हरियाणा की पॉलिटिक्स में डेरे क्यों हैं राजनीतिक दलों की मजबूरी, अकेले राम रहीम नहीं इन डेरों की भी बोलती है तूती

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हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों के लिए चुनाव प्रचार थम गया है. चुनाव प्रचार के अंतिम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस, दोनों ही दलों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. बड़े नेताओं की रैलियां हुईं, नेताओं ने डोर टू डोर कैंपेन कर वोट मांगे. अशोक तंवर ने बीजेपी का दामन झटक कांग्रेस का हाथ थाम लिया लेकिन सबसे अधिक चर्चा में रही डेरा सच्चा सौदा की नाम चर्चा. ऐन मतदान के वक्त पैरोल पर जेल से बाहर आए राम रहीम के इस डेरे ने हरियाणा में नाम चर्चा बुलाई थी जिसमें बड़ी संख्या में उसके अनुयायी पहुंचे भी. नाम चर्चा में मतदान को लेकर किसी तरह के संदेश से राम रहीम के अनुयायी इनकार कर रहे हैं लेकिन सवाल है कि क्या ये डेरा के एक्टिव होने का संदेश था?

यह सवाल बेवजह भी नहीं है. सियासत में डेरों की भूमिका को जानने-समझने वाले लोग यह बताते हैं कि इनका काम प्रचार थमने के बाद शुरू होता है. डेरे की ओर से अमूमन मतदान के ठीक पहले वाली रात अपने अनुयायियों तक यह संदेश भिजवाया जाता है कि उन्हें किसका समर्थन करना है और किसका विरोध. डेरा सच्चा सौदा की बात करें तो इसके लिए बाकायदा एक राजनीतिक विंग हुआ करती थी जो यह तय करती थी डेरा प्रेमी किस दल को वोट करेंगे. ये विंग फिलहाल भंग चल रही है. राम रहीम की अगुवाई वाला डेरा सच्चा सौदा की नहीं, हरियाणा में कई अन्य डेरे भी हैं जिनकी तूती बोलती है. हरियाणा की पॉलिटिक्स में डेरे राजनीतिक दलों की मजबूरी क्यों हैं?

सियासत में डेरों का प्रभाव समझना है तो उनके अनुयायियों की तादाद और वोटिंग पैटर्न की भी बात करनी होगी. गुरमीत राम रहीम के डेरे की ही बात करें तो इसका हरियाणा के छह जिलों- फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, हिसार और करनाल में मजबूत प्रभाव है. हरियाणा की कुल 90 में से 26 विधानसभा सीटें इन जिलों में हैं. डेरा सच्चा सौदा की कुल 38 शाखाएं हैं जिनमें से 21 तो हरियाणा में ही हैं. फतेहाबाद, टोहाना जैसे विधानसभा क्षेत्र में डेरे के अनुयायी इतने हैं कि बस अपने ही वोट से किसी भी उम्मीदवार को जिता ले जाएं.

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हरियाणा में बीजेपी बनाम कांग्रेस, कांग्रेस बनाम इंडियन नेशनल लोक दल की लड़ाई में भी अगर अन्य छोटी पार्टियों के उम्मीदवार और निर्दलीय अच्छी संख्या में विधानसभा पहुंचते रहे हैं तो इसके पीछे डेरा पॉलिटिक्स का रोल भी अहम माना जाता है. सवा करोड़ अनुयायियों का दावा करने वाला राम रहीम का डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव हरियाणा में है ही, कई अन्य छोटे बड़े डेरे भी हैं जिनकी एक खास इलाके, जिले में तूती बोलती है. ऐसे डेरों की लिस्ट में राधा स्वामी सत्संग व्यास से लेकर डेरा लक्ष्मणपुरी तक, कई डेरों के नाम शामिल हैं.

लक्ष्मणपुरी डेरा

रोहतक का लक्ष्मणपुरी डेरा (गोकर्ण) भी हरियाणा के प्रभावशाली डेरों में गिना जाता है. जूना अखाड़े के कपिल पुरी महाराज इस डेरा की गद्दी पर काबिज हैं. कपिल पुरी महाराज के प्रदेश में लाखों अनुयायी होने का दावा डेरे की ओर से किए जाते हैं. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी तक, बीजेपी और कांग्रेस के कई बड़े नेता कपिल पुरी महाराज का आशीर्वाद लेने पहुंचते रहे हैं. लक्ष्मणपुरी डेरा का रोहतक के साथ ही आस-पास के जिलों की भी करीब दर्जनभर विधानसभा सीटों पर इस डेरे का मजबूत प्रभाव माना जाता है.

राधास्वामी सत्संग व्यास

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डेरा राधा स्वामी स्वामी सत्संग व्यास को मानने वाले लोगों में बड़ी संख्या दलितों की है. राधा स्वामी सत्संग व्यास के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्ष के नेता राहुल गांधी तक, बीजेपी और कांग्रेस के तमाम बड़े नेता शिरकत कर चुके हैं. इस डेरे की ओर से यह कहा जाता है कि हम किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध नहीं करते लेकिन इसके राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री भी आशीर्वाद लेने पहुंचते रहे हैं.

यह भी पढ़ें: हरियाणा की पॉलिटिक्स में डेरा का कितना असर? 26 सीटों को सीधे प्रभावित करते हैं अनुयायी

बाबा मस्तनाथ मठ

रोहतक का बाबा मस्तनाथ मठ भी हरियाणा के प्रभावशाली डेरों में गिना जाता है. नाथ संप्रदाय के इस मठ की गद्दी पर काबिज बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. नाथ संप्रदाय के राष्ट्रीय अध्यक्ष यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. बालकनाथ यादव जाति से आते हैं और इस डेरे का प्रभाव सूबे के अहीरवाल बेल्ट, खासकर महेंद्रगढ़ और रोहतक में मजबूत माना जाता है.

यह भी पढ़ें: हरियाणा में चुनाव और सरकार का फैसला... आखिर गुरमीत राम रहीम को हर बार कैसे मिल जाती है पैरोल या फरलो?

निरंकारी डेरा

हरियाणा के अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, सोनीपत और करनाल समेत कई जिलों में निरंकारी डेरे का भी अच्छा-खासा प्रभाव है. निरंकारी डेरे के अनुयायियों की संख्या भी लाखों में बताई जाती है और ऐसा कहा जाता है कि करीब आधा दर्जन जिलों की दर्जनभर विधानसभा सीटों पर जीत-हार तय करने में निरंकारी डेरे के अनुयायी अहम भूमिका निभाते हैं.

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ये डेरे भी प्रभावशाली

हरियाणा के सिरसा जिले का कालावाली डेरा मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली और डेरा नामधारी, रोहतक का पुरी धाम, सांपला का डेरा कालीदास महाराजा, सतजिंदा कल्याण डेरा, सती भाई साईं दास और कलानौर का डेरा बाबा ईश्वर शाह भी प्रभावशाली डेरों में हैं. हरियाणा की सियासत में डेरों का कितना प्रभाव है, इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल आठ डेरों से जुड़े उम्मीदवार मैदान में हैं. किसी न किसी डेरे से जुड़े उम्मीदवारों की लिस्ट में बरवाला से महामंडलेश्वर दर्शन गिरि, पानीपत शहर से अग्निवेश, जुलाना से सुनील जोगी, पृथला से अवधूतनाथ, चरखी दादरी से कर्मयोगी नवीन, तोशाम से बाबा बलवाननाथ के नाम भी शामिल हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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