मध्य यूरोप के लैंडलॉक्ड (जहां समुद्री सीमा ना हो) देश स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री पर जानलेवा हमला हुआ है. पीएम रॉबर्ट फिको को गोली मारी गई है. उनकी हालत बेहद गंभीर है. शांतिपूर्ण यूरोपीय देश में हुई इस वारदात ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है. अमेरिका से लेकर जापान और रूस से लेकर फ्रांस तक सभी देश इस हमले की निंदा कर रहे हैं.
यह कोई पहली बार नहीं है, जब किसी राष्ट्र प्रमुख पर इस तरह हमले को अंजाम दिया गया है. इससे पहले भारत से लेकर पाकिस्तान और जापान से लेकर अमेरिका तक इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं. जब हमलावर के निशाने पर प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रहे हैं. आइए आपको बताते हैं कि ऐसा कब-कब और किसके साथ हुआ है.
इंदिरा गांधी
राष्ट्रप्रमुखों पर हमले की इन घटनाओं में सबसे पहले भारत की ही बात कर लेते हैं. भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर भी इसी तरह हमला किया गया था. उनके दो बॉडी गार्ड्स (बेअंत और सतवंत सिंह) ने 31 अक्तूबर 1984 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. हत्याकांड को अंजाम देने वाले हमलावर ऑपरेशन ब्लू स्टार से नाराज थे.
राजीव गांधी
इंदिरा गांधी के बाद उनके बेटे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी जानलेवा हमला हुआ था, जिसमें उनकी मौत हो गई थी. दरअसल, राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में शांति सेना को श्रीलंका भेजा था. इस बात से श्रीलंका का तमिल विद्रोही संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) नाराज हो गया था. इसके बाद जब राजीव गांधी 21 मई 1991 को चेन्नई के श्रीपेरम्बदूर में थे, तब LTTE ने उन पर आत्मघाती हमला करवाया था, जिसमें उनकी जान चली गई थी.
लियाकत अली खान
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बात की जाए तो 16 अक्तूबर 1951 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की हत्या कर दी गई थी. वह रावलपिंडी के कंपनी बाग में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. लियाकत अली खान की हत्या के बारे में एक रोचक बात यह भी है कि हमलावर ने उन्हें उस जगह से निशाना बनाया था, जिसे इंटेलिजेंस अफसरों के रिजर्व रखा गया था.
बेनजीर भुट्टो
राष्ट्र प्रमुखों पर जानलेवा हमलों के मामले में पाकिस्तान कम बदनाम नहीं है. लियाकत अली खान के बाद पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की भी 27 दिसंबर 2007 को हत्या कर दी गई थी. उन्हें भी रावलपिंडी में ही चुनाव प्रचार के दौरान निशाना बनाया गया था. दरअसल, बेनजीर एक चुनावी रैली को संबोधित करके घर लौट रही थीं, इस दौरान ही हमलावर उनके पास आया और उन्हें गोली मार दी थी. हत्यारे ने वारदात को अंजाम देने के बाद खुद को बम से उड़ा लिया था.
शेख मुजीबुर्रहमान
अपनी स्थापना (26 मार्च 1971) के बाद से ही बांग्लादेश के सियासी हालात उठापटक भरे रहे हैं. पाकिस्तान से जंग लड़कर बांग्लादेश को आजादी दिलाने में सबसे अहम योगदान निभाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान को ही वहां मौत के घाट उतार दिया गया था. हमलावरों ने 15 अगस्त 1975 को शेख के साथ उनके परिवार को भी मौत के घाट उतार दिया था. हालांकि, उस वक्त उनकी दोनों बेटियां बांग्लादेश से बाहर थीं, जो हमले में बच गई थीं. बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना मुजीबुर्रहमान की ही बेटी हैं.
शिंजो आबे
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मौत भी 8 जुलाई 2022 को एक हमले के कारण ही हुई थी. शिंजो आबे को हमलावर ने तब निशाना बनाया था, जब वे नारा शहर में एक रैली को संबोधित कर रहे थे. हमलावर ने उन पर दो गोलियां चलाईं थीं. एक गोली उनके सीने के आरपार चली गई थी, जबकि दूसरी गर्दन पर लगी थी. गोली लगते ही आबे सड़क पर गिर पड़े थे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी. पूछताछ में हमलावर ने बताया था कि वह किसी बात को लेकर आबे से नाराज था.
जॉन एफ कैनेडी
विकसित और दुनिया का लीडर होने का दावा करने वाला अमेरिका भी इससे दूर नहीं है. अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति रहे जॉन एफ कैनेडी की भी 22 नवंबर 1963 को हत्या कर दी गई थी. हमले से अंजान कैनेडी अपनी ओपन कार में कहीं जा रहे थे. इस दौरान ही हमलावर ने उन्हें गोली मार दी थी. हालांकि, दो दिन बाद ही कैनेडी के एक समर्थक ने हमलावर की हत्या कर दी थी.
राणासिंघे प्रेमदासा
राष्ट्र प्रमुख के खिलाफ हिंसा की घटनाओं से भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका भी अछूता नहीं है. वहां देश के तीसरे राष्ट्रपति राणासिंघे प्रेमदासा को 1 मई 1993 को आत्मघाती हमले में मार दिया गया था. प्रेमदासा को उसी LTTE ने निशाना बनाया था, जिसने भारत के पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या कराई थी. जब राणासिंघे प्रमदासा कलंबो में रैली कर रहे थे, तब एक आत्मघाती हमले में उनकी जान चली गई थी.
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