शेल कंपनियों का नेटवर्क, कई साल की प्लानिंग और सीरियल ब्लास्ट... मोसाद ने हिज्बुल्लाह को ऐसे दिया चकमा

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लेबनान लगातार दो दिन हुए सीरियल ब्लास्ट से दहल उठा. हर तरफ चीख-पुकार मच गई. पहले दिन पेजर ब्लास्ट में हिज्बुल्लाह के 12 आतंकियों की मौत हो गई और करीब 4000 लोग घायल हो गए. वहीं बुधवार को वॉकी-टॉकी और सोलर पैनल ब्लास्ट में 25और आतंकी मारे गए, जबकि सैकड़ों घायल हो गए. हिज्बुल्लाह ने इन धमाकों के पीछे इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं इजरायल ने इन धमाकों पर सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के मुताबिक हिज्बुल्लाह मोसाद के साइबर ऑपरेशन का शिकार हो गया. हिजबुल्लाह ने जो पेजर खरीदे वो ताइवान की अपोलो गोल्ड कंपनी के नहीं थे. उन्हें मोसाद के अफसरों ने हंगरी की उस कंपनी में बनाया था, जिसे हिज्बुल्लाह ताइवानी कंपनी समझ रहा था. असल में वो मोसाद के अफसरों की ओर से हिज्बुल्लाह को चकमा देने के लिए बनाई गई एक फ्रंट कंपनी थी. इसके लिए मोसाद ने कई साल पहले ही प्लानिंग कर ली थी.

साल 2022 से ही हिज्बुल्लाह मोसाद की इस कंपनी से पेजर खरीदता रहा और मोसाद ने सोची-समझी साजिश के तहत हिज्बुल्लाह के लिए बनाए गए पेजर में PETN विस्फोटक डाल दिए थे. इसके बाद जब हिज्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह ने अपने आतंकियों से मोबाइल फोन का इस्तेमाल बंद करने को कहा तो मोसाद की कंपनी को और ज्यादा पेजर के ऑर्डर मिल गए. यानी अब हिज्बुल्लाह आतंकियों तक हजारों विस्फोटक वाले पेजर पहुंच चुके थे. और मौका देखते ही इजरायल ने धमाके शुरू कर दिए.

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रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

अब सवाल उठता है कि क्या वॉकी-टॉकी में भी मोसाद ने ऐसा ही कोई खेल कर दिया? कारण,पेजर के बाद बुधवार को लेबनान में वॉकी-टॉकी फटने लगे तो हिज्बुल्लाह के होश उड़ गए. वहीं इजरायली की खुफिया एजेंसी मोसाद के अफसर अपनी कामयाबी पर खुश हो रहे थे. मोसाद ने हिज्बुल्लाह को कैसे बेवकूफ बनाया. इसका बड़ा खुसासा न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट में उस कंपनी को बारे में बताया गया है, जहां विस्फोट होने वाले पेजर तैयार किए गए थे. एक घर के दरवाजे पर कई कंपनियों के नाम लिखे दिखे. ये उस कंपनी का हेडक्वार्टर था, जिसने वो पेजर बनाए, जिनमें लेबनान में विस्फोट हए. लेकिन ये कंपनी हंगरी की या ताइवान की गोल्ड अपोलो की साझीदारी नहीं है.

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इजरायल ने बनाई शेल कंपनी

रिपोर्ट के मुताबिक ये वो बीएसी कंसल्टिंग कंपनी है, जो इजरायली शेल कंपनी है. हिज्बुल्लाह में सेंध लगाने के लिए इस कंपनी को मोसाद के अफसरों ने खड़ा किया. दो और शेल कंपनियां खड़ी की गईं ताकि किसी को शक न हो. और हिज्बुल्लाह उन्हीं कंपनियों से साल 2022 से ही पेजर खरीदता रहा. वो पेजर जिनकी बैटरी के साथ PETN विस्फोटक भर दिए गए थे, ताकि सही समय आने पर उनमें ब्लास्ट किया जा सके. दो साल तक हिज्बुल्लाह को इसकी भनक तक नहीं लगी.

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जापान की कंपनी ने नहीं बनाए थे विस्फोट होने वाले वॉकी-टॉकी

यही नहीं, 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले के बाद जब हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह ने अपने आतंकियों कहा कि वो सेलफोन का इस्तेमाल बंद कर दें तो मोसाद और खुश हुआ. उसे ज्यादा से ज्यादा विस्फोटक वाले पेजर सप्लाई करने का मौका मिल गया. जहां तक वॉकी-टॉकी में विस्फोट की बात है तो कहीं उसकी सप्लाई भी मोसाद ने तो नहीं की थी? क्योंकि जापान की कंपनी आईकॉम ने साफ कर दिया है कि जितने भी वॉकी-टॉकी सेट में विस्फोट हुए हैं, उस मॉडल को बनाना उसने 10 साल पहले बंद कर दिया था.

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आईकॉम ने एक बयान में कहा, “आईसी-वी82 एक हैंडहेल्ड रेडियो सेट है, जिसका उत्पादन और निर्यात 2004 से अक्टूबर 2014 तक किया गया था, जिसमें मध्य पूर्व भी शामिल है. इसे करीब 10 साल पहले बंद कर दिया गया था और तब से इसे हमारी कंपनी से शिप नहीं किया गया है.”

यानी इसकी आशंका बहुत ज्यादा है कि हिज्बुल्लाह ने मोसाद की ही फर्जी कंपनी से ये हैंडसेट खरीदे होंगे. हालांकि इजरायल ने फिलहाल इस पर कुछ नहीं कहा है. लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट सच है तो इसका मतलब है कि मोसाद ने पैसे लेकर पेजर और वॉकी-टॉकी सेट बेचे और उनके जरिए ही हिज्बुल्लाह के आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया. यानी नुकसान कुछ नहीं और आतंकियों से ही उन्हें मारने वाले सामान को बनाने की कीमत भी वसूल ली.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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