कश्मीर पर अपनी पार्टी के खिलाफ गए, FTA पर वादा..., स्टार्मर के ब्रिटेन में पीएम बनने से भारत पर क्या होगा असर?

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ब्रिटेन में किएर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबरपार्टी ने आम चुनाव में ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को हराकर बड़ी जीत हासिल कर ली है.भारतीय मूल के प्रधानमंत्री सुनक ने अपनी हार स्वीकार कर ली है जिसके बाद अब किएर स्टार्मर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. शुक्रवार को स्टार्मर अपना पद संभाल सकते हैं. ब्रिटेन में लेबर पार्टी की वापसी 14 सालों बाद हुई है और इस बदलाव से ब्रिटेन सरकार की नीतियां भी बदलेंगी जिसका असर ब्रिटेन के अहम सहयोगी भारत पर भी पड़ने वाला है.

ब्रिटेन में 650 संसदीय क्षेत्र हैं जिनमें से 641 सीटों के नतीजे आ चुके हैं.410सीटों पर लेबर पार्टी को जीत मिली है जबकिऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी महज 119सीटें ही जीत पाई है.

ब्रिटेन में लेबर पार्टी की वापसी से भारत-ब्रिटेनरिश्तों पर असर

भारत और ब्रिटेन के रिश्ते हमेशा से ही लगभग स्थिर रहे हैं और ऋषि सुनक के कार्यकाल के दौरान भी रिश्ते सही रहे हैं. दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों में व्यापार एक अहम विषय रहा है और दोनों देश चाहते हैं कि मुक्त व्यापार समझौता हो जाए ताकि व्यापार को बिना रुकावट और आगे ले जाया जा सके.

दोनों देशों केबीच 2022-23 में 20.36 अरब डॉलर का व्यापार था जो 2023-24 में बढ़कर 21.34 अरब डॉलर हो गया है.

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता बातचीतकाएक अहम मुद्दा रहा है और यह मुद्दा ब्रिटेन की दोनों पार्टियों के एजेंडे में है. कंजर्वेटिव पार्टी के मेनिफेस्टो में मुक्त व्यापार समझौते को लेकर लिखा गया, 'हम भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लगाएंगे साथ ही भारत के साथ टेक्नोलॉजी और रक्षा के क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे.'

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पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो के स्कॉटलैंड सेक्शन में बहुत समय से मांग की जा रही स्कॉच व्हिस्की से स्थायी रूप से टैरिफ हटाने की बात कही थी. ब्रिटेन में बहुत समय से मांग की जा रही है कि अमेरिकी सरकार से बात कर स्कॉच व्हिस्की से टैरिफ स्थायी रूप से हटा लिया जाए. साथ ही यह भी मांग की जा रही है कि मुक्त व्यापार समझौता वार्ता के जरिए भारत में ब्रिटिश सामानों पर टैरिफ कम किया जाए.

भारत के साथ रिश्तों पर किएर स्टार्मर की राय

किएर स्टार्मर जो ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, उन्होंने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया हैकि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो भारत के साथ नई रणनीतिक साझेदारी विकसित की जाएगी जिसमें मुक्त व्यापार समझौता भी शामिल होगा.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री कंजर्वेटिव पार्टी नेता बोरिस जॉनसन ने पद पर रहते हुए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए दीवाली 2022 की डेडलाइन तय की थी लेकिन यह संभव नहीं हो पाया. इसे लेकर लेबर पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान कंजर्वेटिव्स पर निशाना साधा था और यह दिखाने की कोशिश की थी कि उनकी पार्टी इसे लेकर कितनी तत्पर है.

पार्टी के शैडो फॉरेन सेक्रेटरी डेविड लैमी जो अब ब्रिटेन के नए विदेश मंत्री बन सकते हैं, उन्होंने इंडिया ग्लोबल फोरम में बोलते हुए कहा था, 'कई दीवाली आई और चली गई लेकिन मुक्त व्यापार समझौता नहीं हुआ जिससे कई क्षेत्रों में व्यापार इंतजार में है. मेरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और व्यापार मंत्री पीयूष गोयल से यह कहना है कि लेबर पार्टी तैयार है, चलिए हम अपना मुक्त व्यापार समझौता करते हैं और आगे बढ़ते हैं.' लैमी ने कहा था कि वो जुलाई के खत्म होने से पहले भारत दौरे पर आएंगे.

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लेबर पार्टी के मेनिफेस्टो में भी व्यापार समझौते पर जोर दिया गया था. मेनिफेस्टो में कहा गया, 'हम भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी चाहेंगे जिसमें मुक्त व्यापार समझौता शामिल होगा. साथ ही हम सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करेंगे.'

साल 2022 में शुरू हुई थी व्यापार वार्ता

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर जनवरी 2022 में आधिकारिक वार्ता शुरू हुई थी जब बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे. हालांकि, ब्रिटेन में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते इस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई. जॉनसन के बाद कुछ समय के लिए लिज ट्रस ब्रिटेन कीप्रधानमंत्री बनींऔर फिर ऋषि सुनक ने पद संभाला. हालांकि, सुनक के समय भी व्यापार समझौते पर बात नहीं बन पाई.

मुक्त व्यापार समझौते में 26 चैप्टर्स हैं जिसमें वस्तु, सेवा, निवेश और इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

भारतीयों का दिल जीतने के लिए स्टार्मर ने की थी पूरी कोशिश

ब्रिटेन में भारतीय मूल के 19 लाख लोग रहते हैं जो कि कुल आबादी का 2.5% हिस्सा है. पहले ब्रिटिश-भारतीय समुदाय को लेबर पार्टी का वफादार माना जाता था लेकिन कई कारणों से भारतीय मूल के ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी के साथ आ गए.

इसमें एक कारण भारत के घरेलू मुद्दों पर लेबर पार्टी का राजनीतिक स्टैंड लेना भी शामिल था जिससे समुदाय नाराज था. वहीं, जब कंजर्वेटिव पार्टी ने ऋषि सुनक को अपना प्रधानमंत्री बनाया तब पूरा भारतीय ब्रिटिश समुदाय कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थन में आ गया.

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ब्रिटिश अखबार 'द गार्डियन' के मुताबिक, कुछ ब्रिटिश भारतीयों की शिकायत रही है कि लेबर पार्टीब्रिटेन में रहने वाले गरीब पाकिस्तानियों और बांग्लादेशियों पर ज्यादा ध्यान देती है. अब स्टार्मर को इन भारतीय मूल के अपने नागरिकों का विश्वास जीतना होगा जिसकी शुरुआत उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कर दी है.

बीते शुक्रवार को स्टार्मर किंग्सबरे स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर गए थे. वहां उन्होंने कहा, 'ब्रिटेन में हिंदूफोबिया के लिए कोई जगह नहीं है.'

स्टार्मर ने दीवाली और होली जैसे त्योहार भीमनाए जिसका मकसद ब्रिटिश-भारतीय समुदाय, जो कि ब्रिटेन में एक बड़ा वोट बैंक है, के बीच अपनी पार्टी को लेकर विश्वासबढ़ाना था.

जब कश्मीर पर लेबर पार्टी के प्रस्ताव से खड़ा हुआ था विवाद

सोशलिस्ट विचारधारा वाली लेबर पार्टी की विदेश नीति हमेशा से विचारधारा पर आधारित रही है. पार्टी मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए भारत सहित कई देशों की आलोचना करती रही है.

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक महीने बाद सितंबर में लेबर पार्टी ने जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व में एक आपात प्रस्ताव पास किया था जिसमें मांग की गई थी कि अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को कश्मीर में जाने की अनुमति दी जाए और इसके लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाना चाहिए.

प्रस्ताव में यह भी मांग की गई थी कि कॉर्बिन भारत और पाकिस्तान के उच्चायुक्तों से मिलकर यह सुनिश्चित करें कि इस मामले में मध्यस्थता हो और शांति कायम हो.

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भारत ने इस प्रस्ताव का सख्ती से विरोध किया था. विरोध बढ़ता देख लेबर पार्टी के नेता स्टार्मर ने मोर्चा संभालते हुए कहा था कि कश्मीर भारत का घरेलू मामला है और इसे दोनों पड़ोसी मिलकर सुलझाएंगे.

उन्होंने एक बैठक के दौरान कहा था, 'भारत में कोई भी संवैधानिक मुद्दा भारतीय संविधान का मामला है और कश्मीर भारत-पाकिस्तान के लिए शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाने वाला एक द्विपक्षीय मुद्दा है.'

किएर ने अपने मेनिफेस्टो में भी कहा है कि वो भारत के साथ नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करना चाहते जो दिखाता है कि वो प्रधानमंत्री बनने के बादभारत के साथ बेहतर रिश्ते चाहते हैं.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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