30 मिनट, 3 धमाके और दहल गया देश! कहानी उस सीरियल ब्लास्ट की जिसे लश्कर ने दिया अंजाम

Sarojini Nagar Blast Case: वक्त में ज्यादा नहीं थोड़ा पीछे चलते हैं. साल था 2005 और तारीख थी 29 अक्टूबर. दिन था धनतेरस का. ये वो वक्त था, जब लोग शॉपिंग के लिए दिल्ली के बाजारों में घूम रहे थे. लेकिन उनको क्या मालूम था कि मौत उनका इंतजार कर रही है

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Sarojini Nagar Blast Case: वक्त में ज्यादा नहीं थोड़ा पीछे चलते हैं. साल था 2005 और तारीख थी 29 अक्टूबर. दिन था धनतेरस का. ये वो वक्त था, जब लोग शॉपिंग के लिए दिल्ली के बाजारों में घूम रहे थे. लेकिन उनको क्या मालूम था कि मौत उनका इंतजार कर रही है.

आज भी वो खौफनाक मंजर याद करके लोग रो पड़ते हैं. किसी ने अपने पिता को खोया तो किसी का पूरा परिवार ही आतंकवाद ने लील लिया. इस सीरियल बम ब्लास्ट ने सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया था. 29 अक्टूबर 2005 को दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट के अलावा गोविंदपुरी और पहाड़गंज में भी ब्लास्ट हुए थे. इन बम धमाकों में 60 लोगों की जान चली गई थी और 200 से ज्यादा घायल हुए थे. इस हमले में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था.

लगातार तीन ब्लास्ट से दहल गई थी दिल्ली

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहला ब्लास्ट शाम 5.38 बजे भीड़भाड़ वाले इलाके पहाड़गंज में हुआ था. करीब 6 बजे गोविंदपुरी में धमाके हुए. इसके बाद 6 बजकर 5 मिनट पर व्यस्त बाजारों में से एक सरोजिनी नगर भी धमाके से दहल उठा. यह ब्लास्ट एक बाइक, कार और बस में हुआ था.

इस मामले में कोर्ट ने मोहम्मद हुसैन, तारिक अहमद डार, मोहम्मद रफीक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, हत्या या हत्या के प्रयास के अलावा हथियार जुटाने के आरोप तय किए गए थे. पुलिस की चार्जशीट में खुलासा हुआ था कि मोहम्मद हुसैन, तारिक अहमद डार, मोहम्मद रफीक ने मिलकर हमले की साजिश रची थी. डार हमले का मास्टरमाइंड था, जो लश्कर का ऑपरेटिव है. सितंबर 2008 में दिल्ली में करीब 5 सीरियल ब्लास्ट हुए थे. इनमें एक करोल बाग, कनॉट प्लेस में दो, ग्रेटर कैलाश में दो ब्लास्ट शामिल थे. धमाके के बाद पुलिस एक्टिव हुई और ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां और पूछताछ की गई.

आज भी याद कर रो पड़ते हैं लोग

इन ब्लास्ट के बाद पूरी दिल्ली में खौफ पसर गया था. किसी को मालूम नहीं था कि ये उनके परिवार के साथ दिवाली तक नहीं मना पाएंगे. लोग रोज की तरह अपने घरों को लौट रहे थे. पूरे शहर में त्योहार की रौनक थी. लोग खरीदारी करने भी निकले थे. लेकिन जब ब्लास्ट हुआ तो चारों तरफ चीख-पुकार और भगदड़ मच गई.

परिवार के लोग आज भी उस मनहूस दिन को याद करके रोने लगते हैं. वे आज भी उस दर्द को नहीं भूले हैं, जो आतंक ने उनको दिया था. गौरतलब है कि 22 दिसंबर 2000 को दिल्ली के लाल किले पर बम हमला, 13 दिसंबर 2001 को संसद पर अटैक और अक्टूबर में तीन बम धमाकों ने सबको हिलाकर रख दिया था.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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