AAP के मेयर की मंजूरी के बगैर BJP के लिए राह मुश्किल, क्या फिर LG करेंगे स्पेशल पॉवर का इस्तेमाल?

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दिल्ली में स्टैंडिंग कमेटी के छठवें मेंबर का चुनाव भले ही भाजपा ने जीत लिया हो, लेकिन आगे की राह आसान नहीं होगी. क्योंकि कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव की अनुमति एमसीडी एक्ट के हिसाब से मेयर को देनी होती है. ऐसे में देखना होगा कि क्या AAP की मेयर इसकी इजाजत देंगी?

दरअसल, दिल्ली नगर निगम 2022 के चुनाव के बाद अभी तक सबसे पावरफुल वित्तीय कमेटी यानी स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में है. आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है कि दिल्ली के LG विनय सक्सेना मेयर के पावर को ग्रैब करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, 5 सितंबर को होने वाली वार्ड कमेटी के इलेक्शन को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

18 सदस्य वाली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के छठवें मेंबर के चुनाव में आम आदमी पार्टी अनुपस्थिति रही तो बीजेपी के प्रत्याशी सुंदर सिंह तंवर निर्विरोध रूप से जीत गए. यानी आम आदमी पार्टी के आठ सदस्य और बीजेपी के 10 सदस्य स्टैंडिंग कमेटी के लिए चुन लिए गए हैं. लेकिन 10 सदस्य होने के बावजूद बीजेपी के लिए राह आसान नहीं है.

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क्या होगी बीजेपी के लिए मुश्किल

सुप्रीम कोर्ट में मुद्दे के जाने को एक तरफ रख दें तो भी बीजेपी को स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए अगले सदन की अनुमति और तारीख तो मेयर से ही लेनी पड़ेगी. यानी आम आदमी पार्टी की मेयर पर ही निर्भर करेगा कि वह चुनाव के लिए अनुमति दें या नहीं.

ये है फाइल भेजने का रूट

दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक कमेटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव का प्रस्ताव दिल्ली नगर निगम सदन को भेजा जाता है. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव की तारीख तय करने के लिए सबसे पहले निगम सचिव कमिश्नर ऑफिस को फाइल भेजते हैं. कमिश्नर ऑफिस से फाइल मेयर के पास और उनकी मंजूरी के बाद ही यह तारीख तय होती है. यानी साफ है की मेयर की मंजूरी के बाद चुनाव की तारीख तय होगी.

सवा साल से पेंडिंग सबसे पावरफुल कमेटी का मामला और उलझ गया

बीजेपी ने चुनाव करवाने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के 5 अगस्त के जजमेंट का हवाला दिया जिसमें दावा किया कि जल्द से जल्द स्टैंडिंग कमेटी का गठन होना चाहिए क्योंकि लोगों का काम रुका हुआ है. निगम के सूत्रों की माने तो सेंट्रल और साउथ जोन में घर-घर से कूड़ा कलेक्ट करने का काम नही हो पा रहा है. इसकी वजह स्टैंडिंग कमेटी का नहीं होना. दोनों जोन में कूड़ा कलेक्ट करने का काम अलग-अलग एजेंसियों को देना है. ये 5 करोड़ से ऊपर के प्रोजेक्ट है और स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी नहीं मिलने से ना तो कोई एजेंसी नियुक्त हो पा रही है और ना ही दोनों जोन में कूड़ा कलेक्शन हो पा रहा है.

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एक्सपर्ट ने बताई कैसे काम करती है स्टैंडिंग कमिटी

निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगाई का कहना है कि 5 करोड रुपए से अधिक के सभी प्रस्ताव स्टैंडिंग कमेटी में पेश करने पड़ते हैं. जो की तीन तरह के होते हैं पार्ट 1, पार्ट, पार्ट 2 और पार्ट 3.

पार्ट 3 में बिल्डिंग प्लान और लेआउट के प्रस्ताव होते हैं. एमसीडी के अधिकारी ऐसे प्रस्ताव को स्टैंडिंग कमेटी में पेश करते हैं कमेटी का अध्यक्ष यह निर्णय लेता है कि प्रस्ताव को सदन में पेश करें या नहीं कमेटी ऐसे प्रस्तावों को अपने स्तर पर ही मंजूरी देने में सक्षम होती है.


पार्ट 1 में एमसीडी से संबंधित तमाम तरह के वित्तीय प्रस्ताव 5 करोड़ से अधिक के होते हैं. प्रस्तावों को स्टैंडिंग कमेटी से मंजूरी मिलने के बाद कमेटी के अध्यक्ष की ओर से एक महीने के अंदर सदन में पेश करना जरूरी होता है. वित्तीय प्रस्ताव सदन में जाने के बाद मेयर ऑब्जेक्शन या क्वेरी भी लगा सकती हैं. प्रस्ताव को रद्द करने का अधिकार भी सदन को है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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