सुप्रीम कोर्ट में केंद्र और पंजाब सरकार के बीच चल रही इस दिलचस्प लड़ाई पर क्यों है सभी राज्यों की नजर

नई दिल्ली : पंजाब और केंद्र सरकार के बीच सुप्रीम कोर्ट में खींचतान छिड़ गई है। मामला है MSP पर अनाज खरीद के लिए पंजाब सरकार की तरफ से बढ़ाई गई फीस का। पंजाब चाहता है कि केंद्र सरकार उसकी बढ़ी हुई फीस को मान्यता दे, जबकि केंद्र सरकार इसके लिए तैयार

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नई दिल्ली : पंजाब और केंद्र सरकार के बीच सुप्रीम कोर्ट में खींचतान छिड़ गई है। मामला है MSP पर अनाज खरीद के लिए पंजाब सरकार की तरफ से बढ़ाई गई फीस का। पंजाब चाहता है कि केंद्र सरकार उसकी बढ़ी हुई फीस को मान्यता दे, जबकि केंद्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं है। इस केस पर सभी राज्यों की नजर है क्योंकि यह तय करेगा कि क्या राज्य सरकारों द्वारा केंद्र सरकार की PDS योजनाओं के लिए अनाज खरीद पर लगाई गई फीस केंद्र सरकार के लिए भी बाध्यकारी होगी या नहीं।
पंजाब सरकार ने राज्य से खरीदे जाने वाले अनाज पर MSP के 6% की लेवी लगाई है, लेकिन केंद्र सरकार केवल 2% लेवी की रीइंबर्स करने को तैयार है जो कि सभी राज्यों पर समान रूप से लागू होती है। यह लेवी अनाज की लागत से अलग होती है जो केंद्र सरकार राज्यों को देती है। इस अनाज को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, अंत्योदय और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को मुफ्त या फिर रियायती कीमतों पर बांटा जाता है।

केंद्र सरकार द्वारा 6% लेवी को रीइंबर्स से इनकार करने पर, पंजाब ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र-राज्य विवाद खड़ा करते हुए अपना पक्ष रखा है। उसकी दलील है, 'राज्य सरकार को केंद्र सरकार की ओर से खाद्यान्न की खरीद पर लगाए जाने वाले वैधानिक शुल्क को निर्धारित करने का विशेष अधिकार है।'

पंजाब सरकार का कहना है, 'केंद्र सरकार को राज्य द्वारा लगाए गए लेवी पर विचार करने या उस पर कार्रवाई करने के लिए किसी भी संसदीय कानून के तहत कोई कानूनी अधिकार नहीं है... राज्यों और केंद्र द्वारा किए गए समझौता ज्ञापन के अनुसार, केंद्र सरकार केंद्रीय योजनाओं के तहत वितरण के लिए खाद्यान्न की खरीद से संबंधित दरों को निर्धारित करने के हकदार है।'

पंजाब सरकार की दलील है कि वह 3% की दो लेवी - बाजार शुल्क और ग्रामीण विकास शुल्क का इस्तेमाल पूरी तरह से ग्रामीण बुनियादी ढांचे जैसे सड़कों में सुधार, स्वच्छ पेयजल और भंडारण सुविधाओं के रखरखाव और कृषि उपज और कटाई के बाद निपटान को बढ़ावा देने के लिए कर रही है।

केंद्र सरकार का कहना है कि अनाज की लागत के अलावा राज्यों को रीइंबर्स की जाने वाली 2% लेवी का इस्तेमाल सिर्फ गरीब और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए खरीद केंद्रों पर सुविधाओं को विकसित करने के लिए किया जाना था। इस लेवी का उपयोग 'अन्य गतिविधियों के लिए पैसा जुटाने या राज्य के राजस्व को बढ़ाने के लिए एक उपकरण के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।'

केंद्र सरकार ने पंजाब पर लेवी से जुटे फंड को गलत तरीके से डायवर्ट करने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि पंजाब सरकार 'सरकारी शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना, सड़कों की मरम्मत, पंचायत घरों और धर्मशालाओं के निर्माण और किसानों के कर्ज माफ करने' के लिए लेवी के रीइंबर्समेंट से जुटे पैसे को गलत तरीके से डायवर्ट कर रही है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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