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नई दिल्ली: 'क्यों इसके पीछे पैसे बर्बाद कर रहे हो, ये कुछ नहीं कर पाएगी... अब तक तो एक एग्जाम निकाल नहीं पाई, आगे क्या करेगी। अरे इसकी उम्र की लड़कियों को देखो जरा, कहां से कहां पहुंच गई हैं।' ये वो मुश्किल वक्त था, जब काजल ने अपने लिए कुछ सपने देखे और उन्हें पूरा करने के लिए कदम उठाए। उसे नहीं पता था कि सपने पूरे होंगे या नहीं, लेकिन उसकी कोशिश पूरी शिद्दत से थी। वो खुद को झोंक चुकी थी, कुछ पाने के लिए, लाइफ में कुछ कर दिखाने के लिए... लेकिन जैसे ही उसका एक कदम चूकता, समाज से लेकर रिश्तेदारों के ताने उसके सामने खड़े हो जाते।काजल की जिंदगी में एक दौर तो ऐसा भी आया, जब वो इतनी हताश हो गई कि अपने फ्लैट की बालकनी में खड़ी होकर सोचने लगीं... मैं यहां से कूद जाऊं तो शायद ये ताने खत्म हो जाएं, शायद इसके बाद लोगों के ताने बंद हो जाए। लेकिन, उसी दौरान उनके रूम के दरवाजे पर एक दस्तक हुई। कुंडी खोली तो बाहर छोटी बहन खड़ी थी। दरवाजा खोलते ही उसने काजल को गले से लगा लिया और कहा, दीदी हमें आप पर ना बड़ा नाज है। छोटी बहन ने कहा, दीदी बस आप हिम्मत ना हारना, कोशिश कर रही हो, और वही करती रहना। और ये वो पल था, जब काजल ने ठान लिया कि अब चाहे जो हो जाए, खुद को साबित करके दिखाना है। काजल ने अपनी डायरी खोली और लिखा 'तावसी... माई मूवमेंट'। इस शब्द का संस्कृत में मतलब है महिला का साहस।
खुद को साबित करने का जुनून
ये कहानी है ग्रेटर नोएडा की रहने वालीं काजल श्रीवास्तव की, जिन्होंने अपनी जिंदगी के हर कदम पर आने वाली चुनौतियों से लड़ते हुए अलग पहचान बनाई है। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बात करते हुए काजल श्रीवास्तव ने बताया, 'मैं पढ़ाई में शुरुवात से अच्छी नहीं थी, लेकिन अंदर एक जिद थी कि मुझे कुछ करना है। लॉ, जर्नलिज्स और ऐसे ना जाने कितने एग्जाम दिए, लेकिन किसी में सफल नहीं हो पाई। साल 2013 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से हिस्ट्री में ऑनर्स किया, तो मैं यूपीएससी की तैयारी में जुट गई। अंदर एक सपना पल रहा थ। सपना था आईपीएस अधिकारी बनने का। मन में एक जिद थी, देश के लिए कुछ करने की, समाज के लिए कुछ करने की। फिर खुद को साबित भी तो करना था, क्योंकि जवाब देना था उन रिश्तेदारों को, जो अब तक हर नाकामी पर केवल और केवल ताने देते रहे थे।'एग्जाम से ठीक एक दिन पहले वो दर्द
हालांकि, काजल की जिंदगी में अभी नाकामयाबियों का लंबा दौर लिखा था। साल 2104 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और वो प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाईं। इसके बाद 2015 में भी ऐसा ही रिजल्ट रहा... साल बदलते रहे, लेकिन काजल को बार-बार नाकामयाबी मिली। साल 2016 में काजल ने तीसरी बार कोशिश की, लेकिन उस वक्त एक अलग समस्या आ गई। परीक्षा से ठीक एक दिन पहले उनके पेट में असहनीय दर्द हुआ। डॉक्टर ने चेक किया तो बताया कि ये दर्द अपेंडिसाइटिस का है और तुरंत सर्जरी करनी होगी। लेकिन काजल तो किसी और मिट्टी की बनी थी। उन्होंने डॉक्टर से कहा कि कोई पेन किलर दे दीजिए ताकि वो परीक्षा दे पाएं। डॉक्टर ने वैसा ही किया लेकिन काजल परीक्षा के जाते समय ही दर्द की वजह से बेहोश हो गईं।काजल के लिए खतरनाक था वो दौर
पिछले दो साल से नाकामी झेल रहीं काजल के लिए एक साल और खराब हो गया। काजल बताती हैं कि उनके लिए यूपीएससी की तैयारी का ये दौर सबसे ज्यादा खतरनाक था। साल 2017 में तैयारी के दौरान ही काजल को कलरीपायट्टु से जुड़ने का मौका मिला। उनके एक परिचित ने उनसे कहा कि काजल आपको कलरीपायट्टु जॉइन करना चाहिए। हालांकि काजल का मन नहीं माना, क्योंकि वो जो नोट्स बनाती थीं, उन्हें पढ़कर उनके दोस्त यूपीएससी क्लियर कर रहे थे। काजल खुद भी मॉक टेस्ट में अच्छा करती थीं, फिर क्यों अपनी यूपीएससी का सपना छोड़ दें। लेकिन फिर भी, ना जाने क्यों, काजल के अंदर से एक आवाज आई और वो कलरी (भारत की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट) से जुड़ गईं।चश्मा हटा और लौट आया खोया हुआ आत्मविश्वास
कलरी जॉइन करते ही काजल की जिंदगी में एक बदलाव आया। उन्हें महसूस हुआ कि जो काजल कहीं खो गई थी, वो वापस लौट रही है। यूपीएससी की तैयारी के दौरान जो काजल मोटापे से जूझ रही थी, थायराइड से जूझ रही थी, जिसकी आंखों पर चश्मा चढ़ गया था... उसे अपनी पुरानी लाइफ वापस मिल गई। यहां तक कि काजल का चश्मा तक हट गया। काजल ने 2020 तक 6 बार यूपीएससी की परीक्षा दी और हर बार फेल हुईं, लेकिन अब वो निराश नहीं थी। काजल को अब अपना लक्ष्य मिल चुका था और उस दिशा में वो आगे बढ़ रही थीं। काजल बताती हैं कि 2020 में जब वो यूपीएससी में अपने आखिरी प्रयास में फेल हुईं और उन्होंने कलरी में अपने गुरुजी शिंटो मैथ्यू को बताया, तो उन्होंने यही कहा, कि अच्छा हुआ। गुरुजी बोले, अब काजल वो कर पाएगी, जिसके लिए वो बनी है।अच्छा हुआ, जो मैं यूपीएससी में फेल हो गई
आज काजल श्रीवास्तव कलरी में उत्तर भारत से अकेली महिला हैं, जो ये कला आगे बढ़ा रही हैं। कलरी में रहते हुए काजल ने अपना स्टार्टअप 'तावसी' भी शुरू कर दिया है। उनके तावसी के दो भाग हैं- पहला लोगों को मोटिवेट करना, उन्हें समझाना कि फेल होना नाकामी नहीं है, जिंदगी उससे कहीं आगे है। और दूसरा- लोगों को स्वदेशी और केमिकल रहित परिधानों के प्रति जागरुक करना। काजल आज कलरी में मार्शल आर्ट के जरिए खुद को एक नई उड़ान दे रही हैं। और जब नवभारत टाइम्स ने उनसे पूछा कि अगर वो चार पहले यूपीएससी पास कर आईपीएस अधिकारी बन जातीं, तो क्या होता? इसपर काजल का जवाब था, फिर वो खुद को पहचान नहीं पातीं। ना ही वो समझ पातीं कि उनकी लाइफ का मकसद क्या है। काजल हंसते हुए कहती हैं, अच्छा हुआ, जो मैं यूपीएससी क्लियर नहीं कर पाई।
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