रोज रात 8 बजे मुलाकात, जीत के दांव पेंच और एक ही टारगेट... खास है राजस्थान के चार दोस्तों की सक्सेस स्टोरी

नई दिल्ली: आईएएस-आईपीएस की फैक्ट्री कहा जाने वाला दिल्ली का मुखर्जी नगर इलाका। राजस्थान के चार अलग-अलग इलाकों से एक ही मकसद लेकर मुखर्जी नगर पहुंचे चार नौजवान। और रात के 8 बजे से लेकर 11:30 बजे तक होने वाली एक मुलाकात। चारों ने एक दूसरे की ताकत

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नई दिल्ली: आईएएस-आईपीएस की फैक्ट्री कहा जाने वाला दिल्ली का मुखर्जी नगर इलाका। राजस्थान के चार अलग-अलग इलाकों से एक ही मकसद लेकर मुखर्जी नगर पहुंचे चार नौजवान। और रात के 8 बजे से लेकर 11:30 बजे तक होने वाली एक मुलाकात। चारों ने एक दूसरे की ताकत और कमजोरियों को पहचाना। जहां जरूरत महसूस हुई, चारों एक दूसरे के लिए संकटमोचक बन गए। और जब, इन चारों दोस्तों की मेहनत के नतीजे का दिन आया, तो सड़क पर ढोल बजे उठे। मिठाइयां बंटने लगीं और चारों ने एक दूसरे को गले से लगा लिया।
ये कहानी है राजस्थान की चार अलग-अलग जगहों से मुखर्जी नगर पहुंचकर यूपीएससी परीक्षा में पास होने वाले चार नौजवानों की। विकास कुमार मीना, अजीत सिंह खड्डा, कर्मवीर नरवाडिया और विनोद कुमार मीना की आंखों में एक ही सपना था। चारों को एक ही जिद थी। बस फिर क्या था, चारों दोस्त बन गए और यूपीएससी की तैयारी करने लगे। इंडियन मास्टरमाइंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदी माध्यम से आने वाले इन चारों दोस्तों ने एक जैसी ही तैयारी की और 2023 की यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर इतिहास लिख दिया। आइए आपको बताते हैं ये पूरी कहानी, जिसमें इन चारों ने जीत का चौका मार दिया।

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विकास कुमार मीना

अपने दूसरे ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 672वीं रैंक हासिल करने वाले विकास कुमार मीना राजस्थान के करौली जिले से आते हैं। एनआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद विकास को एक मल्टीनेशनल कंपनी में शानदार नौकरी मिल गई थी। लेकिन मन था कि यूपीएससी क्लियर कर सिविल सेवा में कदम रखे जाएं। बस फिर क्या था, विकास पहुंच गए दिल्ली के मुखर्जी नगर और परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। यहीं उनकी मुलाकात अजीत सिंह खड्डा, कर्मवीर नरवाडिया और विनोद कुमार मीना से हुई।

2022 में विकास ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी लेकिन प्रीलिम्स में ही फेल हो गए। इसके बाद 2023 में अपने दूसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिल गई। विकास बताते हैं कि चारों दोस्तों ने एक ही माध्यम और एक ही वैकल्पिक विषय चुना। इससे चारों को तैयारी की रणनीति आपस में शेयर करने में मदद मिली। चारों दोस्त हर शाम 8 बजे इकट्ठे होते और रात 11:30 बजे तक तैयारी की रणनीति पर चर्चा करते। वक्त बीतने के साथ गहरी होती चारों की दोस्ती ने जीत की रणनीति को भी मजबूत कर दिया।

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कर्मवीर नरवाडिया

हरियाणा में कुरुक्षेत्र के एनआईटी से बीटेक करने वाले कर्मवीर नरवाडिया राजस्थान के झुंझुनू जिले से आते हैं। यूपीएससी में दो बार असफल होने के बाद अपने तीसरे प्रयास में उन्हें 2023 की परीक्षा में 954वीं रैंक हासिल हुई। कर्मवीर बताते हैं कि हिंदी माध्यम से आने वाले छात्र अक्सर डर का शिकार हो जाते हैं। इसकी वजह है कि उन्हें ऐसे विषयों का सामना करना पड़ता है, जो अब तक उनके लिए अजनबी थे। हिंदी माध्यम के छात्रों से जुड़ना भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उनकी संख्या बहुत कम है। इसके अलावा उनका बैकग्राउंड भी अलग-अलग होता है। कर्मवीर के मुताबिक, ऐसे में उन चारों की दोस्ती ने उनके लिए यूपीएससी की राह को आसान कर दिया।

अजीत सिंह खड्डा

2023 की यूपीएससी परीक्षा में 563वीं रैंक हासिल करने वाले अजीत सिंह खड्डा जयपुर के एक गांव से आते हैं। कर्मवीर की तरह अजीत को भी दो बार यूपीएससी में असफलता का सामना करना पड़ा। पहली कोशिश में वो प्रीलिम्स में ही फेल हो गए। इसके बाद दूसरे प्रयास में यही हाल रहा। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और अपने तीसरे प्रयास में कामयाब हो गए। अजीत बताते हैं, 'हम चारों दोस्तों ने इंटरव्यू के लिए साथ मिलकर तैयारी की। इसका फायदा ये हुआ कि हम लोगों के ऊपर किसी भी तरह का दबाव हावी नहीं हो पाया। मॉक इंटरव्यू सहित परीक्षा के लिए हमारे संयुक्त कोशिश आखिरकार लंग लाई।

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विनोद कुमार मीना

यूपीएससी में सफलता के लिए विनोद कुमार मीना का इंतजार सबसे लंबा रहा। राजस्थान के सीकर जिले से आने वाले विनोद अपने पहले तीन प्रयासों में प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाए। अपनी चौथी कोशिश में वो इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे लेकिन फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाए। विनोद को सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब पांचवीं कोशिश में वो प्रीलिम्स में ही फेल हो गए। लगातार पांच साल तक असफलता मिलने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और छठें साल यूपीएससी में 798वीं रैंक हासिल की। विनोद बताते हैं कि एक साथ पढ़ाई करने से उन चारों के नजरिए में सकारात्मक बदलाव आया और इसका फायदा तैयारी में मिला।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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