455 दिन की छुट्टी मनाकर SAF के जवान ने लगाई ड्यूटी ज्वॉइन करने की अर्जी, हाईकोर्ट ने दिया ऐसा जवाब की हो रही चर्चा
भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक एसएएफ जवान की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है। जवान एक साल से ज़्यादा समय से बिना बताए ड्यूटी से गायब था। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय तक गैरहाजिर रहने का कोई ठोस कारण उसने नहीं बताया।
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भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक एसएएफ जवान की बर्खास्तगी को बरकरार रखा है। जवान एक साल से ज़्यादा समय से बिना बताए ड्यूटी से गायब था। कोर्ट ने कहा कि इतने लंबे समय तक गैरहाजिर रहने का कोई ठोस कारण उसने नहीं बताया।
मामला मंडला जिले के करण सिंह मरावी का है। करण सिंह मध्य प्रदेश पुलिस के एसएएफ में जीडी कांस्टेबल थे। 2003 में भर्ती हुए मरावी को 3 मई 2014 से 1 अगस्त 2015 तक अनुपस्थित रहने पर नोटिस दिया गया था। विभागीय जांच के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
अफसर ने दिया ये कारण
मरावी ने इस फैसले को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि उस दौरान वह छिंदवाड़ा में तैनात थे और उनकी पत्नी का बार-बार गर्भपात हो रहा था। ऐसे में उन्हें अपनी पत्नी की देखभाल के लिए उनके साथ रहना ज़रूरी था। हालांकि, उन्होंने अपनी बात के समर्थन में कोई मेडिकल प्रमाण पत्र पेश नहीं किया।
संबंधित दस्तावेज नहीं किए पेश
मरावी ने एकलपीठ से फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने पाया कि मरावी ने अपनी पत्नी के इलाज से संबंधित कोई भी दस्तावेज़ अदालत में पेश नहीं किए। उन्होंने 23 जून 2013 को जबलपुर के एक निजी अस्पताल में अपनी पत्नी के भर्ती होने की बात तो कही, लेकिन डिस्चार्ज सर्टिफिकेट नहीं दिखाया।
मामला मंडला जिले के करण सिंह मरावी का है। करण सिंह मध्य प्रदेश पुलिस के एसएएफ में जीडी कांस्टेबल थे। 2003 में भर्ती हुए मरावी को 3 मई 2014 से 1 अगस्त 2015 तक अनुपस्थित रहने पर नोटिस दिया गया था। विभागीय जांच के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
अफसर ने दिया ये कारण
मरावी ने इस फैसले को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि उस दौरान वह छिंदवाड़ा में तैनात थे और उनकी पत्नी का बार-बार गर्भपात हो रहा था। ऐसे में उन्हें अपनी पत्नी की देखभाल के लिए उनके साथ रहना ज़रूरी था। हालांकि, उन्होंने अपनी बात के समर्थन में कोई मेडिकल प्रमाण पत्र पेश नहीं किया।संबंधित दस्तावेज नहीं किए पेश
मरावी ने एकलपीठ से फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन वहां भी उनकी याचिका खारिज हो गई। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने पाया कि मरावी ने अपनी पत्नी के इलाज से संबंधित कोई भी दस्तावेज़ अदालत में पेश नहीं किए। उन्होंने 23 जून 2013 को जबलपुर के एक निजी अस्पताल में अपनी पत्नी के भर्ती होने की बात तो कही, लेकिन डिस्चार्ज सर्टिफिकेट नहीं दिखाया।कोर्ट ने दी ये दलील
अदालत ने कहा कि 455 दिनों की लंबी अनुपस्थिति को उचित ठहराने के लिए संतोषजनक स्पष्टीकरण दिए बिना किसी कर्मचारी को नौकरी से निकालने में कुछ भी गलत नहीं है।
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मनोज शर्मा
मनोज
शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान
संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य
कार्यकारी अधिकारी हैं।