैं, और इनमें से ज्यादातर सिद्धारमैया के खिलाफ ही हैं. सिर्फ बीजेपी की मुहिम चल रही होती तो सिद्धारमैया एक बार झेल भी लेते, अपने ही साथियों का अपने खिलाफ कैंपेन तो मुश्किलें बढ़ाने वाला ही होता है - खबर आई है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर मंत्री मीटिंग कर रहे हैं, और ये सब तो सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री बने रहने की संभावनाओं को खत्म ही करने वाला है.

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तीन मंत्रियों की बैठक से बढ़ी सिद्धारमैया की कुर्सी जाने की अटकलें

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के तीन मंत्रियों की एक मीटिंग की खासतौर पर चर्चा हो रही है. मीटिंग के बाद से ही चर्चा है कि सिद्धारमैया को कुर्सी से हटाने का प्लान बन चुका है. और सिद्धारमैया को हटाये जाने के बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा, ये काम भी तेजी से चल रहा है.

सिद्धारमैया सरकार के सीनियर मंत्री जी. परमेश्वर के आधिकारिक आवास पर हुई ये बैठक दो घंटे तक चली बताई जाती है. मीटिंग में क्या बात हुई, ये नहीं बताया गया है. मीटिंग के बारे में बस इतना ही बताया गया है कि स्थिति की समीक्षा और आगे की रणनीति पर बात हुई है. ध्यान देने वाली बात है कि बीते कुछ महीनों में जी. परमेश्वर के यहां दो बैठकें और भी हो चुकी हैं.

जी. परमेश्वर खुद भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताये जाते हैं. मीटिंग में जो अन्य दो मंत्री शामिल हुए वे भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. ये मंत्री हैं, सतीश जारकीहोली और एचसी महादेवप्पा. बताते हैं कि जी. परमेश्वर ने मीटिंग में शामिल दोनो मंत्रियों के साथ सिद्धारमैया से भी मुलाकात की है.

एक वाकया इस बीच ध्यान खींच रहा है. ये वाकया है डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और जी. परमेश्वर की मुलाकात. ये मुलाकात भी सिद्धारमैया के खिलाफ ईडी के केस दर्ज करने से कुछ ही घंटे पहले हुई थी. मुलाकात को लेकर हैरानी भी जताई जा रही है, क्योंकि ये डीके शिवकुमार का ही फरमान था कि राज्य सचिवालय और कांग्रेस दफ्तर के बाहर कोई मुलाकात नहीं होगी. लेकिन, हालत ये है कि जी. परमेश्वर के साथ डीके शिवकुमार भी मीटिंग कर रहे हैं, और अलग से दूसरे मंत्री भी.

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ये घटनाक्रम तो यही बता रहे हैं कि सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री बने रहने की संभावना बहुत कम ही बची है.

कौन बनेगा सिद्धारमैया का उत्तराधिकारी

सिद्धारमैया के उत्तराधिकारी बनने की ऐसी होड़ लगी है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदले जाने की बात पक्की लग रही है. डीके शिवकुमार तो कांग्रेस के 2023 का कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतते ही मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में लग गये थे - लेकिन कांग्रेस आलाकमान के दरबार में अर्जी नामंजूर कर दी गई.

एक चर्चा ये भी रही कि सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को ढाई ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाये जाने की बात भी कही गई थी, लेकिन ईडी के जांच के दायरे में होने के कारण डीके शिवकुमार को पहली पारी नहीं मिल सकी. अब जबकि ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ भी केस दर्ज कर लिया है, डीके शिवकुमार इस मामले में बराबरी पर आ गये हैं.

पिछले चुनावों में एससी-एसटी समुदायों से किसी को मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम भी चलाई जा रही थी. वैसे ये मांग कर्नाटक कांग्रेस में काफी पुरानी है. मंत्रियों की बैठक में भी ऐसी चर्चा होने के अनुमान लगाये जा रहे हैं कि एससी-एसटी से मुख्यमंत्री बनाने की मांग पूरी करने का सही वक्त आ गया है.

सिद्धारमैया कर्नाटक के कुरुबा गौड़ा समुदाय से आते हैं. लिंगायत और वोक्कालिगा के अलावा ये समुदाय भी सूबे की राजनीति में प्रभावी माना जाता है. कुरुबा गौड़ा आजादी के समय से एसटी कैटेगरी में आता था, लेकिन 1977 में इसे अति पिछड़े वर्ग में डाल दिया गया. सिद्धारमैया ने फिर से कुरुबा गौड़ा को एसटी में शामिल किये जाने की सिफारिश की है.

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गौर करने वाली बात ये है कि सतीश जारकीहोली एसटी कैटेगरी वाले नेता हैं, जबकि एचसी महादेवप्पा एससी नेता हैं. माना जा रहा है कि इस बार किसी एससी या एसटी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.

अव्वल तो राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने कह रखा है कि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया जाएगा - और उनके खिलाफ बीजेपी की साजिशों से राजनीतिक तरीके से मुकाबला किया जाएगा.

डीके शिवकुमार अपने ही जुगाड़ में लगे हैं

मौका देखकर डीके शिवकुमार अपने जुगाड़ में जुट गये हैं. नेताओं से मिलकर वो अपने लिए समर्थन जुटाने में लगे हुए हैं. कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर से अपने ही फरमान को दरकिनार कर उनके घर जाकर डीके शिवकार के मिलने का मकसद भी यही था.

सुनने में आ रहा है कि डीके शिवकुमार ने जी. परमेश्वर को अपनी मौजूदा पोस्ट यानी डिप्टी सीएम की कुर्सी देने का वादा किया है. डीके शिवकुमार की मुश्किल ये है कि एससी समुदाय से मुख्यमंत्री बनाये जाने की सूरत में जी. परमेश्वर भी एक मजबूत दावेदार होंगे - लेकिन ये भी माना जा रहा है कि एससी-एसटी समुदाय से किसी को डिप्टी सीएम बनाकर भी नेताओं को शांत कराया जा सकता है.

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डीके शिवकुमार को मौका लेकिन तभी मिल पाएगा जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, सिद्धारमैया को हटाने और उनकी जगह डीके शिवकुमार को देने को तैयार हों - और एससी-एसटी नेता भी डिप्टी सीएम या किसी और बात के लिए राजी हो जायें.

ऐसा लगता है राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने कर्नाटक का मामला भी पहले की तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसा ही फंसा हुआ है. न तो राजस्थान में अशोक गहलोत, सचिन पायलट के लिए कुर्सी छोड़ने को तैयार हुए, न ही छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव के लिए - लेकिन MUDA लैंड स्कैम के आरोपों ने सिद्धारमैया की पोजीशन खराब कर दी है, घात लगाकर बैठे डीके शिवकुमार जैसे नेताओं को मौका मिल गया है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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