केजरीवाल केस में विरोध के मुद्दे पर राहुल गांधी असमंजस की स्थिति में क्यों हैं?

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अरविंद केजरीवाल के मामले में आम आदमी पार्टी कानूनी और राजनीतिक दोनो लड़ाई लड़ रही है. अच्छी बात ये है कि आम आदमी पार्टी को केजरीवाल केस में INDIA ब्लॉक का भी समर्थन मिलने लगा है - और 30 जुलाई को विरोध प्रदर्शन किया जाना तय हुआ है.

जहां तक कानूनी लड़ाई की बात है, ईडी केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 31 जुलाई तक बढ़ा दी है. और वैसे ही सीबीआई केस में न्यायिक हिरासत 8 अगस्त तक कर दी गई है. अरविंद केजरीवाल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया था. इस बीच, दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को अपने वकीलों के साथ दो एक्स्ट्रा मीटिंग की भी अनुमति दे दी है.

हाल ही में INDIA ब्लॉक की मीटिंग में AAP सांसद संजय सिंह ने अरविंद केजरीवाल की खराब सेहत का मामला उठाते हुए समर्थन की अपील की थी. अब आम आदमी पार्टी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सेहत को लेकर INDIA ब्लॉक 30 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करेगा.

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सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीते दिनों इंडिया गठबंधन की बैठक में अरविंद केजरीवाल की सेहत का मुद्दा आम आदमी पार्टी ने उठाया था. इसके बाद इंडिया गठबंधन के नेताओं ने अरविंद केजरीवाल के समर्थन में रैली का ऐलान किया. जंतर मंतर पर 30 जुलाई को इंडिया गठबंधन केजरीवाल के समर्थन में रैली करने जा रही है.

आम आदमी पार्टी ने मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि तिहाड़ जेल में बंद अरविंद केजरीवाल का शुगर लेवल बार बार गिर रहा है. बीजेपी पर सीधा हमला बोलते हुए आप के नेताओं का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल को जेल में मारने की साजिश रची जा रही है.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस के सीनियर नेताओं के शामिल होने की संभावना है, लेकिन राहुल गांधी विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे या नहीं, ये कंफर्म नहीं है.

विपक्षी खेमे में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी तो है ही, राहुल गांधी अब सिर्फ कांग्रेस नहीं, बल्कि लोकसभा में विपक्ष के भी नेता हैं. ये ठीक है कि गठबंधन के और नेताओं के साथ साथ कांग्रेस के भी सीनियर नेता विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी का कार्यक्रम पक्का न होना संदेह पैदा करता है - और संदेह इसलिए भी क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही परहेज देखने को मिला है.

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राहुल गांधी को केजरीवाल से परहेज क्यों?

पहले की बातें छोड़ भी दें तो लोकसभा चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी को अरविंद केजरीवाल से दूरी बनाते देखा गया, जबकि ऐन उसी वक्त वो अखिलेश यादव के साथ प्रेस कांफ्रेंस, रोड शो और संयुक्त चुनावी रैली करते देखा गया था.

जहां तक अखिलेश यादव और राहुल गांधी के बीच संबंधों की बात है, अब भी कोई मधुर नहीं बताये जाते. 2017 के चुनावी गठबंधन के बाद 'यूपी के लड़के' के तौर पर चर्चित राहुल गांधी और अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव में साथ साथ नजर आने के बावजूद उनके संबध सहज नहीं हो पाये हैं, ऐसी खबर आई थी. अब भी दोनो को एक साथ लाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को प्रयास करना पड़ता है. ऐसे ही प्रयासों की बात यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनावों के लिए सीट शेयरिंग पर चर्चा के दौरान भी सुनने को मिली थी.

अब सवाल है कि सहज न होने के बावजूद राहुल गांधी चुनाव प्रचार के बाद लोकसभा में भी साथ बैठते हैं, तो अरविंद केजरीवाल के साथ सार्वजनिक मंचों पर आने में किस बात का संकोच होता है.

और राहुल गांधी ही नहीं, लोकसभा चुनाव के दौरान ये भी देखने को मिला था कि लखनऊ में अखिलेश यादव और मल्लिकार्जुन खरगे की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस के अगले दिन अरविंद केजरीवाल ने समाजवादी पार्टी नेता के साथ प्रेस कांफ्रेंस किया था. पहले बताया गया था कि तीनो नेता एक साथ प्रेस कांफ्रेंस करेंगे. हालांकि, उसी दिन अरविंद केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में रोड शो करते देखे गये थे.

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दिल्ली में भी एक संभावना थी अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के साथ में चुनाव प्रचार करने की, लेकिन वो भी नहीं देखने को मिला. हैरानी इसलिए हुई क्योंकि दिल्ली में कांग्रेस का आम आदमी पार्टी के साथ वैसे ही चुनावी गठबंधन था, जैसे यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ.

जब चुनाव प्रचार के लिए अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत पर जेल से छूटे थे, तभी राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने को लेकर उनकी राय जानने की कोशिश हुई थी, तब अरविंद केजरीवाल अपने बारे में तो बताया, लेकिन राहुल गांधी से जुड़ा सवाल टाल दिया था.

सवाल था कि क्या वो राहुल गांधी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार करेंगे? अरविंद केजरीवाल बोले, 'ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है. ये एक सैद्धांतिक सवाल है... जब हम साथ बैठेंगे तो इस पर चर्चा करेंगे.'

आखिर राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल को अखिलेश यादव की तरह स्वीकार क्यों नहीं कर पाते?

संसद में भी राहुल गांधी ने नाम नहीं लिया

क्या राहुल गांधी के मन में अब भी अरविंद केजरीवाल के प्रति संकोच खत्म नहीं हुआ है? और अगर ऐसा वास्तव में है तो उसकी खास वजह क्या हो सकती है?

क्या अरविंद केजरीवाल का कांग्रेस के साथ सिर्फ दिल्ली में गठबंधन के लिए तैयार होना?
या लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी का कांग्रेस से गठबंधन तोड़ लेना?
या फिर दिल्ली कांग्रेस के नेताओं का अरविंद केजरीवाल को स्वीकार न कर पाना? शीला दीक्षित से लेकर अरविंदर सिंह लवली तक कोई भी नेता अरविंद केजरीवाल के साथ किसी तरह के रिश्ते के खिलाफ रहा. शीला दीक्षित तो ताउम्र इस मामले में दीवार बनी रहीं, अरविंदर सिंह लवली ने तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर कांग्रेस ही छोड़ दी थी. मौजूदा दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराने की ही तैयारियों में जुटे हुए हैं.

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हाल ही में जब आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल की सेहत पर मीडिया में बयान दे रहे थे, तब कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित एक तरह से दावों को खारिज ही कर दिया था. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित की बातों से तो ऐसा लगा जैसे कांग्रेस को अरविंद केजरीवाल की सेहत को लेकर किये जा रहे आप नेताओं के दावों पर विश्वास ही नहीं हो रहा है.

संसद में बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का विरोध जरूर किया था, लेकिन नाम नहीं लिया. महज मुख्यमंत्री कह कर संबोधित किया था - आखिर वो कौन सी बात है जो राहुल गांधी को अरविंद केजरीवाल के मामले में परहेज करने को मजबूर कर रही है?

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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