Margashirsha Maas 2024: मार्गशीर्ष हिंदू पंचांग का नौवां महीना है इसे अग्रहायण या अगहन का महीना भी कहते हैं. इसे हिंदू शास्त्रों में सर्वाधिक पवित्र महीना माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि इसी महीने से सतयुग का आरंभ माना जाता है. कश्यप ऋषि ने इसी महीने में कश्मीर की रचना की थी. इस महीने को जप, तप और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. इसमें पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी होता है. मार्गशीर्ष का महीना 16 नवंबर यानी आज से शुरू हो चुका है.
क्या है मार्गशीर्ष मास का महत्व
सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया. मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्र नाम, भगवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष का पाठ जरूर करें. इस माह में शंख में पवित्र नदी का जल भरें. फिर इसे पूजा स्थान पर रखें. शंख को भगवान के ऊपर से मंत्र जाप करते हुए घुमाएं. शंख में भरा जल घर की दीवारों पर छीटें घर में शुद्धि बढ़ती है और शांति आती है. इसी मास में महोत्सवों का आयोजन होना अत्यंत शुभ माना जाता है. मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की पूजा जरूर करनी चाहिए.
मार्गशीर्ष महीने के लाभ
इस महीने में मंगलकार्य विशेष फलदायी होते हैं. इस महीने में श्रीकृष्ण की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान विशेष शुभ होता है. साथ ही संतान से संबंधित वरदान बहुत सरलता से मिलता है. चन्द्रमा से अमृत तत्व की प्राप्ति भी होती है. इस महीने में कीर्तन करने का फल अमोघ होता है.
मार्गशीर्ष मास में किन बातों का रखें ध्यान?
इस महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम होती है. इस महीने से चिकनाई वाली चीज़ों का सेवन शुरू कर देना चाहिए. लेकिन इस महीने में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने से मोटे वस्त्रों का उपयोग भी शुरू कर देना चाहिए. इस महीने से संध्याकाल की उपासना अनिवार्य हो जाती है.
मार्गशीर्ष के महीने में करें ये उपाय
इस महीने में नित्य गीता का पाठ करें. भगवान कृष्ण की ज्यादा से ज्यादा उपासना करें. कान्हा को तुलसी के पत्तों का भोग लगाएं और उसे प्रसाद की तरह ग्रहण करें. पूरे महीने "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें. अगर इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो जरूर करें.
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