दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के सामने होंगी ये 4 सबसे बड़ी चुनौतियां । Opinion

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अरविंद केजरीवाल के मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी नेता आतिशी अब दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने वाली हैं. दिल्ली सरकार में भी सबसे अहम विभाग उनके पास रहे हैं. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में पहले भी उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण काम किया है. संभवतः दिल्ली में जिस शिक्षा सुधार का श्रेय आम आदमी पार्टी लेती रही है उसकी सूत्रधार आतिशी ही रही हैं. पर अब जब वो दिल्ली की मुख्यमंत्री होंगी तो उनके सामने केवल प्रशासनिक चुनौतियां ही नहीं होगीं बल्कि एक नेता के रूप स्थापित होने की चुनौती भी होगी. हालांकि जिस तरह आम आदमी पार्टी उन्हें डमी सीएम बता रही है और जिस तरह वो खुद भी कह रही हैं कि वो केवल दिल्ली विधानसभा चुनावों तक के लिए ही सीएम हैं उनकी चुनौतियों को और बढ़ा देती है. हम खुद को उनकी परिस्थितियों में रखकर सोच सकते हैं कि जब आपके पास कोई बड़ा पद केवल नाम का हो और आपसे उम्मीदें हजार हों तो ऐसे समय किसी भी शख्स की मनः स्थिति क्या हो सकती है?

फिलहाल राजनीति अनंत संभावनाओं का खेल है. यहां कल क्या होगा कोई नहीं जानता है. अब आतिशी को इस राजनीतिक टेस्ट मैच आतिशी पारी खेलनी है. एक अच्छी पारी खेलकर वे दिल्ली की राजनीति में अपने आपको इस तरह जमा सकती है जैसा आम आदमी पार्टी ने सोचा भी नहीं होगा.अगर उनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव जीत जाती है तो उन्हें हटाने का भी कोई मतलब नहीं रह जाएगा.

1-खड़ाऊं सरकार का ठप्पा न लगने देना

दिल्ली में जारी सियासी घटनाक्रम के बीच आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जिस तरह के भाव उनके लिए प्रदर्शित किए हैं वह आतिशी की योग्यता और कर्मठता को देखते हुए कतई ठीक नहीं कहा जा सकता है. दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय , सोमनाथ भारती आदि ने जिस तरह के वक्तव्य दिए हैं उससे यही लगता है कि आतिशी एक डमी सीएम की भांति ही काम करेंगी. जिसका अर्थ यही निकलता है कि वो अरविंद केजरीवाल की कठपुतली की भूमिका में काम करेंगी. जो उनकी क्वालिफिकेशन को देखते हुए सही नहीं लगता है. आतिशी स्वभाव से इस तरह की नहीं लगतीं हैं जो किसी की कठपुतली बनकर काम करेंगी. जाहिर है कि ऐसा करेंगी तो पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की निगाह से जल्दी ही उतर जाएंगी. आम आदमी पार्टी में अब तक जो भी अरविंद केजरीवाल की नजर से उतर गया उसका राजनीतिक पराभव उसी दिन से शुरू हो जाता है. इसलिए जरूरी होगा कि आतिशी दिल और दिमाग के बीच सामंजस्य बनाकर चलें.वैसे भी सीएम की कुर्सी में इतनी ताकत होती है कि जो उस पर बैठता है उसमें स्वाभिमान अपने आप पैदा हो जाता है.और वो फैसले लेने में अपने दिल की पहले सुनता है. इसलिए उन्हें बेहद सावधान रहने की जरूरत है.

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दिल्ली सरकार के मंत्री और AAP के सीनियर नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ये बात मायने नहीं रखती की सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा. जनता ने तो केजरीवाल को चुना था. कुर्सी तो केजरीवाल की है और आगे भी रहेगी. सिर्फ चुनाव तक इस कुर्सी पर भरत की तरह राम की खड़ाऊं रखकर एक व्यक्ति बैठेगा. आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती भी अपने साथी सौरभ भारद्वाज जैसी ही बातें करते हैं. वो कहते हैं कि आतिशी भरत की तरह सरकार चलाएंगी. जिस तरह भगवान श्रीराम के वनवास जाने के बाद भरत ने अयोध्या में खड़ाउं सरकार चलाया था .अब देखना होगाआतिशी इसका मुकाबला कैसे करती हैं. क्या वो कठपुतली मुख्यमंत्री बनकर रहना चाहेंगी या अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाने की कोशिश करेंगी?

2-मंत्रिमंडल के अति वरिष्ठ सहयोगियों को साथ लेकर चलना

दिल्ली की सीएम बनने के बाद आतिशी के सामने सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को भरोसे में रखना होगा. संजय सिंह, राघव चड्ढा , सौरभभारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत आदि नेताओं को साथ लेकर चलना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी. ये सभी नेता जानते हैं कि वो डमी सीएम हैं, असली अधिकार तो अरविंद केजरीवाल के पास हैं. इसके साथ ही ये सभी नेता उनके कंपटीटर्स भी हैं . पार्टी के इन नेताओं को यह भी पता है कि अगले विधानसभा चुनावों में अगर आम आदमी पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिलती हैं तो भी अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनते हैं इसमें संदेह ही है. क्यों कि जो आरोप आज अरविंद केजरीवाल के लिए हैं वही आरोप 6 महीने बाद ही रहने वाले हैं.इसलिए अगले साल एक बार फिर सीएम पद के लिए रेस होगी. जाहिर है कि पार्टी में हर किसी किसी निशाने पर आतिशी ही रहेंगी. पार्टी की अंदरूनी राजनीति में यही कोशिश होगी कि आतिशी को प्रशासनिक रूप से असफल साबित कर दिया जाए.

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3-विरोधियों को टार्गेट पर अब वो होंगी, उनकी पूरी कुंडली खंगाली जाएगी

अभी तक आतिशी किसी के टार्गेट पर नहीं थीं.उनके खराब और अच्छे दोनों काम के लिए उनके बजाय उनके लीडर अरविंद केजरीवाल को लोग निशाने पर लेते थे. पर अब ऐसा नहीं होगा. दिल्ली के लिए हर अच्छे और बुरे काम के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा. इतना ही नहीं उनके जीवन के गड़े मुर्दे उखाड़े जाएंगे. उनके धर्म-परिवार -विचारधारा आदि सभी में नुक्स निकाले जाएंगे. सीएम के पद के लिए उनके नाम की घोषणा होते ही सांसद स्वाति मालीवाल ने उन्हें टार्गेट करके इसकी शुरूआत कर दी है. मालीवाल कहती हैं कि आतिशी का परिवार अफजल गुरु को बचाने वालों शामिल रहा है. ऐसी बातें भी होंगी जिनसे वो विचलित हो जाएंगी. नक्सलियों के साथ उनके संबंध निकाले जाएंगे और हिंदू देवी देवताओं का विरोधी भी उन्हें साबित किया जाएगा.

4- जनता से किए गए जो वादे पूरे नहीं हुए, उनका भी जवाब देना होगा

मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी से पहले भी आतिशी के पास दिल्ली सरकार के अहम विभाग थे. वे शिक्षा, वित्त, योजना, पीडब्लूडी, जल, बिजली और जनसंपर्क मंत्रालय संभाल रही थीं. जाहिर है कि आम आदमी पार्टी द्वारा किए उन ढेरों वादों को पूरा न कर पाने के लि़ए भी उनसे जवाब मांगा जाएगा. पिछले 2 सालों से दिल्ली में विकास कार्य ठप हैं. गर्मियों में दिल्ली में पानी की समस्या बहुत बड़ी थी, बरसात में दिल्ली की सिवेज प्रणाली ध्वस्त हो चुकी है. नगर निगम और राज्य दोनों ही जगहों पर आम आदमी पार्टी की सरकार होने के बावजूद दिल्ली में कूडे़ के अंबार लगे हुए हैं. सड़कें बुरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं. आतिशी को इन सबका जवाब देना होगा. अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद वो सरकार के फ्रंटफुट पर थीं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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